Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Prakritik Prakop – Tsunami Lehre ”, “प्राकृतिक प्रकोप – सुनामी लहरें” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
प्राकृतिक प्रकोप – सुनामी लहरें
Prakritik Prakop – Tsunami Lehre
महाविनाशकारी ‘सुनामी’ की उत्पत्ति वस्तुत: समुद्रतल में भूकंप आने से होती। 1 है । समुद्र के अंदर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट अथवा भू-स्खलन के कारण यदि बड़े स्तर पर पृथ्वी की सतह खिसकती। 1 है तो इससे सतह पर 50 से 100 फीट ऊँची तरंगें, 800 कि.मी. प्रति घंटे की गति से तटों की ओर दौडने लग जाती हैं। और पूर्णिमा की रात्रि को तो यह और भी भयंकर रूप धारण कर लेती हैं। और यह प्राकृतिक प्रकोप 26 दिसम्बर रविवार को अरबों की संपत्ति और लाखों लोगों को लील गया । ‘सुनामी’ शब्द जापानी भाषा का है जहाँ अत्यधिक भूकंप आने के कारण वहाँ के लोगों को बारंबार इस प्रकोप का सामना करना पड़ता है । हिंदमहासागर में आए इस सुनामी तूफान ने चार अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी में । ऐसी हलचल मचा दी कि इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, अंडमान निकोबार, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, श्रीलंका और मालदीव तक के सारे तटीय क्षेत्रों को तबाही का मुंह देखना पड़ा । मछलियाँ पकड़कर आजीविका कमाने वाले कई सहस्र मछुआरे इस प्रलय सरीखी बाढ़ का शिकार बन गए। अंडमान निकोबार द्वीप समूही में स्थित वायुसेना के अड्डे को तो भयंकर क्षति पहुँची है तथा 100 से अधिक वायुसेना के जवान, अधिकारी वर्ग और उनके परिजन काल का ग्रास बन गए । नौसेना के जलयान बंधी हुई रस्सियों के टूट जाने से तो बच गए किंतु चार नागरिक जहाज क्षतिग्रस्त हो गए । पोर्ट ब्लेयर हवाई पट्टी को कुछ क्षति पहुँची पर उसकी पाँच हजार फीट की। पटटी सुरक्षित होने से राहत पहुँचाने के लिए 14 विमान उतर गए । भारतीय विमानों को श्रीलंका और मालदीव को सहायता के लिए भेजा गया है । यहाँ पर सुनामी की तीन मीटर ऊँची तरंगों ने कार निकोबार में एटीसी टावर को भी ध्वस्त कर डाला है पर तत्काल सचल एटीसी की व्यवस्था कर ली गई ।
पुराने इतिहास के पन्नों को उलटकर देखें तो उस युग में हुई तबाही का । उल्लेख मिलता है जब मानव भूगोल और पृथ्वी के विषय में बिलकुल ही अनभिज्ञ था । प्राचीन इराक में आज से लगभग छः सहस्र पूर्व जो विध्वंश समुद्री तूफान और बाढ़ के कारण हुआ था, उसका वृतांत इराक के उर नगर में हुई खुदाई से मिले एक दस्तावेज से मिलता है जो भट्टे से तपाई हुई टेबलिट्स पर अंकित है । इसके द्वारा तोरेत, बाइबल और कुरान शरीफ में वर्णित विनाशकारी तूफान की पुष्टि होती है जिसने विश्व को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Prakritik Prakop – Tsunami Lehre ”, “प्राकृतिक प्रकोप – सुनामी लहरें” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.किंतु नूह ने अपनी नौका का प्रयोग करके कुछ प्राणियों को बचा लिया था और पुनः सृष्टि रची जाने लगी थी। प्रसिद्ध इतिहासकार जार्ज रूक्स के अनुसार इराकी यही समझते थे कि पृथ्वी एक चपटी सी धरती है जिसके ऊपर आसमान है और नीचे मृतकों का संसार है। इसी से यह प्रथा बन गई कि मृतकों की कब्रे धरती में बनाकर उनके लिए खाने पीने का सामान और अन्य वस्तुएँ रख दी जाएँ ताकि मृतक पुनः जाग उठे तो उसे किसी वस्तु की परेशानी न हो । उस समय के लोगों के कई देवता थे । प्राचीन मिस्र में तो शासक की मृत्यु से पूर्व ही भूमिगत प्रासाद बनवा दिया जाता था। उनके शव मसालों का प्रयोग करके सुरक्षित कर लिए जाते थे। भूमिगत प्रासादों में सभी प्रकार का खान-पान का सामना, फर्नीचर, शासक के प्रयोग की सभी वस्तुएँ रख दी जाती थीं । मध्य एशिया में शासक के निधन पर उसकी बेगमें, मंत्रियों और अन्य सेवकों तथा घोड़ों का जीवित दफन कर दिया जाता था । खुदाई से इन तथ्यों की पुष्टि हो चुकी है।
हमारे भागवत पुराण में भी प्रलय का उल्लेख मिलता है। उसके अनुसार पंजाब में मारकंडा नदी ने विध्वंश का तांडव किया था। एक मछली ने एक ऋषि को अपनी भविष्यवाणी में इससे अवगत कराया था। जज सष्टि नष्ट हो रही थी तो मन भगवान ने एक नौका पर यात्रा करके सब प्राणियों के एक-एक जोड़े को बचा लिया था । इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि ईसा के जन्म से पंद्रह-सोलह सौ वर्ष पूर्व भयंकर वर्षा से ऐसी बाढ़ आई और समुद्र में तूफान आ गया, जिसके फलस्वरूप पंजाब में हड़प्पा । के अतिरिक्त कई और नगर नष्ट हो गए। इसी विनाशकारी प्रलय ने मोहनजोदड़ो, राजस्थान और गुजरात के अतिरिक्त दिल्ली व उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को नष्ट कर डाला था । उस समय मोहनजोदड़ो एक महान संस्कृति का गढ़ था और यह संस्कृति सिंध से गुजरात तक के तटीय क्षेत्रों के अतिरिक्त पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख नगरों तक फैली हुई थी। मोहनजोदड़ो में अंतिम विनाशकारी लीला ईसा के जन्म से पूर्व 1500 वर्ष पूर्व हुई थी । कुछ इतिहासकारों का ऐसा मत है कि यह नगर बारह बार नष्ट हुआ और खंडहरों पर बार-बार इसका निर्माण होता गया । इन तथ्यों से ऐसा लगता है कि इराक का तुफाने नुह और मोहनजोदड़ो की विनाश लीला लगभग एक समय में ही हुई होगी । उस समय सरस्वती नदी बहावलपुर के क्षेत्रों से होकर गुजरात में प्रवेश होकर समुद्र में गिरती थी। ऋग्वेद के एक मंत्र से यह स्पष्ट हो जाता है कि सरस्वती नदी में व्यापारिक जलयान माल लेकर बाहर जाते थे । एक राजा का जलयान समुद्र में लड़खड़ाने लगा तो सात दिनों के प्रयास से ही उसे सुरक्षित बचाया जा सका था ।
स्पष्ट हो जाता है कि भूकंप और समुद्री तूफानों ने पृथ्वी पर काफी परिवर्तन किए हैं। इन्हीं ने नए-नए दुवीप और टापुओं का निर्माण किया है। कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि किसी समय यूरोप और अमेरिका मिले हुए थे। समुद्र की तरंगों ने बीच के महाद्वीप का अस्तित्व मिटा दिया। भारत में प्राचीन दुबारिका समुद्र में डूब गई थी। इस बात के प्रमाण मिलते हैं। जापान से सहस्रों मील पूर्व में हवाई दुवीप अमेरिका का अंग है परंतु उसकी गणना अलग क्षेत्र में की जाती है । इसी प्रकार दक्षिण में आस्ट्रेलिया और न्यजीलैंड एशिया से सहस्रों मील दर है। इनके वासी म्यूरी कहाँ से आए थे? दक्षिणी अमेरिका में रहने वाले असली लोग कहाँ से आए थे ?
अब वैज्ञानिक इन तथ्यों पर उतर आए हैं कि यह सृष्टि कई बार नष्ट हुई और कई बार निर्मित हुई । डायनासोर सरीखे जीव जो करोड़ों वर्ष पूर्व सृष्टि में थे अब नहीं मिलते और उनकी अस्थियों के ढाँचे पत्थरों का रूप ले चुके हैं। अब युग परिवर्तनशील है और इसका कारण ऐसी ही प्रलय बन जाया करती हैं । तत्कालीन सुनामी आपदा हमारी प्रबंधन की कमजोरी को उजागर करती है जिसने पृथ्वी को उसकी धुरी पर फिरकी की तरह नचाकर एशिया मह द्वीप का मानचित्र सदा के लिए परिवर्तित करके रख दिया । यू. एस. जियोलाजिकल सर्वे के विशेषज्ञ केन हडनर के अनुसार सुमात्रा द्वीप से 250 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में समुद्र तल के नीचे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 के लगभग की थी । यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसमें कई छोटे-बड़े द्वीपों को 20-20 मीटर तक अपने स्थान से हिलाकर रख दिया । सुनामी व अन्य प्राकृतिक प्रकोपों के विशेषज्ञ अमेरिकी भूवैज्ञानिक टैड मूर्ति के कथनानुसार इस प्रलयकारी भूकंप में समुद्र के नीचे भारतीय प्लेट, बर्मा प्लेट के नीचे खिसक गई जिससे यह भयंकर भूकंप आया । यदि भारत अथवा एशिया के क्षेत्र में कहीं भी महासागर की तलहटी में होने वाली भूगर्भीय हलचलों के आकलन की चेतावनी प्रणाली विकसित होती तो इस त्रासदी से पहले बड़े संख्या में हुई जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता था। हालांकि प्रशांत महासागर के तल में होने वाले भूगर्भीय हलचलों के आकलन के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित की जा चुकी है; किंतु हिंदमहासागर अभी इस प्रणाली से वैचित है ।
भूकंप के विषय में यह प्रचलित है कि इस प्राकृतिक आपदा से उतनी क्षति नहीं होती जितनी उच्च अट्टालिकाओं के गिरने अथवा भौतिक विकास के नुकसान से होती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ही भूकंप के खतरों में जोन 4 में आती है। यहाँ कभी भी ऐसी त्रासदी घट सकती है। किंतु न तो प्रशासन और न सभ्य समाज इस भावी खतरे के प्रति चिंतित है। यहाँ अनियोजित शहरीकरण तथा व्याप्त प्रशासनिक भ्रष्टाचार ऐसी आपदा को आमंत्रित कर लाखों लोगों को काल का ग्रास बना सकता है । वस्तुत: इस प्राकृतिक प्रकोप को रोक पाना मानवों, यंत्रों अथवा कंप्यूटरों के वश में नहीं है फिर भी यथासमय सूचना देकर बचने की कुछ तो। व्यवस्था की जा सकती है । यद्यपि इस सुनामी तरंगों की जानकारी उसके। उठने से एक घंटा पूर्व ही अर्थात 7 बजकर 50 मिनट पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख को मिल चुकी थी, कि कार निकोबार का वायुसेना बेस जलमग्न हो चुका है तथापि इसके 41 मिनट बाद मौसम विभाग ने इस विनाशकारी समुद्री हलचल की खबर दी यदि समय पर चेताया जाता तो इतनी जानें तो न जातीं । रविवारीय सुनामी समुद्री भूकंप भारतीयों के लिए एक नया अनुभव है। किंतु 17 जुलाई, 1998 में प्रशांत महासागर में आई सुनामी तरंगों ने पापुआन्यूगिनी में 2500 और 23 अगस्त, 1996 को फिलीपींस में 800 लोगों को अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े थे ।
यह जानकारी भारतीय मौसम विभाग के पास होते हुए हम यह कल्पना तक नहीं कर पाए कि यदि सुनामी तरंगे हिंदमहासागर में उठे तो उनसे भारत के तटीय क्षेत्रों की दशा कैसी हो सकती है। भारत में आया सुनामी भूकंप से विध्वंश एक राष्ट्रीय क्षति है जिसने देश-विदेश के प्रत्येक नागरिक को द्रवित कर दिया है। हम इस समय जहाँ और जिस स्थिति में हैं तन, मन और धन से ध्वस्त लोगों के परिवारों के साथ स्वयं को खड़ा करें और हर संभव राहत तथा मदद पहुँचाएँ। इटली के एसाग्मएस ने सुनामी राहत कोष के लिए डेढ़ करोड़ डॉलर जुटाए हैं। भारी। भरकम फुटबाल क्लब मैनचेस्टर युनाइटेड से लेकर युवा टेनिस तारिका मारिया शारापोवा पीड़ितों की मदद के लिए कमर कसकर जुट गई हैं। तमिलनाडु को 250 और आंध्र को 100 करोड़ की केंद्र से तात्कालिक सहायता दी गई है । इस प्रकार देश-विदेश के हर क्षेत्र के लोग आपदाग्रस्त लोगों की सहायता के लिए जुट गए हैं। पर इससे उनके आत्मीयों के जाने के गम को तो दूर नहीं किया जा सकता है ।