Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Patrakarita”, “पत्रकारिता” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
पत्रकारिता
Patrakarita
अगर हम कहें कि पत्रकारिता ने ही मानव को मानव बनाया है तो इसमें कोई गलत नहीं होगा। पत्रकारिता के ही माध्यम से हम जान सकते हैं कि हमारे आस-पास क्या घटित हो रहा है, पत्रकारिता के विभिन्न रूप हैं जो हमें कई तरह से एक-दूसरे से जोड़े रखते हैं। वे हमें केवल देश से ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचा देते हैं। पत्रकारिता ही आम मानव का एक तेजधार हथियार है।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। पत्रकारिता का विकास समाज के विकास के साथ ही होता गया। पत्रकारिता संप्रेषण का विस्तृत माध्यम है। इसीलिए संप्रेषण के अभाव में संस्कृति का विकास प्रायः संभव नहीं हो सकता है। हम ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी बातों को जानकर ही अपने बंद पड़े मस्तिष्क के द्वार को पत्रकारिता रूपी पाँचवे वेद से खोल सकते हैं। हिन्दी पत्रकारिता ब्रिटिश शासन काल में पुष्पित पल्लवित हुई। समाचार पत्रों से शुरु होकर यह इलेक्ट्रानिक मीडिया से आगे बढ़ते हुए कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुँच गया है। पत्रकारिता का स्वरूप प्राचीन काल में आज के अपने वर्तमान कलेवर से सर्वथा भिन्न था। इस संदर्भ में महर्षि नारद को आदि पत्रकार कहा जा सकता है। प्राचीनकाल में राजवंशीय खबरों को दूर तक पहुँचाने के लिए कबूतरों से कासिदों तक का जाल बिछाया जाता था। छापेखाने के अविष्कार ने पत्रकारिता को आम लोगों से जोड़ा।
भारत में औपचारिक पत्रकारिता की शुरुआत कलकत्ता से हुई। साहित्यिक क्षेत्र में उदंत मार्तड, हिन्दी प्रदीप, भारत मित्र, भारत जीवन, मित्र, भारत भगिनी, हिन्दी बंगवासी, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, भाषा चंद्रिका, छत्तीसगढ़ मित्र, सुदर्शन, समालोचक, हितवासी, लक्ष्मी, अबला हितकारी, स्त्री-दर्पणी, वैश्योपकारक, भारतेंदु, वाल प्रभाकर, आर्यवनिता, हिंदी केसरी, नृसिंह, अभ्युदय, कमला, इंदु, गृहलक्ष्मी, चाँद, प्रताप, नवनीत, ज्ञानशक्ति, विश्वमित्र, ललिता, आज आदि उल्लेखनीय है।
हिन्दी की प्रमुख मासिक पत्रिकाओं में कल्याण, कादंबिनी, नीहारिका, नवनीत, शिविरा, कुरुक्षेत्र, विज्ञान प्रगति, मनोहर कहानियाँ, माया, अखंड ज्योति, सुषमा, | नंदन, पराग, चंदामामा, गुड़िया, गृहशोभा आदि महत्वपूर्ण है।
हिन्दी की प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स, अमर उजाला, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, संमार्ग, विश्वामित्र, नई दुनिया, नवभारत, स्वदेश, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रदूत, दैनिक नवज्योति, जलते दीप, जननायक, वीर अर्जुन, जनयुग, स्वतंत्र भारत, आज, आर्यावर्त, दैनिक भास्कर, युगधर्म, नवजीवन, प्रदीप, वीर प्रताप, तरुण भारत, देशबंधु, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, हिंदी मिलाप, स्वतंत्र वार्ता आदि दृष्टव्य हैं।
वर्तमान दौर में सूचना उद्योग में जो हलचल मची हुई है वह मात्र अर्थतंत्र की उछल-कूद अधिक सूचना कम है।
आज का युग पूर्णतः तकनीकी ज्ञान पर निर्भर है। और इस तकनीकी का सर्वाधिक प्रयोग आसमान पर आधारित रहे हैं। आज के दौर में इंटरनेट के कारण चहुँमुखी जानकारियों की बाढ़ सी आयी हुई है। ये जानकारियाँ समाज की निर्मिती के साथ ही विचारों पर प्रहार भी कर रही है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मानवीय जीवन के विकास की गति को बढ़ाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। आज के युग में तकनीकी में लोगों के जीवनमूल्य, विचारादि बहुत कुछ बदल डाला है। ज्ञान, संस्कृति के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में सांस्कृतिक प्रदूषण को भी बढ़ावा दिया गया है। आज की तरक्की संख्या से आँकी जाती है न कि गुणवत्ता से।
उपरोक्त सभी बातों पर विचार विमर्श करने पर हम इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि पत्रकारिता ने मानव के सोचने का तरीका ही बदल डाला। आज, मानव पत्रकारिता को अपना हथियार बना अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।