Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Pariksha Bhawan Ka Drishya” , ”परीक्षा भवन का दृश्य” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
परीक्षा भवन का दृश्य
हर विद्यार्थी परीक्षा से डरता है। यह इसलिए होता है क्योंकि परीक्षा किसी व्यक्ति की काबलियत का सच्चा परीक्षण नहीं है। कई बार योग्य विद्यार्थी फेल हो जाते हैं तथा कमजोर विद्यार्थी आगे निकल जाते हैं। परीक्षाएँ विद्यार्थियों का खून पीती हैं तथा विद्यार्थियों के हृदय में डर पैदा करती हैं। जैसे-जैसे ये पास आते हैं, छात्र घबरा जाते हैं। उनकी हालत दयनीय हो जाती है।
परीक्षा के दिन वे चिन्तित प्रतीत होते हैं। जब वे परीक्षा हाल में जा रहे होते हैं तो उनके होंठ नाम जप रहे होते हैं तथा उनकी आँखें खोई हुई लगती हैं। वे अपने हाथों में कापियाँ व किताबें पकड़े हुए होते हैं। वे ज़रूरी प्रश्नों के उत्तरों की दोहराई कर रहे होते हैं। वे दूसरों को तंग करना पसन्द नहीं करते। वे परीक्षा हाल में जाने के लिए घंटी बजने का इंतजार कर रहे होते हैं। जैसे-जैसे समय पास आता जाता है, दिल बैठने लगता है। वे भीगी बिल्लियों की भांति हाल में दाखिल होते हैं।
निरीक्षक उन्हें सीटों पर बैठने के लिए कहते हैं। जब सभी अपना स्थान ग्रहण कर लेते हैं तो विद्यार्थियों के समक्ष परीक्षा से संबंधित निर्देश पढ़े जाते हैं। उन्हें उनका सारा सामान, कापियां, किताबें हाल के बाहर रखने को कहा जाता है। कुछ देर के बाद उनको उत्तर पुस्तिकाएँ बांटी जाती हैं। उस पर उन्हें अपने क्रमांक लिखने के लिए कहा जाता है। इस दौरान मुख्य सुप्रिंटेंडेंट तथा अन्य प्रश्न-पत्र खोलने में व्यस्त हो जाते हैं।
जब प्रश्न पत्र बांटे जाते हैं तो विद्यार्थी घबराए हुए हाथों से उन्हें पकड़ते हैं। वह उत्सुकता से उसकी ओर देखते हैं। वे उन प्रश्नों को ढूंढते हैं जिन्हें आसानी से हल किया जा सके। जिन विद्यार्थियों को उनके पसन्द के उत्तर नहीं मिलते वे पानी मांगते हैं। धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो जाती हैं। विद्यार्थी उत्तर लिखने में व्यस्त हो जाते हैं। सारे हाल में बिल्कुल शांति हो जाती है सिवाए पंखों की आवाज़ के।