Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Mikhail Gorbachev” , ”मिखाइल गोर्बाचेव” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मिखाइल गोर्बाचेव
Mikhail Gorbachev
रूस: खुलेपन की नीति के प्रवर्तक
मिखाइल सेर्गेयविच गोर्बाचेव का जन्म 2 मार्च, 1931 को तजाव्रोपोल (रूस) के एक कृषक परिवार में हुआ था। प्रारंभ में वह एक मेकेनिक थे। सन् 1952 में वह सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। अगले वर्ष उन्होंने मास्को विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक परीक्षा पास की। सन् 1967 में गोर्बाचेव कृषि विज्ञानी बने। सन् 1971 में उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति में ले लिया गया। मार्च, 1985 में वह सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बनाए गए और सन् 1988 में वह रूस के राष्ट्रपति बने।
मिखाइल गोबचिव को कई प्रमुख सोवियत अलंकरणों के अलावा तीन बार ‘ऑर्डर ऑफ लेनिन’, ‘इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार’ (1987) तथा ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ (1990) प्रदान किए जा चुके हैं। गोर्बाचेव ‘मैन ऑफ द इयर’ भी चुने जा चुके हैं।
मोहक व्यक्तित्व एवं सौम्य स्वभाव के मिखाइल गोर्बाचेव सन् 1986 व सन् 1988 में अपनी पत्नी रईसा गोर्बाचेव के साथ भारत आ चुके हैं। वह तृतीय विश्व के नेतृत्वकर्ता देश के नाते भारत की नीति, विचारों एवं कार्यो के प्रशंसक हैं। गोर्बाचेव ने अपने 4-5 वर्षों के छोटे से कार्यकाल में कई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की हैं। उन्होंने अमरीका से एक समझौता किया है, जिसके अंतर्गत दोनों देश बड़ी संख्या में परमाणु अस्त्र नष्ट करेगे। शांति की चाह रखने वाले करोड़ों लोगों के लिए यह एक सुखद बात है। सन् 1987-88 में गोबचिव ने साम्यवाद के इतिहास में पहली बार ‘पेरिस्त्रोइका’ एवं ‘ग्लासनोस्त’ जैसे नव सिद्धांत प्रचलित कर
सोवियत गणराज्यों की धारा ही बदल दी। बोरिस पास्तरनाक की रचनाओं का रूस में प्रकाशन, गोर्वाचव का चर्च में बाइबिल पढ़ना एवं रूस में सौंदर्य प्रतियोगिता आयोजित होना, जैसी घटनाएं इन्हीं सिद्धांतों की देन कही जा सकती हैं।
रूढ़िवादी साम्यवादी रूस में खुलेपन की नीति लाने, परमाणु निरस्त्रीकरण और विश्वशांति के प्रयासों के लिए गोर्बाचेव को विश्व इतिहास में एक सम्मानित स्थान मिल गया है।