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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Marc Chagall” , ”मार्क शगाल” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मार्क शगाल

Marc Chagall

 

मास्को : 20वीं सदी का प्रतिनिधि चित्रकार

जन्म : 1887 मृत्यु : 1985

20वीं सदी के सर्वोच्च चित्रकारों में रूसी मल के फ्रेंच चित्रकार मार्क शगाल का स्थान पिकासो के बाद आता है। उन्होंने लिथोग्राफी, एचिंग, भित्तिचित्रों, पच्चीकारी तथा गीन कांच की कला पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है।

शगाल का जन्म 7 जुलाई, 1887 को मास्को के पास वितेव्स्क में हुआ था। उनके माता-पिता व्यापार से जुड़े थे। बचपन से शगाल पश-पक्षियों के चित्रों में काफी रुचि लेते थे। सन् 1907 में वह पेंटिंग सीखने सेंट पीटर्सबर्ग चले गए। वहां वह कुछ वर्ष रहे। फिर सन् 1910 में उन्होंने रिस जाने का मन बनाया। तब पेरिस यूरोप भर के चित्रकारों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र था। यहां शगाल ने कई चित्र बनाए, जिन्होंने प्रगतिशील कलाकारों को काफी प्रभावित किया। सन् 1914 में उनके चित्रों की पहली नमाइश बर्लिन में लगी, जो आंशिक रूप से सफल रही। तभी प्रथम विश्वयुद्ध एवं रूसी क्रांति प्रारंभ हो जाने से शगाल अपने चित्र फ्रांस छोड़कर अपने परिवार के पास रूस चले आए। वर्षों बाद उन्हें पता चला कि पेरिस में उनके छोड़े गए चित्र काफी शोहरत पा रहे हैं। सन् 1915 में शगाल ने बेला रोजनफील्ट से विवाह कर लिया।

उनकी अगली प्रदर्शनी सन् 1926 में अमरीका में लगी। तब वह एक जाने-माने चित्रकार बन चुके थे। सन् 1944 में बेला की मृत्यु से उन्हें काफी आघात लगा। बाद में उन्होंने बेलेटीना ब्रोडस्की से दूसरा विवाह कर लिया। सन् 1962 में शगाल ने पेरिस ऑपरा हाऊस’ की आंतरिक छत पर जो चित्रकारी की, वह माइकेलेंजिलो की कला की याद दिलाती है।

मार्क शगाल ने लगभग तीन हजार चित्र तैयार किए थे, जिनमें से ‘फ्लावर्स एबव सेंट जीनेट’, “कास ऑफ वाइन’, ‘लवर्स अंडर लिलीज’, ‘द फिडलर आन द रूफ’, ‘पेरिस धू विंडो’, ‘द ट्रायूँफ ऑफ म्यूजिक’, ‘लवर्स इन ग्रे’ आदि प्रमुख हैं। शगाल ने फ्रांस में चर्च के लिए बाइबिल पर आधारित कई असाधारण कृतियां दी थीं, जिनसे पेरिस में उन्हें काफी प्रशंसा प्राप्त हुई।

‘लीजन ऑफ द ऑनर’ से अलंकृत शगाल का देहांत 97 वर्ष की अवस्था में 28 मार्च, 1985 को हुआ। उनके निधन से पिकासो के बाद का सबसे बड़ा चित्रकार कला जगत से छिन गया। उनके सैकड़ों-हजारों चित्र आज भी विश्व के प्रमुख संग्रहालयों में उनकी उदात्त कला का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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