Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Madak Dravya ”, ”मादक द्रव्य” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
मादक द्रव्य
Madak Dravya
भारत में अति प्राचीन काल से मादक द्रव्यों का सेवन होता चला आरहा है। हमारे ऋषि मुनि सोमरस का पान करते थे। सुरापान भी उतना ही पुराना है पर इसका सेवन राक्षस या राजा महाराजा ही करते थे। भंग, अफीम, गांजा, चरस आदि भी मादक द्रव्य हैं। इनका सेवन भी समाज के कुछ व्यक्ति करते ही रहे हैं। आजकल नवीन मादक द्रव्यों की उत्पत्ति भी हो गयी है। हेरोइन, हशीश, कोकीन, ब्राउन शुगर आज के युग के मादक द्रव्य हैं।
मादक द्रव्य कोई भी हो उसके सेवन की आदत पड़ गई तो छूटती नहीं। इनका सेवन कुछ समय के लिए तो मस्त बना देता है। पर शीघ्र ही ऐसी सुस्ती पैदा करता है कि मस्तिष्क विकृत हो जाता है। इनके निरंतर सेवन करने से मनुष्य का तन और मन शिथिल हो जाता है। वह होश खो बैठता है। कहीं भी गिर पड़ता है और होश आने तक पड़ा ही रहता है। उसकी दृष्टि कमजोर हो जाती है, हृदय और फेफड़े प्रभावित होजाते हैं। उसका स्वास्थ्य चौपट होजाता है। धीरे धीरे वह मृत्यु की ओर बढ़ने लगता है। कोई उससे सहानुभूति नहीं रखता। वह अपनी प्रतिष्ठा खो बैठता है।
नशे की आदत मनुष्य को स्वयं तो नष्ट कर ही देती है। उसके परिवार वालों की भी दुर्गति होने लगती है। नशे के लिए वह अपना धन नष्ट करता है, परिवार में अभावों की काली छाया पड़ने लगती है। गृह कलह न जाने कितनी समस्याओं को जन्म देताहै। नशे के कारण न जाने कितने परिवार नष्ट हो चुके हैं। नशे बाज़ों के अत्याचारों को सहन न करने के कारण कितनी पत्नियाँ आत्महत्या कर लेती है। उनके बच्चे अनाथों के जैसा जीवन जीने पर विवश हो जाते हैं।
इतना सब होते रहने पर भी मादक द्रव्यों के सेवन में कमी नहीं आई है। अमीर तो सदा ही नशे का सेवन करते रहे हैं। आम जनता भी तरह- तरह के मादक द्रव्यों के सेवन की अभ्यस्त है। नए नए मादक द्रव्यों का प्रचलन बहुत ही भयंकर है। कालिजों और स्कूलों के विद्यार्थीयों में भी इनका प्रवेश हो गया है। इन भयंकर मादक द्रव्यों के प्रभाव में आया व्यक्ति तो हर प्रकार से बर्बाद हो जाता है। एक बार लत पड़जाने के बाद यह नशा व्यक्ति की मृत्यु से ही छूटता है।
न जाने क्या शौक है कि प्रतिदिन जहरीली शराब पीकर मरनेवालों की संख्या देखते हुए भी लोग शराबखोरी नहीं छोड़ते।
आधुनिक मादक द्रव्यों के व्यापार में बहुत लाभ है। विदेशों में इनकी बहुत मांग है। तस्करी द्वारा ये मादक द्रव्य पाकिस्तान से आते हैं। चोरी छिपे भारत के मार्ग से अमेरिका तक जाते हैं। विदेशों में इनका मूल्य बहुत होने के कारण तस्कर इसके व्यापार में लिप्त हैं। आए दिन ऐसे तस्कर पकड़े भी जाते हैं, फिर भी इस व्यापार मे कमी नहीं आई है।
मादक द्रव्यों के प्रचलन से समाज और राष्ट्र को भारी हानि उठानी पड़ती है। समाज में अपराध बढ़ते हैं। कानून की व्यवस्था छिन्न-भिन्न होती है। इनके अवैध व्यापार से राष्ट्र की अर्थ व्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। लोग विलासी हो जाते हैं, उनका नैतिक हास होता मादक द्रव्यों का सेवन व्यक्ति समाज और राष्ट सभी के पतन का कारण बनता है। कुछ समय पहले तक चीन में अफीम का पर्याप्त चलन था। वहाँ की जनता अफीम के प्रभाव में मत्त पड़ी रहती थी। समीप के छोटे- छोटे राष्ट्र चीन पर आक्रमण करके लूट पाट मचाते रहते थे। चीन को अपनी रक्षा के लिए दीवार बनानी पड़ी थी। यकायक चीन में जागृति आई। उन्होंने अफीम का नशा उतार कर फेंक दिया। अफीम को त्याग देने के पश्चात आज चीन विश्व की एक मानी हुई शक्ति बन गया है।
दृढ संकल्प शक्ति अपनाने से नशा सेवन की लत को जड़ मूल से उखाड फेका जा सकता है। सरकार नशा रोकने में मन से प्रयास नहीं कर रही। नशाबंदी करने से सरकार की आय कम हो जाएगी। यही कारण है कि भारतीय सरकार मादक द्रव्यों का प्रचलन रोकने में सफल नही हुई है। गरीब जनता में यह बुराई अनेक अपराधों की जड़ बनी हुई है। समाज एवं परिवार के व्यक्ति ही परिवार से इसे दूर हटाने के लिए सफल प्रयत्न कर सकते हैं। समाचार पत्र, आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रचार द्वारा इस भयंकर व्याधि को रोका जाना चाहिए।