Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Louis Braille” , ”लुई ब्रेल” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
लुई ब्रेल
Louis Braille
फ्रांस : दृष्टिहीनों की लिपि का जन्मदाता
जन्म : 1809 मृत्यु : 1852
लुई ब्रेल ने स्वयूँ अधे होते हुए भी विश्वभर के नेत्रहीनों को नेत्रवालों के समान शिक्षित होने के लिए एक साधन जुटाया। उन्होंने एक ऐसी लिपि का आविष्कार किया, जिसके उभरे हुए अक्षरों को छुकर नेत्रहीन साक्षर हो सकते हैं। इसे ‘ब्रेल लिपि’ कहा जाता है। लुई ब्रेल एक कुशल संगीतज्ञ एवं अध्यापक भी थे।
लुई ब्रेल का जन्म सन् 1809 में फ्रांस में हुआ था। उसका पिता पेरिस के पास एक गांव में चमड़े का साज-सामान बनाता था। बालक ब्रेल ने एक दिन खेलते हुए चमड़ा सीने का औजार आंख में मार लिया। एक आंख जाने के कछ समय बाद दूसरी आंख भी खराब हो गयी और बालक ब्रेल 5 वर्ष की आयु में अंधा हो गया। पिता ने उसे दृष्टिहीनों के स्कूल में दाखिल करवा दिया। एक अवकाश प्राप्त सैनिक ने कागज पर उभरे हुए बिंदुओं की भाषा से उसे पढ़ना सिखाया। ब्रेल को उस लिपि में कुछ कमियां लगी। उसने कुछ वर्षों के श्रम से एक नई उभरी हुई लिपि का आविष्कार किया, जिससे दृष्टिहीन पढ़ सकते हैं। आज इस लिपि में अनेक पुस्तकें छप चुकी हैं। इस भाषा में पत्र-पत्रिकाएं भी निकलती हैं। ब्रेल ने स्वयूँ दृष्टिहीन होते हुए भी दृष्टिहीनों को जीवन में सफल होने का मार्ग दिखाया।
ब्रेल की मृत्यु केवल 42 वर्ष की छोटी-सी आयु में हो गयी। लुई ने जिस ‘ब्रेल लिपि’ का विकास किया, उसे धीरे-धीरे काफी लोकप्रियता मिली। इस लिपि से नेत्रहीन लोगों को शिक्षित करने के लिए विश्वभर में हजारों स्कूल खोले गए हैं। इन स्कूलों में सभी आयु के नेत्रहीन अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। इस लोकोपयोगी देन के लिए मानव समाज सदैव ब्रेल – का ऋणी रहेगा।