Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Ganne ki Atmakatha”, ”गन्ने की आत्म-कथा” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
गन्ने की आत्म-कथा
Ganne ki Atmakatha
पुराने जमाने में त्रिशंकु नामक धर्मात्मा राजा हुए हैं। उनके लोक में मेरी खेती की जाती थी। लोग मुझे ही खाया करते थे और मेरा ही रस पिया करते थे। वहाँ पर मेरी बहुत इज्जत थी। स्वयं राजा त्रिशंकु को भी मैं बहुत प्रिय था।
एक बार धरती का एक मनुष्य वहाँ गया और मेरी कुछ किस्में यहाँ ले आया। यहाँ पर उसने मुझे उगाया। यहाँ पर भी मैं बहुत अधिक फला-फूला। मेरी अत्यधिक इज्जत की जाने लगी। ‘इक्ष्वाकु वंश से सम्बन्धित होने के कारण लोगों ने मेरा नाम ‘इक्षु’ रख दिया जो अब बिगड़ते-बिगडते ‘ईख’ हो गया है। वैसे मुझे गन्ना भी कहते हैं। आजकल मैं भारत, फारस, अरब और मिस आदि देशों में अधिक पैदा होता हूँ।
जब मेरी फसल तैयार हो जाती है, तो मुझे काट लिया जाता है और मेरे हरे-हरे बालों वाली कलगी भी काट दी जाती है। अब मैं बिल्कुल तूंठ-सा लगता हूँ। अब मुझे कोल्हू में पेर कर मेरा रस निकाल लिया जाता है और उबाला जाता है। धीरे-धीरे गाढा होकर मैं खोए के रूप में बदल जाता हूँ। फिर मुझे हाथों से थाप लेते हैं। इस प्रकार मैं गुड बन जाता हूँ।
पक कर तैयार करने के लिए उबलती हुई राब को दूध या चूने को मिला कर मैल दूर कर लेते हैं। अब मैं सफेद रंग की राब बन जाता हूँ। अब राब को धीमी आग में पका कर शक्कर तैयार कर लेते हैं। वैसे अब यह काम मशीनों द्वारा बड़ी-बड़ी मिलों में होता है। हमारे देश में भी अनेक चीनी की मिलें हैं। अपने उत्तर प्रदेश में ही काफी चीनी की मिलें हैं। इस प्रकार मैं चीनी मिठाई, गोलियाँ और टाफियाँ आदि रूप में बाजार में आता हूँ।
एक बात और, आदमी के शरीर में बल और गर्मी पैदा करने के लिए कुछ शक्कर का होना आवश्यक है; लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम सारा दिन शक्कर और मीठी वस्तुएँ ही खाते रहो। अधिक चीनी खाने से हाजमा खराब हो जाता है और जो बच्चे मीठी चीनी खाकर कुल्ला नहीं करते, उनके दाँतों में कीड़ा लग जाता है और वे खराब हो जाते हैं। इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।