Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Confucius” , ”कन्फ्यूशियस” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
कन्फ्यूशियस
Confucius
चीन : चरित्र पर बल देने वाला दार्शनिक
जन्म : 551 ई.पू. मृत्यु : 478 ई.पू.
कन्फ्यूशियस चीनी दार्शनिक और धर्म प्रवर्तक थे। उनका चीनी नाम कंग फत्से था। उन्होंने सामनष्य के सच्चरित्र होने पर सबसे अधिक जोर दिया है। वह माता-पिता के प्रति आदरभावना केपबळ समर्थक थे। विश्व के महान दार्शनिक एवं धर्म प्रवर्तकों में उनका नाम प्रमुख है। वह एक जाने-माने तत्त्वज्ञानी एवं विचारक थे। वह अपनी योग्यता से उस समय कई उच्च पद प्राप्त करने में भी सफल रहे। चीन में उन्होंने निर्धनता दूर करने के लिए कई व्यावहारिक योजनाएं तैयार की थीं। उन्होंने एक विद्यालय भी खोला था, जिसमें चीन के बड़े-बड़े लोगों ने सच्चरित्र होने की शिक्षा ग्रहण की। वह कई विद्याओं के ज्ञाता थे। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को जिस पुस्तक के रूप में संजोया था, वह है ‘चिन चिउकिंग’। उनके जीवनक्रम एवं प्रेरणाओं के आधार पर आज भी चीन में कन्फ्यूशियस धर्म के अनुयायी हैं। आज भी उनमें अपरे पुरखों के प्रति श्रद्धा भाव है। वह इस बात पर बल देते हैं, “जो व्यवहार स्वयूँ आपको पसंद नहीं, वैसा व्यवहार दूसरों से भी न करो।”
कन्फ्यूशियस का जन्म चीन के शांतग नामक स्थान पर हुआ था। 8 वर्ष की ही उम्र में उन्हें मजदूरी करनी पड़ी और 18 वर्ष का होने पर उनका विवाह हो गया। उसके बाद वह एक दार्शनिक के रूप में अपने उपदेशों का प्रचार करने लगे। उन्होंने सदा स्वयूँ को प्रलोभनों से दूर रखा और सादा जीवन बिताया। उन्होंने 71 वर्ष की आयु पायी।
समय और परिस्थितियां बदल जाने पर भी उनकी बातों का महत्त्व कम नहीं हुआ। ई.पू. 120 में उनके विचार चीन के राजकीय धर्म बने। उनका विचार था कि राज्य और समाज पर नैतिक पक्ष हावी रहना चाहिए। उन्होंने कुछ ऐसे सिद्धांत सुझाए हैं, जिनसे समाज में वर्ग संघर्ष को टाला जा सकता है। किसी समय कन्फ्यशियस धर्म चीन में बहुत व्यापक था।