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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Brain Drain”, “प्रतिभा पलायन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

प्रतिभा पलायन

Brain Drain

                आज जिसे देखो, उस पर विदेश जाने की धुन सवार है। इस प्रवृत्ति के कारण प्रतिभा का खूब पलायन हो रहा है। यह पढ़े-लिखों का विदेश-पलायन केवल मात्र धन की लालसा है। अधिक से अधिक धन पाने की कामना उन्हें विदेश जाने को बढ़ावा दे रही है। यद्यपि विदेश में उनके साथ कोई सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता, पर सुख-ऐश्वयर्यपूर्ण जीवन की चाह उन्हें सभी कुछ सहने पर विवश करती है। विदेश में भारतीयों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, एशियाई विदेश में अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं।

                सोचने की बात यह है कि ये पढ़े-लिखे लोग भारतीय संसाधनों का उपयोग करते हैं, पर उसका फायदा विदेशी उठा  रहे हैं जबकि इन डाॅक्टरों, इंजीनियरों और कंप्यूटर विशेषज्ञों की अधिक आवश्यकता अपने देश को है। बाहर जाकर ये लोग स्वयं को अन्य भारतीयों से विशिष्ट समझने लगते हैं। भारत आकर ये लंबी-चैड़ी डींगें हाँकते हैं। सरकार को इस प्रतिभा पलायन को रोकने का प्रयास करना चाहिए। इससे देश को बड़ा लाभ होगा।

                हमें पढ़े-लिखों के विदेश-पलायन की समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा। विदेश-पलायन के पीछे छिपी प्रवृत्ति को पहचानना होगा। इसका एक कारण यह भी है कि अभी तक भारत में प्रतिभाशाली व्यक्तियों को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है, जिसके वे अधिकारी हैं। जब विदेश में उनको अवसर मिलता है तो वे इस देश से पलायन कर जाते हैं। उनकी दृष्टि में धन तो रहता ही है, पर वे अपनी पृथक पहचान भी बनाना चाहते हैं।

                पढे़-लिखों के विदेश-पलायन का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि हमारा देश उनकी सेवाओं से वंचित रह जाता है। बे्रन ड्रेन के कारण विदेशी तो लाभ में रहते हैं पर हम घाटे में रहते हैं। उन देशों को तो बिना कोई प्रयास किए प्रतिभाएँ मिल जाती हैं। इनका वे भरपूर लाभ उठाते हैं। हाँ, वे उन्हें अच्छा वेतन अवश्य दे देते हैं। पर आप अनुमान लागाइए कि एक कुशल डाॅक्टर और एक कुशल इंजीनियर को बनाने में हमारे देश का कितना पैसा लगता है। हमारे देश के संसाधन उन पर खर्च होते हैं, पर हमारा देश उनका लाभ नहीं उठा पाता।

                अब प्रश्न उठता है कि इस पलायन को कैसे रोका जाए या इस पर नियंत्रण कैसे लगाया जाए? भारत में प्रशिक्षित स्नाताकों को देश में ही रहकर कुछ वर्ष तक सेवा करने को अनिवार्य किया जाना चाहिए। हाँ, उन्हें वेतन अच्छा दिया जाना भी आवश्यक है।

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