Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Biti Tahi Bisar De” , “बीती ताहि बिसार दे” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
बीती ताहि बिसार दे
Biti Tahi Bisar De
बच्चन जी की कविता की एक पंक्ति में सुखमय जीवन का मंत्र निहित है-‘अंधेरी रात है पर दीवा जलाना कब मना है?’ जीवन में कितनी भी निराशाजनक स्थितियों से क्यों न गुजरना पड़े उन्हें भूलकर आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर है। जिस प्रकार ठहरा हुआ जल विषाक्त हो जाता है उसी प्रकार अतीत के दुखद क्षणों में डूबे रहने से जीवन नरकतुल्य बन जाता है। जो यादों के पत्थर ढोता हुआ चलता है उसका जीवन बोझ बन जाता है। इसके विपूरीत जो असफलताओं निराशाओं को भविष्य भवन की नींव के पत्थर बना लेता है उसके दुखद अनुभव सुखद भविष्य की आधारशिला बन जाते हैं। अतीत की दुखपूर्ण स्थितियाँ ही नहीं सुख और आनंद से भरे क्षणों को भी याद करना उचित नहीं अतीत की मधुर-स्मृतियों में खोए रहना भी वर्तमान से पलायन करना है। जीवन में यदि कुछ अपरिवर्तनीय या अटल सत्य है तो वह है ‘परिवर्तन’। जीवन में चाहें सुख के फूल खिलें या दुख के काँटे चुभे दोनों को स्वीकारते हुए आगे बढ़ते जाना ही समझदारी है। अतीत को भुलाकर वर्तमान की चुनौतियों का साहस से सामना करते हुए ही हम प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं। हमें स्वयं से प्रण करना होगा-
‘तू न थकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ।‘
अतीत की कटु स्मृतियों को भुलाकर जीवन के ‘अग्निपथ’ पर निरंतर चलते रहने में ही जीवन की सार्थकता है।