Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Bill Clinton”, ”बिल क्लिंटन” Complete Hindi Nibandh for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
बिल क्लिंटन
Bill Clinton
श्री विलियम जेफरसन क्लिंटनने 20 जनवरी को अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति (प्रेसीडेन्ट) की शपथ ग्रहण की। चीफ जस्टिस श्री विलियम रेहनक्विस्ट ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। देश विदेश के करोड़ों लोगों ने टेलीविजन पर उनके पद-ग्रहण समारोह को देखा। उनके पद-ग्रहण के बाद श्री एल्बर्ट गोर को उप-राष्ट्रपति (वाइस-प्रेसीडेण्ट) के पद की शपथ दिलाई गई।
बिल क्लिंटन का जन्म 19 अगस्त, 1946 को विलियम जेफरसन ब्लाइथ चतुर्थ के यहां पिता की मृत्यु के तीन महीने बाद होप नामक स्थान पर हुआ था। थोड़े समय बाद ही उनकी मां ने नर्स की नौकरी कर ली और उन्हें बाहर जाना पड़ा। ऐसी स्थिति में क्लिंटन को अपने दादा-दादी की देख-रेख में रहना पड़ा।
1950 में क्लिंटन की मां ने मोटरगाड़ियों के व्यापारी रोजर क्लिंटन के साथ विवाह कर लिया। इसीलिए बाद में विलियम जेफरसन के नाम के साथ ‘क्लिंटन’ शब्द जड गया। कुछ समय बाद उनका परिवार होप से दक्षिण पूर्व दिशा में लगभग 130 कि.मी. दर हॉट स्प्रिंग्स में आकर बस गया। घरेलू जीवन के कोलाहल से बचने के लिए ऐसा कदम उठाया गया। क्लिटन स्कूल में पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छा था। उसकी उपलब्धियां उल्लेखनीय थीं और अपने साथियों में वह ‘गणित का जादूगर’ माना जाता था। लैटिन का भी उसे अच्छा ज्ञान था।
स्कूली जीवन में क्लिंटन की अनेक आकांक्षायें थीं। 1963 में केनेडी से भेंट होने पर उसका उत्साह बढ़ा। उसकी राजनैतिक आकांक्षा ने मूर्त रूप धारण किया लेकिन आगे कालेज में प्रवेश पाने के बाद कई सालों तक उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ी। लुइसियाना राज्य में संगीत सीखने के लिए छात्रवृत्ति देने की पेशकश की गई लेकिन क्लिंटन ने उसे अस्वीकार कर दिया और वाशिंगटन डी. सी. में स्थित जार्ज टाउन विश्वविद्यालय में भर्ती हो गया। वह सरकारी सीट के समकक्ष ही थी – इतनी निकट जितनी अरकन्सास का नवयुवक प्राप्त कर सकता था। अरकन्सास के सेनेटर जे. विलियम फुलब्राइट की ही भांति क्लिंटन भी नैतिक आधार पर वियतनाम युद्ध के विरोधी थे। कुछ समय तक क्लिंटन ने फुलब्राइट के यहां पार्ट-टाइम काम भी किया।
1968 में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध में ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने के बाद क्लिंटन को आक्सफोर्ड, लन्दन में दो वर्ष तक अध्ययन के लिए रोडस छात्रवृत्ति मिल गई। 1970 में लंदन से लौटने के बाद उन्होंने येल विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई के लिए दाखिला ले लिया। यहीं पर उनकी भेंट हिलेरी रोदम से हुई, जिसके साथ बाद में क्लिंटन का विवाह हुआ। हिलेरी रोदम भी उसी कालेज में कानून की विद्यार्थी थी और अपनी कक्षा में सबसे बुद्धिमती छात्रा थी। 1975 में दोनों का विवाह हो गया और उनकी एक पत्री है, जिसका नाम है – चेलसिया। मई 1991 तक क्लिंटन के जीवन में अनेक उतार-चढाव आये। कई सफलताओं और विफलताओं का सामना करना पड़ा।
मई 1991 में डेमोक्रेट्स का वार्षिक सम्मेलन क्लीवलैंड में हुआ। यहां क्लिंटन ने मुख्य भाषण (की-नोट एड्रेस) दिया। उनके इस भाषण को वर्ष का सर्वोत्तम भाषण माना गया। अपने सलाहकार और अपनी पत्नी से सलाह करने के बाद 3 अक्टूबर, 1991 को क्लिंटन ने अरकन्सास में लिटिल रॉक में स्टेट हाउस के सामने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी। पांच महीने तक चले प्राथमिक चुनावों में विजयी होने के बाद पार्टी की ओर से जुलाई 1992 में उनका नाम प्रेसीडेण्ट पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया गया। उनके चुनाव में मुख्य मुद्दे थे – ‘परिवर्तन’ और ‘सबसे पहले जनता।
जॉन एफ. कैनेडी के बाद अमेरिकी प्रेसीडेण्टों में क्लिंटन ही सबसे कम उम्र वाले प्रेसीडेण्ट हैं। होप का सपूत आज संसार के सबसे शक्तिशाली देश का है। उनके सामने अनेक समस्याएं हैं: डगमगाती अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करना, बढ़ा हुआ तनाव दूर करना और सोवियत संघ के विखण्डन से उत्पन्न समस्याएं।
उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी की नई सरकार को जर्जर अर्थव्यवस्था विरासत में मिली जिसमें तीन सौ अरब डालर का बजट घाटा तथा इसके अलावा चार अरब डालर का राष्ट्रीय कर्ज मिला। राष्ट्र को संबोधित करते हए श्री क्लिंटन ने देशवासियों से अपील की कि वह नई पीढी के नेतत्व में बनी सरकार की मदद करें और कठिन स्थिति का सामना करें और ठोस कदम उठाएँ। उन्होंने सरकार का संकल्प भी दोहराया, “हम न चुनौतियों से मुंह फेरेंगे और न अवसरों को हाथ से जाने देंगे।”
अमेरिका के सबसे कम उम्र वाले, सबसे सुन्दर, सबसे अधिक कृतसंकल्प और ओजस्वी प्रेसीडेण्ट से अमेरिका के लोगों और सारे संसार को बड़ी आशाएं हैं। हमें आशा है कि हमारी अपेक्षाएं फलीभूत होंगी। हमें आशा है कि अमेरिका के नए प्रेसीडेण्ट राष्ट्र संघ की आड़ में दुनिया में पुलिसमैन जैसी भूमिका नहीं निभायेंगे। स्वयं क्लिंटन के शब्दों को हम याद करें। उन्होंने कहा है कि हम दुनिया के देशों के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाने की भरसक कोशिश करेंगे।