Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Andrei Sakharov” , ”आंद्रेई सखारोव” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
आंद्रेई सखारोव
Andrei Sakharov
रूस : आलोचक
जन्म : 1921 मृत्यु : 1989
आंद्रेई सखारोव की गणना सोवियत व्यवस्था के कट आलोचकों में की जाती है. किन्त जो उन्हें परी तरह अमरीका-परस्त भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उन्होंने सदैव वैज्ञानिक शक्ति के दुरुपयोग का विरोध किया।
आंद्रेई सखारोव का जन्म 21 मई, 1921 को मास्को में हुआ था। वह हाइड्रोजन बम के आविष्कारक थे। उनके पिता सेना में थे तथा मां वैज्ञानिक थी। सखारोव ने अपना दूसरा विवाह हेलेना बोनर से किया था, जिन्हें कई वर्ष गोर्की में प्रतिबंधित जीवन गुजारना पड़ा था। सखारोव को तीन बार ‘हीरो ऑफ दि सोवियत यूनियन’ एवं एक बार ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ (1975) से सम्मानित किया गया। सन् 1980 में सुप्रीम सोवियत ने उन्हें छः वर्षों तक के लिए सभी सम्मानों से वंचित रखा। जब सोवियत फौजे अफगानिस्तान गई, तो सखारोव ने रूस के इस कदम का जमकर विरोध किया। फलस्वरूप उनपर विपत्तियां टूट पड़ी।
सन् 1980 में उन्हें गोर्की में नजरबंद कर दिया गया। उन्हें के.जी.बी. के माध्यम से कई यातनाएं दी गई। यहां तक कि उन्हें कई साल वैज्ञानिक कार्यों से दूर रखा गया। फिर भी यह दृढ़ प्रतिज्ञ व्यक्ति अपने मार्ग से नहीं डिगा, बल्कि उन्होंने मानव अधिकार एवं कैदियों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखा। इधर सारी दुनिया में सखारोव की रिहाई के लिए बार-बार आवाज उठ रही थी।
सन् 1985 के बाद सोवियत संघ में ‘ग्लास्तनोस्त’ एवं ‘पेरिस्त्रोइका’ की हवाएं चलने लगी। गोर्बाचेव का उदार एवं सुधारवादी युग प्रारंभ हो गया। सोवियत समाज परिवर्तन के दौर से गुजरने लगा। सखारोव के भी दिन फिरे। उन्हें अपने निर्वासन् से मुक्ति मिली। किन्तु वह बहुत ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहे। 15 दिसम्बर, 1989 को मास्को में उनका निधन हे गया। उनके पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाने वालों में गोर्बाचेव भी थे।
आंद्रेई सखारोव ने जिस साहस के साथ सोवियत व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठायी उससे वह पश्चिमी जगत के लाखों लोगों के चहेते बन गए। सखारोव ने अंतरिक्ष एवं भौतिव विज्ञान के अतिरिक्त हाइड्रोजन बम के क्षेत्र में जो योगदान दिया, उससे रूस को अमरीक के समकक्ष आने में बहुत मदद मिली, परंत वैचारिक धरातल पर सखारोव सोवियतों से सामंजस नहीं रख सके। ‘सखारोव स्पीक्स’ उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। सन् 1989 में उन्हें ‘आइंस्टीन एवाड प्रदान किया गया।