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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Adhunik Sanchar Kranti”, “आधुनिक संचार क्रांति” Complete Hindi Essay, Nibandh, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

आधुनिक संचार क्रांति

Adhunik Sanchar Kranti

अथवा

इंटरनेट, ई-मेल, डॉट कॉम (वेबसाइट)

Internet, Email, dot Com Website

अथवा

संचार के नए आयाम

Sanchar ke Naye Aayam

प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त हो गये हैं जो हमें जीवन की सभी सुविधाएँ, सभी आराम प्रदान करते हैं। आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम संचार क्षेत्र में उठाए गए हैं। अनेक नए स्रोत, नए साधन  और नई सुविधाएँ प्राप्त कर ली गई हैं जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर ले जाकर खड़ा करता है। ऐसे ही संचार साधनों में आज एक बड़ा ही सहज नाम है इंटरनेट |

यूं तो इसकी शुरुआत 1969 में एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसिज़ द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था संचार माध्यमों को वैसी आपात स्थिति में भी बनाए रखना जब सारे माध्यम निष्फल हो जाएँ। 1971 तक इस कम्पनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया था। 1972 में शुरुआत हुई ई-मेल अर्थात् इलेक्ट्रोनिक मेल की जिसने संचार जगत में क्रांति ला दी।

इंटरनेट प्रणाली में प्रॉटोकॉल एवं एक टी.पी. (फाइल ट्रांस्फर प्रॉटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट यूज़र (प्रयोगकर्ता) किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है। 1978 में ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रॉटोकॉल जिसे इंटरनेट प्रॉटोकॉल को डिजाइन किया गया। 1983 तक यह इंटरनेट पर एवं कम्प्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया।

मोन्ट्रीयल के पीटर इयूस ने पहली बार 1989 में मैक्-गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयोग किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉरिशन के बिडस्टर क्रहले ने एक-दूसरा इंडेक्सिंग सिस्सड वाइड एरिया इन्फोर्मेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पार्टिकल फ़िसिक्स के बनर्स ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नई तकनीक विकसित की जिसे वर्ल्ड-वाइड वेब के नाम से जाना गया। यह हाइपर टैक्सट पर आधारित होता है जो किसी इंटरनेट यूज़र को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डॉक्यूमेन्ट को दूसरे को जोड़ता है। यह काम हाइपर-लिंक के माध्यम से होता है। हाइपर-लिंक विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफ़िक्स को कहते हैं।

धीरे-धीरे इंटरनेट के क्षेत्र में कई विकास हुए। 1994 में नेटस्केप कॉम्यूनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट के ब्राउजर बाजार में उपलब्ध हो गए जिससे इंटरनेट का प्रयोग काफ़ी आसान हो गया। 1996 तक इंटरनेट की लोकप्रियता काफ़ी बढ़। गई। लगभग 4.5 करोड़ लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग शुरू कर दिया। इनमें सर्वाधिक संख्या अमेरिका (3 करोड) की थी, यूरोप से 90 लाख और 60 लाख एशिया एवं प्रशांत क्षेत्रों से था।

ई-कॉम की अवधारण कोफ़ी तेजी से फैलती गई। संचार माध्यम के नए-नए रास्ते खुलते गए। नई-नई शब्दावलियाँ जैसे ई मेल, वी-मेल, वेबसाइट (डॉट-कॉम), वायरेस, लवबग आदि इसके अध्यायों में जुड़ते रहे। वर्ष 2000 में इंटरनेट इतनी बढ़ गई कि इसमें कई तरह की समस्याएँ भी उठने लगी। कई नए वायरस समय-समय पर दुनिया के लाखों कम्प्यूटरों को प्रभावित करते रहे। इन समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र आगे बढ़ता रहा। भारत भी अपनी भागीदारी इन उपलब्धियों में जोड़ता। रहा। आज भारत में इंटरनेट कनेक्शनों और प्रयोगकर्ताओं की संख्या लाखों में हैं।

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