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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Aaj ke Lokpriya Khel”, ”आज के लोकप्रिय खेल ” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

आज के लोकप्रिय खेल

Aaj ke Lokpriya Khel

खिलाड़ी होना मनुष्य का सहजात स्वभाव है। तभी तो जन्म लेने के बाद कुछ होश सम्हालने पर बच्चा खेल-कूद को ही सब से अधिक महत्त्व दिया करता है। अन्य सभी कुछ भूल कर उसका ध्यान भी अधिकतर खेल-कूद में ही रमा और केन्द्रित रहा करता है। उसे अन्य कुछ सूझता ही नहीं। आरम्भ से ही शिक्षा के साथ खेल-कूद को दो प्रमुख कारणों से महत्त्व दिया जाता रहा और आज भी दिया जाता है। एक तो इस लिए कि खेल मानव स्वास्थ्य के लिए बड़े उपयोगी हुआ करते हैं। दूसरे आदमी खेलों के माध्यम से कई प्रकार की शिक्षाएँ भी जीवन में प्राप्त किया करता है।

जो हो, प्रत्येक युग में कई तरह के खेल खेले तो जाते ही हैं। पर उनमें से अधिक लोकप्रियता कुछ खेल ही पाया करते हैं। आज भी कई तरह के खेल प्रचलित हैं। जैसे-हॉकी. फुटबॉल, वालीबॉल, बास्किट बॉल, क्रिकेट, कुश्ती, दौड़, तैराकी, नौकायन, भाला फेंक चक्का-फेंक, भारोत्तोलन, साइकलिंग, एथेलेटिक्स आदि। यों तो इन सभी खेलों का काफी प्रचलन है। खेल प्रतियोगिताओं में इन सभी का आयोजन किया जाता है। लगभग सभी देशों के हज़ारों खिलाड़ी इन प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया करते हैं। फिर भी यदि इनमें से सर्वाधिक लोकप्रिय खेलों के चयन का प्रश्न हो, तो उनमें से कुछ को निम्नलिखित क्रम से रखा जा सकता है:

फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, बास्किट बॉल, तैराकी आदि। बाकी सभी तरह के खेल इन के बाद किसी भी क्रम से रखे जा सकते हैं। फुटबॉल और क्रिकेट दो ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खेल हैं कि जब विश्व के किसी भी कोने में इनका मैच या प्रतियोगिता चल रही होती है, तो सारी दुनिया के खेल-प्रेमियों के सिरों पर एक तरह का भूत या पागलपन-सा सवार हो जाया करता है। घर-बाहर, दफ्तर-दुकान बस में हो या बाजार में सिवा इनकी चर्चा के और कहीं कुछ भी सुनाई नहीं देता। सभी अपनी इच्छित टीम के कारनामे और जीत के समाचार सुनने को बेताब रहा करते हैं। किक, हिट, पैनल्टी करनी, राइट ऑफ या हाफ या फुल हाफ, चौका-छक्का आदि के सिवा कुछ भी सुनने को नहीं मिलता। जो इस तरह की टर्मिनॉलोजी से परिचित नहीं भी रहते, वे लोग भी इसी में बातें करते हुए दीख-सुन पड़ते हैं।

फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी आदि तीनों लोकप्रिय खेलों में प्रत्येक टीम में उनके कैप्टन समेत ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी रहा करते हैं। फुटबॉल हॉकी में एक-एक खिलाड़ी गोलकीपर कहलाता है जबकि बाकी के सभी मैदान में अपने-अपने निश्चित स्थानों पर खेलते हैं। इन दोनों खेलों में टीम के खिलाड़ियों का प्रयास नियमपूर्वक खेलते हुए विपक्षी से गेंद या फुटबॉल छीन कर उनके पाले (गोल-विकेट) में डालने होता है। ऐसा अधिक बार कर लेने वाली टीम ही विजेता मानी जाती है। क्रिकेट में एक खिलाड़ी गोलकीपर की तरह विकेट कीपर हुआ करता है। कई बॉलरों में से एक बॉल किया या फेंका करता है, जबकि टीम के शेष सदस्य बॉल को मारने पर उसे रोकने और वापिस बॉलर के पास फेंकने वाले हुआ करते हैं; ताकि विपक्षी टीम के खिलाड़ी अधिक रन न बना सकें। इस प्रकार क्रिकेट में अधिक रन बनाने वाली टीम ही विजेता घोषित की जाती है। फुटबॉल, क्रिकेट और हॉकी ये तीनों लोकप्रिय खेल स्त्री-पुरुष दोनों द्वारा अपनी अलग-अलग टीमों में खेले जाते हैं। आजकल किशोरों (18 साल से कम आयु) की टीमें भी बनाई जाती हैं। उनके बाकायदा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगितात्मक मैच भी आयोजित किए जाते हैं।

बाकी खेलों में टैनिस और बैडमिण्टन ऐसे खेल कहे-माने जा सकते हैं कि जिन की लोकप्रियता उपर्युक्त तीन खेलों के बाद सब से अधिक है। विशेषता यह है कि उपर्युक्त तीनों खेल तो सामान्य-विशेष सभी के साँझे माने जाते हैं, जबकि टैनिस-बैडमिण्टन आदि को सम्भ्रान्त वर्ग के सम्भ्रान्त जनों के खेल ही माना जाता है। इन का आयोजन भी प्रायः अमीर देशों में किया जाता है। खिलाडी तो अमीर घरों के ही होते हैं, उनके लिए जो पुरस्कारों की योजना (विजेता-पराजित दोनों के लिए) बनाई जाती है, वह भी अन्य खेलों की तुलना में कहीं अधिक-बहुत अधिक हुआ करती है। सो विजेता तो फायदे में रहता ही है, पराजित को भी हारने के सिवाए बहुत अधिक आर्थिक घाटा नहीं उठाना पड़ता। इसी कारण इस तरह के खिलाड़ी उच्च स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रवेश पाने के लिए हमेशा लालयित रहा करते हैं; पर क्योंकि यह खेल दो या चार खिलाड़ियों में ही खेला जाता है, इस कारण बड़े ही सधे हुए खिलाड़ी ही इनकी प्रतियोगिताओं में स्थान पाया करते हैं।

अन्य सभी तरह के खेलो का भी अपना-अपना निश्चित महत्त्व है। उनके भी राष्ट्रीय आयोजन तो होते ही रहते हैं, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के अवसरों पर गहमा-गहमी तरह कम नहीं हुआ करती। उस समय पुरस्कार आदि भी प्रायः अन्य खेलों के समान ही महत्त्वपूर्ण हुआ करते हैं| खेल कोई भी हो, अपनी मूल अवधारणा या संयोजना की महत्त्वहीन नहीं होता। सभी के लिए समान रूप से उत्साह और परिश्रम जरूरी करता है। किसी एक ने हारना-जीतना तो होता ही है, सो प्रत्येक खेल खिलाडी भावना से खेला जाना चाहिए, आवश्यक बस यही बात होनी चाहिए।

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