Hindi Essay/Paragraph/Speech on “सिगमड फ्रायड” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
सिगमड फ्रायड
आस्ट्रिया : आधुनिक मनोविश्लेषण के प्रणेता
जन्म : 1856 मृत्यु : 1939
आधुनिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में सिगमंड फ्रायड की ऐतिहासिक भूमिका रही है। विश्व के सभी विश्वविद्यालयों में उनके मनोविश्लेषण को पाठ्यक्रम के अंतर्गत पढ़ाया जाता है। कई सर्वेक्षक फ्रायड को 20वीं सदी के सर्वाधिक उल्लेखनीय चरित्रों में शामिल करते हैं।
सिगमंड फ्रायड का जन्म 6 मई, 1856 को हुआ था। वह विएना के एक माने हुए चिकित्सक थे। उन्हें किसी भी रोग के कारण जानने तथा उसके उपचार करने में महारत हासिल थी। वह मानते थे कि कोई भी कार्य अकारण नहीं होता। जब यूरोप में नाजी सेनाएं आस्ट्रिया की ओर बढ़ीं, तब तक फ्रायड वहां से जा चुके थे। 23 सिंतबर, 1939 को उनका निधन हुआ, ‘दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स’, ‘द साइकोपैथोलॉजी ऑफ एवरी डे लाइफ’, ‘द ईगो एंड इड’, ‘सिविलाइजेशन एंड इट्स डिस्कटेंट्स’, ‘मोजेस एण्ड मोनोथिज्म’ के अतिरिक्त ‘मनोवैज्ञानिक विश्लेषण’ उनकी युग प्रवर्तक रचनाएं है।
फ्रायड का मनोविश्लेषण जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालता है। उन्होंने काम (Sex) को जीवन की अनेक क्रियाओं का मूल आधार मानकर व्यक्तित्व-विज्ञान की बहुत-सी गुत्थियों को हल करने में योगदान दिया। वह रोगों के उपचार में ‘सम्मोहन’ को काफी महत्त्व देते थे। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से ‘स्वतंत्र काम प्रवृत्ति’ को प्रोत्साहन दिया। वैज्ञानिक जगत में फ्रायड के विचारों का अनुसरण करने वाले ‘फ्रायडवादी’ कहे जाते हैं।
फ्रायड के अनुसार मूल प्रवृत्ति एक जन्मजात मूल शक्ति है, जो व्यक्ति के व्यवहार को संचालित एवं निर्धारित करती है। वह दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियों की ओर इंगित करते हैं: जीवन मूल प्रवृत्ति तथा मृत्यु मूल प्रवृत्ति। इसके अंतर्गत वह ‘काम’ तथा ‘ध्वंसात्मक कार्य की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। मनोविज्ञान में फ्रायड ने विशेषकर यौन तथा स्वप्न का उपयोगी विश्लेषण प्रस्तुत किया।
फ्रायड एक विलक्षण मनोवैज्ञानिक थे। समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर उनके विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा और सामाजिक विज्ञानियों को नई दिशा मिली। द्वितीय महायुद्ध के बाद पश्चिमी संस्कृति के आधुनिकीकरण में फ्रायड के विचारों का प्रमुख योगदान था।