Hindi Essay/Paragraph/Speech on “ज्यां पॉल सार्च ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
ज्यां पॉल सार्च
फ्रांस : सुप्रसिद्ध दार्शनिक, लेखक
जन्म : 1905 मृत्यु : 1980
महान लेखक एवं दार्शनिक ज्यां पॉल सात्र का जन्म सन् 1905 में पेरिस (फ्रांस) में हुआ था। उन्हें फ्रेंच एवं जर्मन की शिक्षा दी गई। वह बचपन से ही बौद्धिक प्रवृत्ति के थे। युवाकाल में महायुद्ध की विभीषिका ने उनके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला। वह सन् 1940-41 में नाजी शिविर में कैदी भी रहे। बाद में सात्र ने रेजिस्टैन्स ग्रुप’ (सोशलिज्म एट लिबर्ट) से अपने को जोड़ा। वह ‘ला तौं मोदान’ के संपादक भी रहे। सन् 1964 में उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया, जिसे उन्होंने आलू का थैला कहकर ठुकरा दिया। सार्च का देहांत 15 अप्रैल, 1980 को पेरिस में हुआ।
सार्च जीवन भर अपनी लेखिका साथी सिमोन डि ब्यवायर के साथ अविवाहित रहे। सिमोन ने कई विख्यात कृतियां दी हैं। जैसे – ‘दि सेकंड सेक्स’, ‘लेस मेंडारिंस’, ‘दि वूमन डिस्ट्रॉएड’, ‘शी केम टू स्टे’, ‘ला बेल इमेजेज’, ‘मैमोरीज ऑफ ए ब्यूटीफल डॉटर’, ‘दि फोर्स ऑफ सर्कमस्टांसेज’, ‘प्राइम एंड लाइफ’ आदि।
सार्च की कृतियां हैं- ‘वर्ड्स’ (आत्मकथा), ‘बींग एंड नथिंगनेस’, ‘नौसिया’, ‘दि एज ऑफ रीजन’, ‘आयुरन इन द सोल’, ‘व्हाट इज लिटरेचर’, ‘द फ्लाइज’, ‘दि डेविल एंड दि गुड लार्ड’, ‘रिप्रीव’, ‘नो एग्जिट’, ‘दि विक्टर्स’, ‘दि रेस्पेक्टेबल प्रास्टीट्यूट’, ‘नेकासोव’, ‘क्रिटीक’, ‘सिचएशन्स’, ‘बोदलेयर’, ‘सैंट जेनेट: कोमेडियन एट मार्टिर’, ‘कीन’, रोड्स ट फ्रीडम’, ‘ओरेस्ट्रस’, ‘लेस मोत्स’, ‘बिटवीन एक्जिस्टेशियलिज्म एंड मेटीरियलिज्म’।
ज्यां पॉल सात्र की रचनाओं पर सन् 1947 में क्रेमलिन एवं वेटिकन के चर्च ने प्रतिबंध लगा दिया था। सात्र ने टाई लगाने, विवाह करने, वंशानुगत परंपरा निबाहने जैसे कार्यो का भी विरोध किया था। द्वितीय महायुद्ध में शांति सैनिक रहे सात्र ने वियतनाम, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया आदि पर अमरीका एवं रूस के आक्रमणों की तीव्र भर्त्सना की।
सार्च हमेशा अपना मौलिक दर्शन लेकर चले। शास्त्रीय एवं तत्कालीन ज्ञान-विज्ञान के बीच उनके विचार और प्रखर होते गए।