Hindi Essay, Paragraph, Speech on “My Favourite Hobby”, “मेरा प्रिय शौक” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
मेरा प्रिय शौक
My Favourite Hobby
किसी प्रकार का शौक भी मनोरंजन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। अपने शौक के कार्य करके व्यक्ति आनंद प्राप्त कर सकता है। बिना किसी शौक के मनुष्य का जीवन नीरस हो जाता है। मनुष्य अपने शौक का कार्य खाली समय में करता है। ये शौक कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे-बागवानी, पकवान बनाना, चित्रकारी, पुस्तकें पढ़ना, घूमने जाना, टेलीविजन देखना। बहुत से लोगों को डाक टिकटें, सिक्के आदि एकत्र करने का शौक होता है। मैं भी एक छात्र हूँ तथा मैं भी अपने खाली समय में मनोरंजन के लिए विभिन्न महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़ता हूँ। यही मेरा प्रिय शौक है। मेरे पास नेहरू, गांधी, सुभाषचंद्र बोस, मौलाना अबुल कलाम आजाद, रानी लक्ष्मीबाई, अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग, दयानंद, प्रेमचंद, लाला लाजपत राय आदि की किताबें रखी हैं। मैं जब इन सभी महापुरुषों के संघर्षमय जीवन के बारे में पढ़ता हूँ, तो मन में प्रेरणा तथा उत्साह का संचार होता है।
अब्राहम लिंकन और प्रेमचंद ने विषम परिस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। अंत में उन्हें सफलता मिली तथा उन्होंने समाज को एक नया मार्ग दिखलाया। इनकी जीवनी पढ़ते समय लगता है, मैं इनके साथ बैठा हूँ। गांधी जी की अहिंसा, नेहरू के समाजवाद, कलाम की विद्वत्ता तथा लाला लाजपत राय की देशभक्ति आदि के गुणों ने मुझे काफी प्रभावित किया है। इन महापुरुषों ने बिना किसी स्वार्थ के देश, समाज, धर्म तथा मानवता के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।
इससे मुझे देश, समाज, विश्व में चले आंदोलनों तथा कारणों की जानकारी मिलती है। अतीत के बारे में पढ़कर तथा उससे सीख लेकर हम अपने वर्तमान तथा भविष्य को भी सुखद बना सकते हैं। साथ ही मैं अपने देश की सभ्यता-संस्कृति के बारे में जान पाता हूँ। इससे खाली समय में मेरा मनोरंजन होता है साथ ही ज्ञान में भी वृद्धि होती है। मैं अपना जेबखर्च खाने-पीने में खर्च न कर पुस्तकें खरीदने में करता हूँ। अच्छी पुस्तकें अच्छे मित्र की तरह होती हैं। जब मन में इच्छा हो तब वह हमें ज्ञान देने के लिए तैयार रहती हैं। पढ़ने का शौक वास्तव में अत्यंत अच्छा शौक है। यह मनुष्य के चरित्र को भी अच्छा बनाता है तथा उसका ज्ञान भी बढ़ता है। किंतु पुस्तकें स्वस्थ विचारों तथा ज्ञान-प्रदान करने वाली होनी चाहिए। गंदी तथा बुरी पुस्तकें मनुष्य के चरित्र को हानि पहुँचाती हैं। सभी को अच्छी पुस्तकें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए।