Hindi Essay-Paragraph on “Vidyarthi Jeevan mein Khelo ka Mahatva” “विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्त्व” 500 words Complete Essay for Students.
विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्त्व
Vidyarthi Jeevan mein Khelo ka Mahatva
धर्म की साधना करने का प्रमुख माध्यम स्वस्थ शरीर है। प्रकृति ने मानव शरीर के रूप में एक अमूल्य रचना हमारे हाथों में सौंपी है।
विज्ञान अपनी असंख्य आश्चर्यजनक उपलब्धियों के बावजूद मानव शरीर रूपी यंत्र की रचना नहीं कर सकता है। इस मशीन को स्वस्थ बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। समाज, देश और प्रकृति उस परमात्मा के प्रति भी जिसने यह धरोहर हमें सौंपी है।
इस शरीर को स्वस्थ, लचीला, चुस्त और फुर्तीला बनाए रखने में खेलों की उपयोगिता सर्वाधिक है। खेलों के द्वारा हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का व्यायाम स्वतः हो जाता है। इससे हमारी मांसपेशियां दृढ़ होती है। हममें रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। हमारी इंद्रियां ठीक-ठाक काम करने लगती हैं। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अतः कहा जा सकता है कि खेल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है। सीखने की क्रिया में खेलों का महत्त्व असंदिग्ध है। मानव जीवन में खेल की अनिवार्यता प्राथमिक तौर पर भी देखी जा सकती है। छोटा शिशु भी प्रारंभ से ही खेलने लगता है। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो, माता-पिता चिंतित हो उठते हैं कि कहीं उसके नैसर्गिक विकास में कोई बाधा तो नहीं आ रही है। बच्चा खेलों के द्वारा भावी जीवन जीना सीखता है। लड़कियां गुड़ियों के खेल से मातृत्व, गृहस्थी आदि का भार उठाने के लिए स्वयं को तैयार करती हैं। खेलों से ही उनमें सहयोग और सहायता की भावना बढ़ती हे। वे व्यक्ति के स्थान पर समाज को अधिक महत्त्व देना चाहते हैं। यही नहीं खेलों द्वारा मस्तिष्क तथा अन्य अंगों का सामंजस्य भी बढ़ता है।
आज जो भी देश उन्नत है, वहां खेल-कूद की अच्छी व्यवस्था है। एशियाड और ओलंपिक खेलों में जापान, कोरिया, हॉलैंड, जर्मनी जैसे छोटे-छोटे देश भी अद्भुत कौशल का प्रदर्शन करते हैं। क्योंकि वहां बच्चों को छोटी उम्र से ही खेल-कूद का प्रशिक्षण दिया जाता है। विद्यालय के खेल के मैदानों में राष्ट्र की भावी पीढ़ी का निर्माण होता है। नेपोलियन को जब वाटरलू में हराया गया था तो कहा गया कि वह युद्ध वाटर लू में नहीं ‘एटन’ के खेलों के मैदान में लड़ा गया। अर्थात् एटम के प्रशिक्षण से स्वस्थ और बलवान युवक ही नेपोलियन से टक्कर ले सके। खेलों से आर्थिक लाभ होता है। विश्व की सैर खिलाड़ी बिना खर्च के करता है तथा खेलप्रतियोगिता जीतने पर बड़ी इनामी राशि भी मिलती है। देश और समाज से काफी सम्मान भी मिलता है। अब तो खिलाड़ियों को बड़ी कंपनियां प्रयोजित भी करने लगी हैं जिससे खिलाड़ियों के आर्थिक दशा का सुधार होने लगा है।
खेलों के महत्त्व को स्वीकार करते हुए विवेकानंद ने कहा- “मेरे नवयुवक बलवान बनो। तुमको मेरी यही सलाह है। गीता के अभ्यास की अपेक्षा फुटबॉल खेलने से तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और बलवान शरीर रहने पर ही गीता के उपदेश तुम्हें अच्छी तरह समझ में आ पाएंगे।