Hindi Essay-Paragraph on “Samay ka Sadupyog” “समय का सदुपयोग” 700 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
समय का सदुपयोग
Samay ka Sadupyog
जीवन में समय से अधिक मूल्यवान और कुछ नहीं है। उसके एक-एक पल का सदुपयोग करना हमारा कर्तव्य है। कबीरदास ने इसीलिए कहा है-
काल करै सौ आज कर, आज करै सो अब्ब।
पलं में परलय होयगी, बहुरि करोगे कब्ब ॥
मानव-जीवन अपार इच्छाओं का घर है। जीवन समाप्त हो जाता है, लेकिन इच्छाएं समाप्त नहीं होतीं। इच्छाओं की पूर्ति की कामना में ही हम अपने संपूर्ण जीवन को गंवा बैठते हैं। ईश्वर ने हमें प्रतिभा दी है, लेकिन प्रतिभा का विकास समय के मूल्य को पहचानने से ही हो सकता है। मूर्ख व्यक्ति समय के महत्त्व को न पहचानकर आलस्य में डूबा रहता है। जबकि विद्वान ‘काव्य शास्त्र विनोदेन’ में अपने जीवन की उपयोगिता समझते हैं। जीवन में जिस समय नियम की बात कही जाती है, उसका पूर्ण निर्वाह समय के सदुपयोग में ही निहित है। समय के सदुपयोग से ही हमें जीवन में सफलता मिलती है। खासकर विद्यार्थी जीवन में तो समय का बहुत अधिक महत्त्व है। अच्छे विद्यार्थी समय से ही अपना कार्य करते हैं। जो विद्यार्थी समय का मूल्यांकन नहीं करते, वे सदैव आलस्य में डुबे रहते हैं और अंत में उन्हें पछताना पड़ता है। शेक्सपीयर ने कहा है, “मैंने अपने समय को नष्ट किया, अब समय मुझे नष्ट कर रहा है। समय धर्म है, हमें हर स्थिति में समय की पाबंदी का ध्यान रखना चाहिए।”
समय के सदुपयोग के लिए हमें नित्य प्रति के आवश्यक कार्यों की समयानुसार एक सूची तैयार कर लेनी चाहिए। फिर उसी के अनुसार अपना सारा कार्य पूरा कर लेना चाहिए। इस प्रकार निःसंदेह प्रारंभ में कुछ कठिनाई होगी लेकिन बाद में स्वयं एक दिनचर्या बन जाएगी। हमारा काम तब नियम से होता चलेगा। हम समय के साथ चलने के अभ्यस्त हो जाएंगे। इसके लिए हमें समय का स्वयं विभाजन करना पड़ेगा। समय का सदपयोग किसी कार्य के करने में तभी होगा, जबकि हम ऐसे कार्य करें, जिनसे व्यक्तिगत अथवा सामाजिक रूप से लाभांवित हो सकें। व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति यद्यपि किंचित सुखदायी अवश्य होती है, परंतु वह हमारी हृदय, विशालता का प्रतीक कदापि नहीं हो सकती। इसलिए समय का सर्वाधिक सदुपयोग उन संतों एवं महात्माओं के उपदेश देने की क्रिया में होता है, जहां पर हित ही एकमात्र लक्ष्य होता है। लेकिन ऐसा व्यक्तिगत स्वार्थ भी जो भविष्य में समाज का हित संपादन कर सके, समय के सदुपयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके लिए सत्संगति के अतिरिक्त ऐसे महापुरुषों के जीवन को पढ़ना चाहिए, जिनसे शिक्षा मिल सके। सदैव उच्च विचार संपन्न साहित्य का अध्ययन, भाषणों का श्रवण एवं जीवनोपयोगी वार्तालाप में ही समय का सदुपयोग है। अपनी आत्मशक्ति के लिए कुछ समय ईश्वरोपासना में भी व्यतीत करना चाहिए। पुनः अपने आत्मोत्सर्ग के लिए अन्य कार्य करने चाहिए।
मानव होने के नाते समाज एवं राष्ट्र के प्रति भी हमारे कुछ कर्तव्य है। जीवन में उनके पालन और निर्वाह हेतु प्रयत्नशील रहना आवश्यक है। संत सदैव दीनहीनों की मदद करते हैं। सुख-साधनों के लिए जीवन का संपूर्ण त्याग कर देते हैं। बापू से बढ़कर आज के युग में और किसका उदाहरण दिया जा सकता है। तात्पर्य यह कि सामाजिक एवं राष्ट्र के संबंध में सोचना और पुनः कार्यावित करना भी अपेक्षित है। इसके लिए हमें अपना एक स्थिर लक्ष्य बनाना चाहिए, अन्यथा हमें अपने मार्ग से तो निश्चित ही भटक जाएंगे तथा समय के सदुपयोग की श्रृंखला भी टूट जाएगी। हमारे अनेक देशभक्तों ने प्रत्येक पल को देशहित में व्यय किया। संसार में धनोपार्जन ही सब कुछ नहीं है। मानव जाति के प्रति अपने कर्तव्यों का पूर्ण पालन करना ही सच्ची मनुष्यता है तथा इससे बढ़कर समय का सदुपयोग और किन कार्यों में हो सकेगा?
इस आदत से जीवन सुखमय हो जाता है। हम न कभी भविष्य की असफलता से भयभीत होते हैं और न बाधाओं से विचलित। आत्मनिर्भरता, कर्तव्यपरायणता आदि गुणों का उदय होता है। जो लोग ऐसे अमूल्य समय का यूं ही खो देते हैं वे अपने आपके बहुत बड़े शत्रु हैं। मानव-जीवन एवं राष्ट्र के कलंक हैं। विश्व में जितने भी महापुरुष, वैज्ञानिक, साहित्यकार और कलाकार हुए हैं, उनका जीवन समय की इसी उपादेयता की अमर कहानी है। निःसंदेह समय की शक्ति बहुत प्रबल होती है। उसका एक-एक क्षण बहुत महान है। अतः उसको खोना मौत को आमंत्रित करना है। हमारा पुनीत कर्तव्य है कि समय का सदुपयोग कर समाज एवं राष्ट्र का हित-संपादन कर जीवन को सार्थक करें।