Hindi Essay-Paragraph on “Purush ho, Purusharth karo”, “पुरुष हो, पुरुषार्थ करो” 200 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Exam.
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो
Purush ho, Purusharth karo
पुरुष होने के नाते पुरुषार्थ करना मनुष्य का परम धर्म है। पुरुषार्थ के बिना मनुष्य अपने स्वार्थ की सिदधि भी नहीं कर सकता। जीवन में सभी कार्य पुरुषार्थ से ही सिद्ध होते हैं। सोते हुए सिंह के मुँह में पशु स्वयं नहीं आ गिरते। संसार के किसी भी व्यक्ति अथवा राष्ट्र ने यदि उन्नति की है तो उसके मूल में उसका पुरुषार्थ रहा है। मनुष्य का सर्वोत्तम मित्र उसकी दस उँगलियाँ हैं। मनुष्य को अपने अमूल्य समय का एक-एक क्षण परिश्रम में व्यतीत करना चाहिए। इसी में आनंद है। ऐसा करने से कोई भी क्षण ऐसा नहीं बचता जब हमें सोच अथवा पछतावा हो। पुरुषार्थ वास्तव में मानव जीवन का सच्चा सौंदर्य है। परिश्रम से स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से संतोष उत्पन्न होता है। जो परिश्रमी हैं उन्हीं को लक्ष्मी एवं यश की प्राप्ति होती है। पुरुषार्थ ही सच्ची ईश्वर पूजा है। जो पुरुषार्थ से बचते हैं, वे पुरुष कहलाने के अधिकारी नहीं। पुरुषार्थ उस चुंबक के समान सब अच्छे-अच्छे पदार्थों को अपने पास खींच लाता है। पुरुषार्थ-विहीन व्यक्ति को खाने का अधिकार कैसे हो सकता है?