Hindi Essay-Paragraph on “Pratibha Palayan” “प्रतिभा पलायन” 500 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
प्रतिभा पलायन
Pratibha Palayan
प्रतिभा पलायन भारत की ऐसी गंभीर समस्या है, जो क्षतिकारक और शर्मनाक दोनों ही है। हमारे देश की बेजोड प्रतिभाएं दसरे देश के लिए लाभकारी हो जाती है और हम अपने यहां उन प्रतिभाओं को तैयार कर भी असली वक्त में उनका लाभ नहीं ले पाते हैं। हम अपनी प्रतिभाओं का प्रति पालन और संरक्षण बड़ी ढंग से नहीं कर पाते हैं और दोयम दर्जे की प्रतिभा से संतोष कर लेते हैं। एक सर्वे के अनुसार भारत की लगभग 10000 से अधिक प्रतिभाएं विदेश चली जाती हैं। दुनिया के विकसित देश हमारी प्रतिभाओं का लाभ लेते हैं और हमारे यहां के नौजवान अध्ययन समाप्त करने के पूर्व ही सोच लेते हैं कि वे विदेशों में व्यवसाय की तलाश करेंगे। भारत में उनके लिए कोई अवसर नहीं है। उदाहरण के लिए आई.आई.टी. से तैयार निकले छात्रों में 25 प्रतिशत छात्र प्रवासी जीवन बिताते हैं। अपने यहां से चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर आदि के क्षेत्रों में प्रतिभा का प्रवाह पश्चिम की ओर है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हमारे 30 से 40 प्रतिशत इंजीनियर लगभग 15 प्रतिशत डॉक्टर और 15 से 20 प्रतिशत तक वैज्ञानिक विदेशों की सेवा में लगे हैं। अभी सबसे अधिक सूचना-प्रौद्योगिकी के लोग विदेश गमन कर रहे हैं। विदेश जाना बुरा नहीं है। विदेशों में शिक्षा ग्रहण करना या भ्रमण करना बुरा नहीं है। परंतु हमारे यहां के प्रतिभासंपन्न छात्र विदेशी नागरिकता हासिल कर वहीं बस जाते हैं। वहीं संस्कृति में रम जाते हैं और प्रवासी भारतीय कहलाने में गर्व का अनुभव करते हैं। इस प्रवृत्ति को ज्यादा नहीं पनपाना चाहिए। हमारे देश के अधिकांश महापुरुषों ने शिक्षा विदेशों में ग्रहण की, परंतु वे भारत आकर देश की सेवा में लग गए। उनमें देशानुराग प्रबल था। यही भावना देश की स्वतंत्रता आंदोलन की मूल थी।
फिर भी अपने देश के प्रतिभासंपन्न नौजवान अपने जोश और उमंग से, प्रतिभा से, निष्ठा से, कर्तव्य से, दूसरे देश का कल्याण करे, सिर्फ अधिकाधिक धन उपार्जन करें यह शभ संकेत नहीं हैं। डॉलर-पौंड का मोह-लालच उनमें आकर्षण पैदा करता ही है। पर, यह भी सच है कि भारत में कई प्रतिभाओं को सड़कों पर धूल फांकते देखा जा सकता है। भारत के करोड़ों शिक्षित नौजवान की बेकारी इसके लिए पूर्णतः जिम्मेदार है और वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था कम जिम्मेदार नहीं है। इन प्रतिभाओं से लाभांवित होने वाले देश इन अप्रवासियों के मूल्य से भली भांति अवगत होते हैं। इसलिए उसकी आगमन नीति ऐसी होती है कि प्रतिभा पलायन को बढ़ावा मिलता है।
सहायता सही ढंग से नहीं मिल पाती है, शिक्षा के माध्यम से देश भक्ति की भावना नहीं पनप पाती है। भारतीयों की हीनभावना और अपनी संस्कृति से विमुखता भी महत्त्वपूर्ण कारण है। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि भारतीय नौजवानों की हीनभावना समाप्त हो और अपनी संस्कृति के प्रति उनका आकर्षण बढ़े।
हमारे लिए गौरव का विषय इतना है कि हमारे देश की प्रतिभाओं को विदेशों में काफी कद्र मिलती है। हमें इसे जानक भी काफी गर्व ही होता है। लाभांवित विदेश होता है, भारत किसी भी क्षेत्र में कमजोर नहीं है, भारत खनिज-संपदा संपन्न है, फिर भी भारत का गरीबों के जीवन की तस्वीर ही भारत की तस्वीर बन गई है। इन सभी बातों के लिए भारत का शासन जिम्मेदार है।
जो भी हो, प्रतिभा का अनवरत पलायन भारत के लिए अच्छी बात नहीं है। सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और वे संसाधन विकसित करना चाहिए जिससे प्रतिभाएं अपने ही देश में रहकर देश का चहुंमुखी विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।