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Hindi Essay-Paragraph on “Paryatan Vikas – Arthik Pragati” “पर्यटन विकास : आर्थिक प्रगति” 1000 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.

पर्यटन विकास : आर्थिक प्रगति

Paryatan Vikas – Arthik Pragati

भ्रमण अथवा पर्यटन अथवा देशाटन से न सिर्फ मानव का मनोरंजन होता है, बल्कि ज्ञानवर्द्धन भी होता है। भ्रमण या पर्यटन को मानव हमेशा पसंद करता रहा है। पर्यटन को व्यवस्थित करने के लिए सरकारें इन दिनों ज्यादा प्रयत्नशील है। पूरी दनिया के अधिकांश देशों ने पर्यटन के महत्त्व को समझा है, इसे व्यावसायिक दृष्टि से देखा है। चूंकि पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है इसलिए सरकार को यह ध्यान देना पड़ रहा है कि पर्यटकों की सुविधाओं पर ध्यान नहीं रखा जाएगा और पर्यटन स्थलों को विकसित और सुसज्जित नहीं किया जाएगा, तो अधिक से अधिक विदेशी पर्यटक आकर्षित नहीं हो सकेंगे। पर्यटन का लाभ किसी देश को तभी मिल सकता हैं, जब उस देश में दर्शनीय स्थल अधिक हो और जो हो, आकर्षित करने योग्य हों। पर्यटन का संबंध दर्शनीय स्थलों से ही है।

दूसरा मुद्दा यह है कि अगर दर्शनीय स्थल वाकई आकर्षक हैं, मगर पर्यटकों के आवागमन की अच्छी सुविधाएं नहीं हैं। रहने-सहने की अच्छी व्यवस्थाएं नहीं है और यात्रा सुरक्षित नहीं है, तो दर्शनीय स्थलों के आकर्षण से अधिक लाभ होने वाला नहीं है। भारत सरकार के अधीन अलग से पर्यटन विकास मंत्रालय है। पर्यटन पर भारत सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है और पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे रखा है। इसके अनुरूप भारत में कार्य भी चल रहा है। पर्यटन से अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए पर्यटन का विकास अपेक्षित है। पर्यटन विकास के लिए सड़कों को सुंदर बनाना, अच्छे-अच्छे होटलों का निर्माण, आवागमन के लिए सुंदर वातानुकूलित गाड़ियां आदि आवश्यक है। सारे संसार में इन दिनों पर्यटन उद्योग को विकसित किया जा रहा है। जब संसार में वैश्वीकरण की बात हो रही है, तो इसके लिए पर्यटन को बढ़ावा देना आवश्यक ही है। विश्व पर्यटन संस्थान ने पर्यटन के विषय में जो अनुमान लगाया है, उसके अनुसार 2020 ई. तक विश्व में पर्यटकों की कुल संख्या 1.6 बिलियन होगी। भविष्य में इसके 6.7 प्रतिशत होने की संभावना है।

पर्यटन भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। भारत के कई प्रांत ऐसे हैं, जहां दर्शनीय स्थलों की भरमार है, लेकिन यह भी बात है कि भारत के शायद ही कुछ ही स्थल ऐसे हैं, जहां दर्शनीय स्थल नहीं हैं। नयी शताब्दी में प्रवेश करने, निरंतर विस्तार होने और अर्थव्यवस्था के बढ़ते महत्त्व के बावजूद पर्यटन उद्योग को विश्व के मानचित्र पर देखने से पता चलता है कि विश्वभर के पर्यटकों में भारत का हिस्सा केवल 0.04 प्रतिशत से 0.07 प्रतिशत है। अगर भारत मात्र 1 प्रतिशत की हिस्सेदारी चाहता है तो उसे 75 लाख पर्यटकों को आकर्षित करना होगा। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए केवल पर्यटक स्थलों का विकास करना ही पर्याप्त नहीं है। अच्छे वायुयान, अच्छी सड़कें, अच्छे होटल, देशभर में घूमने के लिए अच्छे वाहन आदि की आवश्यकता है। पर्यटन विकास के दृष्टिगत होटल विकास यानी होटलउद्योग विकास भी आवश्यक हैं। क्योंकि होटलों का पर्यटन का सीधा संबंध है। यद्यपि अपने देश में उच्चकोटि की सुविधाओं से संपन्न और सुसज्जित होटलों की संख्या है तथापि उन संख्याओं को पर्याप्त नहीं माना जाएगा। पर्यटन के विकास से होटल-उद्योग का सीधा लाभ और होटल-उद्योग के विकास से पर्यटन उद्योग को सीधा लाभ होगा।

अपने देश में सरकार ने राजस्थान भ्रमण के लिए शाही ट्रेन की व्यवस्था कर रखी है। अगर ऐसी ही रेलगाड़ियां को कुछ और प्रमुख स्थानों के लिए संचालित कर दिया जाए तो काफी लाभ होगा और विदेशी पर्यटक काफी आकर्षित हो सकेंगे। पर्यटन उद्योग का सिद्धांत कहता है कि हमें सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रयास करना चाहिए। पर्यटन से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि भ्रमणशील व्यक्ति की यह मानसिकता होती है कि वे जहां प्राचीन संस्कृति के दर्शन के लिए जाते हैं, वहां यदि कोई आकर्षण या तथ्य उन्हें मिल पाता है, तो वे निराश हो जाते हैं। भारत में एलोरा की गुफाएं,खुजराहों के कई प्राचीन किले, कई प्राचीन महल, पुराने मंदिर, पर्वतीय स्थल, नदियां, उद्यान आदि दर्शनीय हैं। अगर अलग-अलग एक-एक कर गिनाया जाए, तो हमारों दर्शनीय स्थलों की एक लंबी सूची होगी। बावजूद इसके इन स्थलों को इस प्रकार सुंदर और आकर्षक बनाने की जरूरत है, जिसे विदेशी पर्यटन देखकर चकित हो जाए। उदाहरण के लिए आगरा का ताजमहल को ही लिया जाए। दर्शनीय स्थलों की भव्यता में वृद्धि करने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार को इस ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

अगर भारत पर्यटन उद्योग को मानता हे तो सबसे पहले हवाई अड्डों का रखरखाव ठीक करना होगा। क्योंकि किसी देश के पर्यटक सबसे पहले उस देश में आते ही उसके हवाई अड्डे से अच्छे होटलों तक जाने के लिए अच्छे वाहनों की – आवश्यकता है। इसके लिए वातानुकूलित वाहन होने चाहिए। जहां पर्यटक ठहरते हों, उस होटल को हर दृष्टि से साफ-सुथरा, व्यवस्थित और साथ ही सुरक्षित होना चाहिए। एक स्थान से दूसरे स्थान यानी एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए साफ-सुथरा राजमार्गों की हालत को काफी सुधार दिया गया है।

भारत के कुछ हिस्से में पर्यटन की दृष्टि से अभी पूरा विकास नहीं हो सका है, लेकिन सरकार उसके भी विकास का प्रयत्न कर रही है। भारत के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने विशेष कदम उठाने का निश्चय किया है। भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र प्राकृतिक दृष्टि से काफी संपन्न है। फिर भी पर्यटन की दृष्टि से उसका विकास नहीं हो पाया है। अगर वह हिस्सा विकसित हो जाए, तो भारत का पर्यटन से काफी अच्छी राशि प्राप्त हो जाए। पर्यटन उद्योग के लिए पैसा खर्च करना, योजनाबद्ध ढंग से खर्च करना और गुणवत्ता को विकसित करना आवश्यक है। पर्यटन के विकास के लिए भारत में छोटे स्तर के पर्यटन के विकास पर भी ध्यान देना अपेक्षित है।

भारत सरकार अब इस दिशा में लगातार प्रयत्नशील है।

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