Hindi Essay-Paragraph on “Olympic Games” “ओलंपिक खेल” 600 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
ओलंपिक खेल
Olympic Games
ओलंपिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक चार वर्षों में आयोजित होने वाला विश्व का सबसे विशालतम क्रीड़ा समारोह है, जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी जाति, धर्म, राजनीति, भाषा एवं संप्रदाय का भेदभाव भुलाकर एक जगह एकत्रित होकर अपने-अपने खेलों का प्रदर्शन करते हैं। इन खेलों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्तर के विजेताओं को क्रमशः स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किया जाता है।
ओलंपिक में पदक जीतना खिलाड़ी एवं संबंधित राष्ट्र दोनों के लिए गौरव का विषय होता है।
अब तक ओलंपिक खेलों में सम्मिलित कुछ प्रमुख खेलों के नाम हैं-तीरंदाजी, एथलेटिक्स, टेनिस, बॉस्केट बॉल, हैंडबॉल, वॉलीबाल, हॉकी, कुश्ती, तैराकी, नौका दौड़, भारोत्तोलन, निशानेबाजी, मुक्केबाजी, तलवारबाजी आदि। अब तो विकलांग खिलाड़ी के लिए भी पैरा ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा
ओलंपिक का इतिहास काफी पुराना है। सर्वप्रथम 776 ईसा पूर्व यूनान के नगर एथेंस के ओलंपिक पर्वत की तलहटी में खेलों की एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। बाद में ओलंपिक पर्वत के नाम पर इस आयोजन का नाम ओलंपिक पड़ा। समय के साथ-साथ इसकी परंपरा एवं स्वरूप में धीरे-धीरे संशोधन और परिवर्तन होते गए। अब यह सारे विश्व को अपने में समाहित किए हुए हैं। आधुनिक ओलंपिक खेलों के आयोजन का मुख्य श्रेय युनान निवासी पियरे द कुवर्ते का जाता है, जिसके अथक प्रयास के फलस्वरूप ओलंपिक का वर्तमान विशाल स्वरूप विश्व के सामने है।
ओलंपिक का अपना एक झंडा होता है। झंडे का रंग सफेद होता है, जिस पर आपस में जुड़े पांच गोले अंकित रहते हैं। ये गोले पांचों महाद्वीपों को प्रतीक करते है। इसके उद्घाटन के समय हजारों शांति दूत कबूतरों को पाला जाता है।
ओलंपिक का प्रथम आयोजन सन् 1896 ई. में यूनान के एथेंस नगर में ही हुआ था। इसके बाद से ही प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर अबाध रूप से विश्व के बड़े-बड़े नगरों में ओलंपिक का आयोजन होता चला आ रहा है। अब तक ओलंपिक खेल के आयोजन का सौभाग्य विश्व के जिन महानगरों को प्राप्त हुआ है, उनके नाम इस प्रकार हैं-
एथेंस 1896
पैरिस 1900, 1924, 2004
सेंटलुइस 1904
लंदन 1908, 1948, 2012 (प्रस्तावित)
स्काटहोम 1912
बर्लिन 1916, 1936
एंटीवर्ज 1920
स्मरस्टरडम 1928
लॉज एंजिल्स 1932, 1984
हेलसिंकी 1952
मेलबोर्न 1956
रोम 1960
टोकियो 1964
मैक्सिको 1968
म्यूनिख 1972
माण्ड्रियल 1976
मास्को 1980
सियोल 1988
वार्सिलोना 1992
अटलांटा 1996
सिडनी 2000
बीजिंग 2008
लंदन 2012
रियो दे जेनेरिओ 2016
टोकियो 2021
पेरिस 2024
आधिकारिक रूप से भारत ने सर्वप्रथम 1942 ई. के पेरिस ओलंपिक में भाग लिया। 1928 ई. के स्मरस्डम ओलंपिक में भारत ने हॉकी का स्वर्ण जीतकर विश्व को चकित कर दिया था। आजाद भारत ने सर्वप्रथम 1948 के लंदन ओलंपिक में भाग लिया। प्रथम व्यक्तिगत स्पार्धा में के.डी. जाधव ने कांस्य पदक जीता। बाद में ओलंपिक में खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन के बाद भी पदक से भारत वंचित ही रहा। केवल हॉकी में ही भारत पदक जीतता रहा। 1996 के ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस में, 2000 ओलंपिक में कर्णमल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता। एथेंस ओलंपिक में राजवर्द्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी में रजत पदक प्राप्त किया।
हाल ही में आयोजित वर्ष 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा। कई खेलों में भारतीयों ने पदक तक पहुंच बनाई। लेकिन पदक मिला निशानेबाजी, कुश्ती और बॉक्सिंग में। निशानेबाजी की स्पर्धा में भारत के अभिनव बिंद्रा ने पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक भारत को दिलाया। कुश्ती में सुशीलकुमार और विजेंदर सिंह ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक दिलाया। भारतवर्ष में हर्ष की लहर दौड़ गई। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने अपने विजयी खिलाड़ियों को काफी बड़ी-बड़ी धनराशि से पुरस्कृत किया।
खेल संसार में हार-जीत का महत्त्व नहीं होता है। महत्त्व होता है अनुशासन, भाईचारा और ईमानदारी का। 1996 के ओलंपिक में इन्हीं कारणों से भारत को हॉकी में फेयर प्ले का अवार्ड मिला। जिस खेल में उत्तम खेल तकनीक के साथ-साथ अधिक अनुशासन और ईमानदारी, सहयोग के भाव का समावेश होता है। यह खेल उतना ही उत्कृष्ट माना जाता है। ओलंपिक का आयोजन सारे जगत् को एक सूत्र में बांधता है। वस्तुतः विश्व में बंधुत्व की भावना का प्रसार ही ओलंपिक का उद्देश्य है।
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