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Hindi Essay-Paragraph on “Mehangai” “महंगाई” 500 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Subjective Examination.

महंगाई

Mehangai

महंगाई की तासीर यह है कि पॉकेट में पैसों का बोझ बढ़ता जाता है और थैले में सामान घटता जाता है। महंगाई बढ़ते-बढ़ते एक ऐसी स्थिति आ जाती है कि थैलों में रुपया भरकर जाया जाता है और जब में सामान लाया जाता है। अर्थशास्त्र की भाषा में जब क्रेता की क्रय-शक्ति घट जाए, तो इसे ही महंगाई कहते हैं। महंगई में सामान तो बाजार में मिलते हैं, लेकिन ऊंचे दाम पर। इसमें रुपयों का अब मूल्यन हो जाता है। आज रुपयों का मूल्य 1960 के रुपये के मुकाबले कछ पैसों में रह गया है। महंगाई विश्व व्यापी समस्या है। लेकिन यह भारत की गंभीर आंतरिक समस्या है।

यों तो महंगाई से सभी वर्ग पीडित हैं. लेकिन सबसे अधिक निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग प्रभावित होता है। पहले लोगों के भोजन में पौष्टिक आहार दूध, मांस, मछली, अंडा, घी आदि शामिल होते थे। अब यह वस्तुएं नदारद हो गई हैं। जहां किलो भर लाया जाता था, वहां अब कुछ मात्रा में ही काम चलाया जाता है। खाद, बीज आदि के बढ़ते दामों ने खाद्यान्नों की पैदावार और कीमत दोनों को प्रभावित किया है। महंगाई से पदाधिकारी और भिखारी सभी आक्रांत हैं। महंगाई के इस दौर में बुजुर्गों की बात आश्चर्य लगती है कि वे शुद्ध दूध या घी किलो भर खाया करते थे। अब तो ये चीजें त्योहारों पर ही दिखाई पड़ती हैं।

महंगाई बढ़ने के कई कारण हैं। प्रथम कारण जनसंख्या वृद्धि हैं। जिस अनुपात में जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। उसी अनुपात में सामानों का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। कम सामान के कारण उसकी कीमतें बढ़ती जा रही है। दूसरा कारण मुनाफाखोरी है। बड़े-बड़े व्यापारी खाद्य-सामग्री को बड़े-बड़े गोदामों में बंद कर देते हैं। मूल्य में कई गुना वृद्धि होने पर बाजार में निकालते हैं। तीसरा कारण प्राकृतिक प्रकोप है। हमारे देश में बाढ़ और सूखा पड़ते रहते हैं, जिससे फसलें नष्ट हो जाती हैं। युद्ध के कारण महंगाई कई गुना बढ़ जाती है। युद्ध के समय पानी की तरह पैसे बहाए जाते हैं, जिसका बाद में भरपाई करना पड़ता है। तरह-तरह के करों का बोझ महंगाई को बढ़ाता है। आज महंगाई सुरसा-सा मुंह फैलाती जा रही है और आम आदमी उसमें दम तोड़ता जा रहा है। इस कमरतोड़ महंगाई पर अंकुश लगाना निहायत जरूरी है।

अतः महंगाई के निदान के लिए सरकार को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए। जनता को सरकारी प्रयासों में सहयोग करना चाहिए। बढ़ती जनसंख्या के रोक के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाना चाहिए। उत्पादन वृद्धि के लिए सरकारी योजनाओं से लाभ लेना चाहिए। कुटीर उद्योग और लघु उद्योगों को लगाना चाहिए। कृषि-वैज्ञानिक तरीकों से की जानी चाहिए। भ्रष्ट व्यापारियों एवं पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए। उपयोग की वस्तुओं का अधिक संचय नहीं करना चाहिए। विलासतापूर्ण सामानों से दूर रहना चाहिए। इस प्रकार भोगवादी प्रवृत्ति को त्यागकर महंगाई की मार को कम किया जा सकता है।

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