Hindi Essay-Paragraph on “Media Fourth Pillar of Democracy” “मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ” 600 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
Media Fourth Pillar of Democracy
अखबार की इसी शक्ति को पहचानकर नेपोलियन ने कहा था- “मैं लाखों संगीनों की अपेक्षा एक विरोधी समाचार-पत्रों से डरता हूं।”
वैज्ञानिक उपलब्धियों ने आज विश्व को एक मंच पर ला दिया है। देश-विदेश के किसी कोने में घटने वाली घटनाओं से आज मानव का सीधा संबंध हो गया है। रूस में सरकार अस्थिर होती है, तो उसका असर भारत पर पड़ता है। अमेरिकापाकिस्तान को सैन्य-सामग्री देता है तो इसका असर भारतीय उपमहाद्वीप में दिखने लगता है। भारत के परमाणु परीक्षण पर अमेरिका के कान खड़े हो जाते हैं। पाकिस्तान और चीन के कलेजे पर सांप लोटने लगता है। इन दृष्टांतों से स्पष्ट है कि प्रतिदिन देश-विदेश में घटने वाली घटनाओं की जानकारी समाचार-पत्रों से प्राप्त की जा सकती है। रेडियो और दरदर्शन से संक्षिप्त जानकारी मिलती है। परंत समाचार-पत्र किसी विषय पर विशेष और विस्ततः जानकारी देता है।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तो अखबार की उपादेयता और भी अधिक है। दिनकरजी ने इसे लोकतंत्र की चौथी टांग बताया है। इस टांग के अभाव में प्रजातंत्र नहीं टिक सकता।
समाचार-पत्र की जन्मभूमि यूरोप माना जाता है। सबसे पहले समाचार-पत्र का प्रकाशन हॉलैंड में हुआ था। इसके बाद कई देशों में इसका प्रसार हुआ। भारत में सर्वप्रथम समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ 1826 ई. में कोलकाता से प्रकाशित हुआ था। समाचार-पत्र कई प्रकार के होते हैं-दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक इत्यादि। आज भारतवर्ष में समाचार पत्रों की बाढ़ का विभिन्न भाषाओं को मिलाकर आज भारत में करीब अदलाई हजार पाँच सौ अखबार पते। हमारे काम प्रमुख दैनिक समाचार पत्र इस प्रकार है हिंदुस्तान, वैनिक जागरण, साहस ऑफ इंडिया, स्टेट्समैन, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, पंजाब केसरी, वीर अर्जुन, तिट्स, पायनियर, गांडीच, अमृत प्रभात, आज खबर इत्यादि। समाचार पत्र के प्रकाशन हेतु एक प्रकाशन-मंडल होता है। मुद्रक, संवाददाता, संपादक आदि इसके महत्वपूर्ण अंग हैं। संवाददाता आधुनिक युग का नारद होता है। यह गुण भूमकर खबरे एकत्रित करता है। संपादक इन खबरों की उपयोगिता को परखकर प्रकाशित करता है। अतः संपादक का कार्य बड़ा उत्तरदायित्वपूर्ण होता है। उनकी थोड़ी-सी असावधानी से अनर्थ हो सकता है।
साधारण तौर पर समाचार पत्रों को राजनीतिक खबरों के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जा सकता है, परंतु इसका क्षेत्र व्यापक है। इससे सामाजिक एवं आर्थिक, धार्मिक क्षेत्रों की भी जानकारी मिलती है। अखबार के माध्यम से व्यापारी बाजार भाव पर अपनी नजर रखता है, सिनेमा प्रेमी सिनेमा का विज्ञापन देखता है। खेल प्रेमी खेल संबंधी खबरों पर टूट पड़ता है। यात्री रेलगाड़ी की समय-सारणी और धार्मिक व्यक्ति अध्यात्मक संबंधी लेखों को बहुत चाव से पढ़ता है। अखबार समाज के हर अंग को छूता हैं। अखबार समाज के भविष्य का दर्पण होता है जिसे देखकर हम अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाले समय में देश की व्यवस्था किस अनुरूप होगी?
आधुनिक युग में समाचार-पत्रों की ताकत और बढ़ गई हैं। समाचार-पत्रों के इशारे पर बड़े-बड़े धनपति राजनेता, पदाधिकारी नाचते हैं, क्योंकि धनपति को उसकी काली कमाई की कलई खुल जाने का भय रहता है। राजनेता और पदाधिकारी को अपनी काली करतूतों से उद्घाटन का भय रहता है। परंतु आज कुछ संवाददाता अखबार की पवित्रता पर कलंकित करने पर तुले हैं। वे अपने क्षुद्र स्वाथों की पूर्ति हेतु भ्रष्ट राजनेता, पदाधिकारी, धनपति से साठ-गांठ बनाए रखते हैं। जो उनके काले कारनामों को छिपाकर उनकी बड़ाई में लगे रहते हैं। या किसी स्वच्छ छवि और ईमानदार पदाधिकारी, राजनेता से अपना उल्लू सीधा न होते देख उल्टी-सीधी, फालतू खबरें छापते हैं। अखबार का कर्तव्य है कि वह बुराइयों तथा व्यवस्था की कमियों को उजागर करें।
अखबार जनता और सरकार के बीच सेतु का कार्य करता है। यह सरकार के किए गए कार्य की जानकारी जनता तक पहुंचाता है। जन-समस्याओं और उसकी मांगों को सरकार तक पहुंचाता है। अतः अखबार के लिए आवश्यक है कि वह निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य करे।
अखबार के विषय में कहा गया है-
झुक जाती है तलवार भी अखबार के आगे,
झुक जाती है सरकार भी अखबार के आगे।