Hindi Essay, Paragraph on “Dharmantaran”, “धर्मांतरण” 500 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Examination.
धर्मांतरण
Dharmantaran
विश्व के सभी धर्मों में हिंदू धर्म को सर्वाधिक उदारवादी एवं समन्वयवादी माना जाता है। शांति सर्व अहिंसा तथा परस्पर सद्भाव इस धर्म का मूल आधार है। इसीलिए प्राचीनकाल से लेकर आज तक जिस किसी भी धर्म अथवा जाति के अनुयायी भारत में आए, उनका भारतीयों द्वारा आतिथ्यपूर्ण स्वागत किया गया और उन्हें अपने घर में पर्याप्त स्थान दिया गया। परंतु भारतीयों की उदारता का गलत फायदा समय-समय पर अन्य धर्मों के प्रचारकों अथवा शासकों द्वारा उठाया गया। भारत में मूल निवासी हिंदुओं कभी-कभी मुसलमानों और कभी ईसाईयों के द्वारा प्रलोभन या भय प्रदर्शन के द्वारा धर्मांतरण के लिए बाध्य किया गया।
धर्मांतरण एक पद है, जिसका निर्माण धर्म और ‘अतरंण’ शब्द की संधि से हुआ है। ‘अंतरण’ का अर्थ परिवर्तन होता है। इस दृष्टि से इसका अर्थ धर्मपरिवर्तन हुआ। धर्मांतरण का अंग्रेजी शब्द ‘कन्वसिक’ है जिसका अर्थ है-एक धर्म से दूसरे धर्म में आस्था परिवर्तन। धर्मांतरण एक प्रक्रिया है जिसमें एक धर्म से दूसरे धर्म में आस्थागत परिवर्तन होता है अथवा परिवर्तन कराया जाता है।
भारतीय संविधान में धर्म-परिवर्तन के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है। संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार धर्म का पालन कर सकता है और अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकता है।
हमारा संविधान बलात् धर्मांतरण का विरोध करता है, परंतु नैतिक तथा आत्मिक धर्मांतरण का विरोध नहीं करता। संविधान हमारे देश को धर्म निरपेक्ष बनाता है जिसमें सभी धर्मों और पंथों को संरक्षण प्राप्त है।
धर्मांतरण के दो प्रत्यक्ष रूप प्रकट होते हैं-नैतिक और बलात्।
भय दिखाकर अथवा धन व पद आदि का लोभ देकर धर्मांतरण करवाना बलात् धर्मांतरण कहलाता है। मध्यकाल में मुस्लिम आक्रमणकारी और शासकों ने हिंदुओं का बलात् धर्मांतरण करवाया था।
धर्मांतरण के कई कारण होते हैं-गरीबी, अशिक्षा, पिछड़ापन, शोषण, बेकारी, छूआछूत, सामाजिक संकीर्णता एवं वर्ण-भेद।
धर्मांतरण के क्षेत्रीय और भौगोलिक स्वरूप की चर्चा भी अपेक्षित है। जिन क्षेत्रों में विदेशी व्यापारी या आक्रमणकारियों का आगमन हुआ, उन क्षेत्रों में काफी कठोर नीतियां भी धर्मांतरण की जिम्मेवार थीं। जजिया कर, गरीब जनता पर बोझ के समान थी जिससे वे धर्मांतरण के लिए मजबूर हुए।
समसामयिक परिस्थिति में धर्मांतरण को देखकर राष्ट्रीय विचार-विमर्श की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए नहीं कि कुछ दक्षिण पंथी संगठन ऐसा चाहते हैं, बल्कि भारत में पहली बार हिंदू कट्टरता की ओर अगसर है। उनका निशाना अल्पसंख्यक समुदाय है। धर्मांतरण गलत या उचित है, यह राष्ट्रीय बहस से ही संभव है।
धर्मांतरण आज भारतीय संस्कृति के लिए एक ज्वलंत समस्या है, इसके लिए अधिकार और नैतिकता की व्याख्या आवश्यक है। स्वैच्छिक धर्मांतरण रोकना और बलात् धर्मांतरण को प्रोत्साहित करना दोनों संस्कृति के लिए घातक हैं। बलात् धर्मांतरण के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय भी दिए गए हैं। न्यायालय ने कहा है कि बलात् धर्मांतरण को रोका नहीं गया तो कुव्यवस्था उत्पन्न हो जाएगी। धर्म के बिना मनुष्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए मनुष्य को किसी भी धर्म को अपनाने या छोड़ने का अधिकार होना चाहिए। पर धार्मिक संस्थानों के द्वारा उन्हें मनाने या छोड़ने का दबाव नहीं देना चाहिए।