Hindi Essay-Paragraph on “Bharat ka Rasthriya Chinh” “भारत का राष्ट्रीय चिन्ह” 300 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह
Bharat ka Rasthriya Chinh
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रीय चिन्ह होता है, जिसका प्रयोग उस राष्ट्र के प्रत्येक राजकीय कार्यों में किया जाता है। यही चिन्ह राष्ट्रीय पहचान होता है। जैसे विट्रेन का गुलाब का फूल, जापान का गुलदाउदी, पाकिस्तान का चांद तारा, नेपाल का खुखरी, अमेरिका का गोल्डेन रॉड, रूस का हंसिया हथौड़ा राष्ट्रीय चिन्ह हैं। ठीक इसी प्रकार अशोक चक्र भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। भारत के सभी राजकीय कार्य में इस चिन्ह का प्रयोग होता है। यही कारण है कि सिक्कों एवं नोटों पर, राज्यपाल, राष्ट्रपति तथा न्यायाधीशों के कार्यालयों में एवं अन्य स्मारकों पर यह चिन्ह अंकित रहता है। संक्षेप में यह राष्ट्रीय मुहर है, जिसे हर सरकारी कागज पर लगाया जाता है।
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अपने धार्मिक एवं कला प्रेमी सम्राट अशोक की याद दिलाता है। उन्होंने अनेक शिल्प स्तंभों का निर्माण कराया है। इन स्तंभों को अशोकस्तंभ कहा जाता है। अब तक अशोक के अठारह शिलालेख प्रकाश में आ चुके हैं। इन स्तंभों के शीर्ष भाग पर सिंह, गज, अश्व और वृषभ की मूर्तियां स्थापित रहती हैं। साथ ही, इन पर धार्मिक अभिलेख भी खुदे हैं। इन स्तंभों के सूक्ष्म अवलोकन से सम्राट अशोक का भारतीय धर्म एवं दर्शन के प्रति गहन चिंतन का पता चलता हैं। मूर्तिकला की दृष्टि से खींचे गए स्तंभ उत्कृष्ट हैं।
इन्हीं स्तंभों में एक सारनाथ स्तंभ के शीर्ष सिंह को भारत के राष्ट्रीय चिह्न के रूप में 26 जनवरी, 1950 को संवैधानिक मान्यता दी गई है। इसमें एक गोल चबूतरे पर चार सिंह को उंकडूं बैठो दिखलाया गया है। गोल चबूतरे के अग्र भाग के ठीक बीचोंबीच एक चक्र का चिन्ह अंकित रहता है। चक्र के दोनों ओर वृषभ, घोड़े खुदे रहते हैं। इस चिन्ह के नीचे भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ लिखा रहता
राष्ट्रीय चिन्ह पर खुदा हुआ हर चित्र प्रतीकात्मक होता है। शेर साहस, वीरता और चौकसी का प्रतीक है। वृषभ कठिन परिश्रम, अश्व ताकत, तो चक्र धर्म का प्रतीक है। ‘सत्यमेव जयते’ का अर्थ है-सत्य की ही विजय होती है। इस प्रकार सारनाथ का यह स्तंभ कला और धार्मिक दृष्टि से अद्वितीय है। अतः इस कृति को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय चिन्ह बनाना सर्वथा उचित प्रतीत होता है।