Hindi Essay-Paragraph on “Bharat ka Rashtriya Dhwaj” “भारत का राष्ट्रीय ध्वज” 450 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
भारत का राष्ट्रीय ध्वज
Bharat ka Rashtriya Dhwaj
प्रत्येक राष्ट्र का अपना झंडा होता है, जिसे राष्ट्रीय झंडा कहते हैं। राष्ट्रीय झंडा प्रत्येक राष्ट्र की शान है। राष्ट्रीय झंडा झुकने का अर्थ है राष्ट्र की पराजय। अतः राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्र के सर को झुकने न दे। चाहे कितनी भी कुर्बानियां देनी पड़े।
भारत 15 अगस्त, 1947 ई. को आजाद हुआ, अतः स्वतंत्र भारत के लिए भी एक राष्ट्रीय झंडे की घोषणा हुई। सर्वप्रथम झंडे के स्वरूप की कल्पना में कामाने सन् 1931 ई. में की थी। उसमें हलका-फुलका परिवर्तन आज से राष्ट्रीय झंडे का स्वरूप प्रदान किया गया। 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा तिरंगे को स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया।
हमारे राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंग हैं। सबसे ऊपर केसरिया रंग हैं, जो बल और शौर्य का प्रतीक है। यह हमें उन शहीदों की याद दिलाता हैं, जिन्होंने संघर्ष स्वतंत्रता की वेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए। मध्य भाग में सफेद रंग हैं जो सच्चाई, सादगी और शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे हरा रंग है जो प्राकृतिक हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है। तिरंगे के बीचोबीच नीले रंग की पट्टी के मध्य चक्र है, जो अशोक महान के स्तंभ से लिया गया है। यह धर्म और प्रगति का प्रतीक है। चक्र में चौबीस तीलियां हैं। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3 : 2 है।
राष्ट्रीय झंडे के फहराने के कुछ नियम हैं। उसका पालन करना आवश्यक होता है। राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर यह फहराया जाता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति और राज्यपाल ध्वज फहराते हैं तथा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।
झंडा फहराते ही इसे सलामी दी जाती है। सलामी के तुरंत बाद राष्ट्रगान गाया जाता है। इसके अलावा यह ध्वज प्रतिदिन सरकारी भवनों, भारतीय दूतावासों, उच्च न्यायालयों, जिला मुख्यालयों, सचिवालयों, उच्चतम न्यायालय आदि पर प्रतिदिन फहराता है। सरकारी नियम संशोधन के पश्चात् अब ध्वज को भारत का कोई भी नागरिक अपने घर या कार्यालय में प्रतिदिन फहरा सकता है। शोक के समय झंडे को आधा झुका दिया जाता है।
झंडा हमारी स्वतंत्रता का द्योतक है। अतः इसका सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का पुनीत कर्तव्य है। इसका अनादर राष्ट्र का अनादर है। यह हमें हमेशा याद रखना चाहिए। हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारी गौरव है। सरोजनी नायडू ने कहा है, “हे नवभारत के प्रतीक ध्वज! हम अपने हृदय और कर की श्रद्धांजलियां तुम्हें अर्पण करते हैं और प्रतिज्ञा करते हैं कि हम उन सपनों को प्रतिभाशाली कर्म में बदल देंगे जो हमारी दासता की लंबी अवधि में हमारे साथी रहे हैं और हमें प्रेरणा देते रहे हैं।
कविवर सोहनलाल द्विवेदी ये पंक्तियां राष्ट्रीय ध्वज की महान गरिमा को उद्घाटित करती है-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा।