Hindi Essay-Paragraph on “Atal Bihari Vajpayee” “अटल बिहारी वाजपेयी” 600 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Subjective Examination.
अटल बिहारी वाजपेयी
Atal Bihari Vajpayee
सफल वक्ता के रूप में ख्याति लब्ध अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ। आपके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी स्कूल शिक्षक थे। अटलजी के नाम से प्रसिद्ध श्री वाजपेयीजी की शिक्षा विक्टोरिया कॉलेज में हुई। वर्तमान में इस कॉलेज का नाम बदलकर लक्ष्मीबाई कॉलेज कर दिया गया है। राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाजपेयी कानपुर चले गए। वहां डी.ए.वी. कॉलेज से राजनीतिशास्त्र में एम.ए. पास किया।
श्री वाजपेयी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। इसके अलावा वह आर्य कुमार सभा के भी सक्रिय सदस्य रहे। सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में वे जेल भी गए। सन् 1946 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उन्हें अपना प्रचारक बनाकर संडीला भेजा। उनकी प्रतिभा को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्र-धर्म पत्रिका का संपादक बना दिया। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपना मुख पत्र पाञ्चयजन्य शुरू किया, जिसके पहले संपादक श्री वाजपेयीजी को बनाया गया। वाजपेयीजी ने पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ ही वर्षों में अपने को रूपायित कर ख्याति अर्जित कर ली। बाद में वे वाराणसी से प्रकाशित चेतना, लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वदेश और दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन के संपादक रहे।
श्री वाजपेयी जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। अपनी अद्भुत क्षमता, प्रखर बौद्धिक, कुशलता व सफल वक्ता की छवि के कारण श्री वाजपेयी श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निजी सचिव बन गए। इन्होंने ने पहली बार 1955 ई. लोकसभा का चुनाव लड़ा और विजयी हुए।
सन् 1957 में बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर श्री वाजपेयी लोकसभा में गए। लेकिन सन् 1962 में वे कांग्रेस की सुभद्रा जोशी से हार गए। परंतु सन् 1967, 1971, 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 2004 में लोकसभ के सदस्य बने। सन् 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे। ये दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। सन् 1977 में जनता पार्टी के विभाजन के बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई, जिसमें वे संस्थापक सदस्य थे।
भारत के 12वें प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयीजी ने पहली बार 16 मई, 1985 को सत्ता संभाली, लेकिन तेरह दिन बाद ही बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण सरकार गिर गई।
सन् 1962 में इन्हें पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया। सन् 1994 में गोविंद वल्लभपंत और लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जनता पार्टी की सरकार में इन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। आपको अपनी राष्ट्रभाषा से बेहद लगाव है। देशभक्ति इनके जीवन का स्वर है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में आने हिंदी में भाषण देकर एक नया इतिहास रचा।
श्री वाजपेयी एक प्रखर नेता होने के साथ-साथ कवि व लेखक प्रखर पत्रकार भी हैं। डॉ. राहुल ने अपनी आलोचनात्मक पस्तक ‘अटल बिहारी वाजपेयी की काव्य साधना’ में लिखा है, “यदि वाजपेयीजी-राजनीति में आते तो छायावादोत्तर कवियों में एक प्रमुख कवि होते। उनकी कविताओं में भारतीय जीवन-दर्शन की स्पष्ट झलक मिलती है। …उनकी कविताओं में राष्ट्रीय प्रखर चेतना के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की गहरी भावना जीवंत हो उठी है।” आपने अनेक पुस्तकें लिखी हैं। जिसमें उनके लोकसभा के भाषणों का संग्रह, लोकसभा में अटलजी, मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैछी कविराय की कुंडलियां, न्यू डाइमेंसन ऑफ इंडियन फॉरेन पॉलिसी, फॉर डिकेटस इन पॉलियामेंट’ आदि प्रमुख हैं। आपका काव्य-संग्रह ‘मेरी इक्यावसन कविताएं’ प्रमुख हैं।
उनकी एक कविता की पंक्तियां द्रष्टव्य है-
आदमी न ऊंचा होता है, न नीचा होता है
न बड़ा होता है, न छोटा होता है
आदमी सिर्फ आदमी होता है।
आदमी को चाहिए कि वह जूझे
परिस्थितियों से लड़े
एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े।
विनम्र, कुशाग्र बुद्धि एवं अद्वितीय प्रतिभा संपन्न श्री वाजपेयी 19 मई, 1998 को प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए। श्री वाजपेयी इस पद पर तीन बार निर्वाचित हुए। ये अपने प्रधानमंत्रित्व काल में एक सशक्त भारत का निर्माण किया। इनके साहसिक कार्यों के लिए भारत सदैव इनका ऋणी रहेगा।