Hindi Essay, Paragraph on “साहित्य समाज का दर्पण है”, “Sahitya Samaj ka Darpan hai” 200 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Exam.
साहित्य समाज का दर्पण है
Sahitya Samaj ka Darpan hai
समाज व साहित्य का संबंध
भारतीय साहित्य
निष्कर्ष
साहित्यकार समाज का चितेरा होता है। वह उसकी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करता है। साहित्य समाज का दर्पण इसलिए है क्योंकि किसी समाज को जानने-समझने के लिए उसके साहित्य को पढ़ लेना पर्याप्त समाज में अच्छा-बुरा जो भी घटित होता है, साहित्यकार उसे अभिव्यक्ति देता है। इसके साथ ही साहित्य में हम जातीय भावनाओं का प्रतिबिंब देख सकते हैं। किसी समाज के साहित्य को पढ़कर हम उस जाति अथवा समाज के विशेष गुणों अथवा व्यक्तित्व से परिचय प्राप्त कर सकते हैं। वैदिक काल से आज तक जितना साहित्य रचा गया है उसमें भारतीयता की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है। मानव-मानव समान है परंतु प्रत्येक जाति के साहित्य की अपनी विशेषता होती है। साहित्य किसी समाज की सभ्यता-संस्कृति को वाणी देता है। सम्मिलित परिवार का जैसा चित्र भारतीय साहित्य में मिलता है, अन्यत्र नहीं। शेक्सपियर लाख कल्पना करने पर भी रामचरितमानस की कल्पना नहीं कर सकता। किसी समाज के व्यक्तित्व, स्वरूप, गुण-दोष आचार-विचार, मान्यताओं तथा विचारों को जानने के लिए उसका साहित्य सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन है।