Hindi Essay, Paragraph on “सपने में अंतरिक्ष की यात्रा”, “Sapne mein Antriksh ki Yatra” 200 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Exam.
सपने में अंतरिक्ष की यात्रा
Sapne mein Antriksh ki Yatra
कब कहाँ क्यों?
अंतरिक्ष से धरती का दृश्य
अंतरिक्ष के रोमांचक अनुभव स्वप्न-भग के पश्चात् की स्थिति एवं अनुभव।
सपने देखना मानव का स्वभाव है। सपनों से ही मनुष्य नया करने की प्रेरणा पाता है। मैं भी एक दिन विज्ञान फांतासी देख रहा था। देखते-देखते नींद आ गई और में स्वयं को अंतरिक्ष में पाया। मैं एक वायुयान में सवार होकर अंतरिक्ष की सैर कर रहा हूँ। तभी मुझे अपनी पृथ्वी की याद आती है तो उसकी तरफ देखता हूँ। दूर से पृथ्वी नारंगी की तरह दिखाई देती है। अंतरिक्ष में अनेक ग्रह दिखाई देते हैं। चारों तरफ सन्नाटा है। कभी-कभी कोई उल्का पास से गुजर जाती है। तारों के मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं। कभी कोई बड़ा ग्रह दिखाई देता है तो कभी छोटा। तभी सामने से एक पुच्छल तारा नजदीक आता हुआ लगता है और हमारा यान हिलने लगता है। हम गिरने लगते हैं तभी नींद खुल जाती है। में स्वयं को जमीन पर गिरा पाता हूँ और पुच्छल तारा फिल्म में से टकराकर चला जाता है। मुझे राहत की साँस मिलती है तथा मैं ईश्वर का धन्यवाद करता हूँ।