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Hindi Essay on “Vigyan Vardan Ya Abhishap” , ” विज्ञान वरदान है या अभिशाप ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

विज्ञान वरदान है या अभिशाप

Vigyan Vardan hai ya Abhishap

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Top 10 Essays on “Vigyan Vardan ya Abhishap”

निबंध नंबर : 01 

आधुनिक युग विज्ञान का युग है | विज्ञान का मुख्य पहलू , लक्ष्य, उद्देश्य और गन्तव्य मानव जीवन के लिए तरह – तरह के साधन जुटाकर उसे सुख – सुविधाओं और सम्पन्नता के वरदानो से भर देना है | परन्तु यह मानव के स्वभाव और व्यवहार पर निर्भर करता है की वह इसे सारी मानवता के लिए वरदान बना दे या अभिशाप | आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के अनेक आविष्कारो ने मानव जीवन को पहले से अधिक सुखी बना दिया है |

आज विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाने के लिए सुई से लेकर हवाई जहाज, रेलगाड़ी, जलयान व यंत्र , कार एव अनेक तरह के सामन मुहैया कर सुख – सुविधा से भर दिया है | यह भी मानव जीवन के लिए वरदान ही है | तार, यातायात के साधनों के विकास से संसार की दुरी बहुत छोटी हो गई है | इसके द्वारा मानव चन्द्रमा पर भी पहुँच गया है | चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अनेक चमत्कार किए है | जिन रोगों का पहले इलाज सम्भव नही था , इंजैक्शन तथा शल्य-चिकित्सा द्वारा उनका निदान सम्भव हो गया है | प्लास्टिक सर्जरी द्वारा अनेक कृत्रिम अंग बखूबी लगाए जाने लगे है | ‘एक्स – रे ‘ तथा ‘अल्ट्रा- साउंड द्वारा सूक्ष्म – से सूक्ष्म अंगो के चित्र खीचे जा रहे है | जहाँ तक की आँखों को आप्रेशन व इसका दुसरे के शरीर में प्रत्यारोपण भी सम्भव हो गया है |

‘मुद्रण –यन्त्र’ भी विज्ञान की ही दें है जिससे पुस्तको व् समाचार – पत्रों की अनेक प्रतियाँ थोड़े ही समय में मुद्रित की जाने लगी है | रेडियो , टेलीविजन तथा वी.सी. आर. आदि मनोरंजन के प्रमुख साधन है जो विज्ञान की देन है विज्ञान का आधुनिक युग का सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार है ‘विद्दुत’ जिससे हमे प्रकाश शक्ति व तापमान प्राप्त  होता है | यह मनुष्य के लिए एक प्रकार का वरदान ही है |

दूसरी और आधुनिक विज्ञान ने मानव जीवन और समाज को अभिशप्त भी कम नही किया है | विज्ञान ने हमे एक दानवी शक्ति भी दी है – ‘परमाणु शक्ति’ जिसका यदि हम दुरूपयोग करे तो पूरा संसार कुछ ही समय में नष्ट हो सकता है | जीवन के प्रागण को प्रकाशित करने वाली बिजली क्षणभर में आदमी के प्राणों का शोषण कर उसे निर्जीव बना कर छोड़ देती है | अनेक ऐसे यत्रो का निर्माण किया जा चुका है जिनका दुरूपयोग  कर एक बददिमाग आदमी घर के भीतर बैठकर केवल बटन दबाकर ही प्रलय की वर्षा कर सकता है | यह सब विज्ञान के अभिशाप ही है |

अत : आज विज्ञान ने हमे जो कुछ भी दिया वह हमारे लिए वरदान तथा अभिशाप दोनों ही है | यह केवल हमारे उपयोग पर निर्भर है |

 

निबंध नंबर: 02 

 

विज्ञान : वरदान या अभिषाप

Vigyan : Vardan ya Abhishap

आधुनिक काल का आरंभ विज्ञान की प्रगतियों के आरंभ होने का काल कहलाता है। आज हम प्रत्येक सांस वास्तव में ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न प्रकार की उपलब्धियों की छाया में लेते हैं। घर-बाहर कहीं भी चले जाइए, प्रत्येक कदम पर वैज्ञानिक अविष्कारों, अनेकविध वैज्ञानिक उपलब्धियों के दर्शन स्वत: ही होने लगते हैं। अत: आज के युग को यदि वैज्ञानिक युग कहते हैं, तो यह उचित है। इसके साथ् यह प्रश्न भी उचित ही उठाया जाता है कि विज्ञान मानवता के लिए वरदान है या अभिशाप?

उपर्युक्त दोनों पक्षों में से पहले विज्ञान के वरदान-पक्ष पर ही विचार कर लिया जाए। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक आजकल हम जितनी भी वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, वे सब वस्तुत: आधुनिक विज्ञान की ही देन हैं। विज्ञान ने आज के राष्ट्रों की आपसी दूरी को समाप्त कर उन्हें एक-दूसरे के समीप ला दिया है। सभी का सुख-दुख सांझा कर दिया है। अनेक प्रकार के परंपरागत अंधविश्वासों को मिटाकर आदमी की नई सूझ-बूझ, समानता, मानवतावादी दृष्टि औश्र प्रगति की नई राहें प्रदान की है। पहले मनुष्य की सभी स्तरों पर कई-कई दिनों तक कठोर परिश्रम करते रहना पड़ता था, तब भी सफलता संदिज्ध रहा करती थी। पर आज जल, थल और आकाश पर कहीं कुछ भी सफलतापूर्वक कर पाना असंभव नहीं रह गया है। मानव अपनी शक्ति, साहस और सफलता की कहानी वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से स्वंय अंतरिक्ष तक पहुंच उसके वृक्ष-स्थल पर लिख आया है। रेल, डाक, तार, रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन आदि तो अब रोजमर्रा-प्रयोग की आम चीजें बनकर रह गई हैं। यहां तक कि आज खाना पकाने जैसे सभी कार्य भी वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से सरलता के साथ होने लगे हैं। इससे समय, साधन और शक्ति की भी बचत होने लगी है। बड़े-बड़े कल-कारखाने फैक्टरियां आज जो कुछ भी कर रही है, वह सब मानव की सुख-सुविधा के लिए ही तो किया जाता है। इस प्रकार थोड़े में कहा जा सकता है कि वास्तव में विज्ञान और उसके विनिर्मित छोटे-बड़े सभी उपकरण मानवता को वरदान ही वरदान दे रहे हैं। उनसे मानव-जीवन उन्नत एंव सुख-सुविधा संपन्न हो गया एंव निरंतर और भी अधिकाधिक होता जा रहा है।

यहां तक तो हुई आधुनिक विज्ञान के एक पक्ष वरदान या भलाई वाले पक्ष की बात। लेकिन जब हम इसके दूसरे पक्ष पर विचार करते हैं, तो यह सब एकदम व्यर्थ और डरावना प्रतीत होने लगता है। यों तो वैज्ञानिक खोजों और प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप 19वीं सदी में ही अभिशाप वाला पक्ष सामने आने लगा था। पर द्वितीय युद्ध के अवसर पर जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी जैसे समृद्ध महानगरों पर परमाणु बमों का प्रयोग किया गया , तब यह स्पष्ट हो गया कि वास्तव में अगले वर्षों में विज्ञान मानवता के लिए घोर अभिषाप सिद्ध होने जा रहा है। विज्ञान का यह अभिशापदायक पक्ष आज तो और भी भयानकतर होता जा रहा है। ऐसे-ऐसे मारक, दूरमारक शस्त्रास्त्रों का निर्माण हो रहा है कि उनमें से दो-चार का प्रयोग ही सारी धरती को न केवल मानवता-विहीन, बल्कि सभी प्रकार के प्राणियों और वनस्पतियों तक से विहीन बना सकता है। प्राण-वायु तक का दम घोटकर संसार को निस्तब्ध कर मरघट के सन्नाटे में बदल सकता है। अब यदि कहीं तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ गया, तो निश्चय ही संसार में महाप्रलय हो जाएगी। अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों पर गर्व करने वाली मानवता का नाम तक भूले-बिसरे इतिहास का पृष्ट बन जाएगा। कितना लोमहर्षक होगा वह दिन। भगवान करे, वह दिन कभी भी न आए।

ये तो हुई वैज्ञानिक शस्त्रास्त्रों से मिलने वाले अभिशाप की बातें। यों, विज्ञान के जिन साधनों को हम वरदान मानकर प्रतिदिन के उपयोग में लाते हैं, वे भी मानवता के लिए कम घातक और अभिशाप प्रमाणित नहीं हो रहे। वायुयान, रेलें, मोटरें, ट्रक, स्कूटर आदि यातायात के आधुनिक साधन दुर्घटना का शिकार कर एक क्षण में ही प्रति-दिन हजारों के प्राण ले रहे हैं। घरों में जलने वाली बिजली, गैस-स्टोव, कैरोसिन आदि भी तो अक्सर प्राणघातक सिद्ध होते रहते हैं। इस प्रकार वह घर-बाहर कहीं भी आज मानव-जीवन पूर्ण सुरक्ष्पिात नहीं रह गया। वैज्ञानिक प्रगतियों और उपलब्धियों ने सामान्य व्यवहार और संबंधों के स्तर पर भी मानव को कोरा भौतिक एंव बौद्धिक बनाकर हदयहीन कर दिया है। वह एकदम स्वार्थी हो गया है। सहज मानवीय भावनाओं की क्षति को आधुनिक विज्ञान का एक बहुत बड़ा अभिशाप रेखांकित किया जा सकता है। विज्ञान ने मानव के आत्त्मविश्वास और श्रमशीलता को भी छीन लिया है। तभी तो आज चारों और अविश्वास, आपाधापी, अन्याय, अत्याचार, और शोषण का बाजार गरम है। इस तरह की हदय हीनता से मानवता की होने वाली क्षतिपूर्ति की भरपाई विज्ञान कभी नहीं कर सकता। निश्चय ही विज्ञान ने मानव को तुच्छ, स्वार्थी, हीन और आत्मकेंद्रित करके एक जड़ मशीन मात्र बनाकर रख दिया है। अन्य सभी बुराइयां इस जड़त्व की ही देन कही जा सकती है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि विज्ञान ने मानवता को उतने वरदान नहीं दिए, जितने अभिशाप। दुख की बात और स्थिति तो यह है कि अधिकांश वरदान भी अपने भीतर अंतिम परिणाम के रूप में अभिशाप ही छिपाए हुए हैं। यदि इस सबके निराकरण का उपाय न किया गया, तो मनुष्य द्वारा अपना ही उत्पन्न किया हुआ यह शेर एक दिन उसके साथ-साथ सारी मानवता को, सभ्ज्ञी प्रकारकी प्रगतियों, कला-संस्कृति तक को खाकर शून्य जग-जीवन को जड़ एंव शून्य कर देगा।

 

निबंध नंबर: 03

 

विज्ञान : एक अभिशाप

Vigyan : Ek Abhishap

अथवा

विज्ञान के दुरुपयोग

Vigyan ke Durupyog

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विज्ञान की देन अद्वितीय है। प्रत्येग क्षेत्र में विज्ञान अनेक रूपों में मनुष्य के लिए वरदान सिद्ध हुआ है, यह सत्य है परंतु इसका दूसरा पहलू भी है। विज्ञान मनुष्य के लिए समस्य बना चुका है। आज उसके अविष्कार ही हमारे लिए अभिशान बन गए हैं। विज्ञान की मदद से किए जाने वाले हमारे दैनिक कार्यों में कईं ऐसी बातें जुड़ती चली गई जिनके कारण धरातल के संपूर्ण जीव जगत पर संकट के बादल मंडराने लगे। मनुष्यों ने अपना दैनिक जीवन तो सुलभ बना लिया परंतु आगामी पीढ़ी के लिए धरती एक समस्या सी बनती जा रही है। अत: ऐसे विचारों के लोगों की संख्या कम नहीं है जो विज्ञान को एक अभिशाप के रूप में देखते हैं। साथ-साथ यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी वस्तु का दुरुपयोग हमारे लिए अभिशाप बन जाता है।

विज्ञान के अविष्कारों ने औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया जिसके फलस्वरूप आज नगरों में मशीनों व कल-कारखानों की संख्या अत्याधिक बढ़ गई है। गांवों से लोग शहरों की ओर आ रहे हैं जिससे शहरों में आबादी-दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अनेक क्षेत्रों में मनुष्य का कार्य मशीनों ने ले लिया है जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है। आज प्रतिस्पर्धा के दौर में सामान्य व्यक्ति को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जमीन-आसमान एक करना पड़ रहा है।

आज पूंजी मुख्य रूप से चंद लोगों के हाथों में सिमट गई है। लाभ का एक बड़ा हिस्सा, मिल-मालिकों व भ्रष्ट अधिकारियों के हाथों में जाता है। वहीं, दूसरी आवश्यकताओं की पूर्ति ही कर पाता है। इसके फलस्वरूप पूरा समाज धनवान और निर्धन में विभाजित हो गया है। इन्हीं कारणों से संपूर्ण विश्व भी पंूजीपति व समाजवादी देशों में विभाजित हो गया है। अत: विज्ञान ने आज मनुष्य को मनुष्य से अलग कर दिया है। संपूर्ण विश्व के देश आज प्रगति के पथ पर एक-दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं तथा सभी अपने को शक्ति-संपन्न देखना चाहते हैं। बारूद का अविष्कार इसी प्रतिस्पर्धा की देन है। नान प्रकार के हथियार विकसित हो गए हैं। रॉकेट, मिसाइल, बम, युद्ध में प्रयोग होने वाले जहाज तथा अनेक प्रकार के रासायनिक उपकरण मानव के विनाश के लिए तैयार हैं। हाईड्रोजन तथा परमाणु बम तो पूरी की पूरी मानव-सभ्यता को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम इसका ज्वलंत उदाहरण हैं।

विज्ञान के अविष्कारों से धार्मिक आस्था भी दिन पर दिन कमजोर पड़ती जा रही है। मनुष्य से असंतोष व स्वार्थ लोलुपता बढ़ती जा रही है जो किसी भी सभ्य मानव समाज के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। मनुष्य की सफलता ही आज उसे विनाश की ओर ले जा रही है। बढ़ते प्रदूषण के कारण दिन-प्रतिदिन प्रकृति का असंतुलन बढ़ता जा रहा है। हमारी पृथ्वी का रक्षा कवज ‘ओजोन परत’ निरंतर इससे प्रभावित हो रहा है जो पृथ्वी पर संपूर्ण जीवन के लिए खतरा बन सकता है।

विज्ञान ने यदि मनुष्य को चंद्रमा पर पहुंचाया है तो उसने उसे विनाश के गर्त पर भी ला खड़ा किया है। वास्तविक रूप में यदि इसका अवलोकर किया जाए तो हम देखते हैं कि इसकी शक्ति अपार है। यह मनुष्य के अपने विवेक पर है कि वह इसका प्रयास किस प्रकार करता है। विज्ञान का समुचित दिशा में किया गया उपयोग उसके लिए वरदान सिद्ध हो सकता है वहीं दूसरी ओर इसका दुरुपयोग उसके लिए अभिशाप भी बन सकता है।

 

निबंध नंबर : 04

विज्ञान के वरदान

Vigyan ke Vardan

अथवा

विज्ञान के चमत्कार

Vigyan ke Chamatkar

आधुनिक युग को यदि हम “विज्ञान का युग’ कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । विज्ञान ने अनेक असंभव लगने वाली बातों को संभव कर दिखाया है । जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जिसे विज्ञान ने प्रभावित न किया हो ।

विद्युत का आविष्कार विज्ञान की अनुपम देन है । इसने अंधेरे को उजाले में परिवर्तित कर दिया है । बटन दबाने मात्र से सारा घर अथवा सड़क तो क्या संपूर्ण शहर प्रकाशमान हो उठता है । इसके प्रयोग से मनुष्य ने सरदी-गरमी पर भी विजय प्राप्त कर ली है । वातानुकूलित कमरों में बैठने पर उसे वातावरण की कडाके की ठंड या गरमी का पता भी नहीं चलता है । अनेकों कल-कारखाने व मशीनें विद्युत के प्रयोग से चल रही हैं । विद्युत चालित रेलगाड़ियाँ प्रतिदिन लाखों लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं ।

चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अनेक चमत्कारिक दवाओं की खोज की है । जिससे मनुष्य को अनेक कष्टों से तुरंत आराम मिल जाता है । इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों के निरंतर अनुसंधान से ऐसे उपकरण बनाए जा चुके हैं जिनके प्रयोग से कभी असाध्य लगने वाली बीमारियों को भी ऑपरेशन द्वारा दूर किया जा सकता है | इसने अधों को ऑखें, लगड़ों को पैर तथा बहरों को कान प्रदान किए हैं |

यातायात के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अद्भुत चमत्कार कर दिखाए हैं । आज मनुष्य के पास इतने तीव्रगामी व आरामदायक साधन उपलब्ध है जिनसे वर्षी व महीनों का समय लगने वाली यात्रा केवल कुछ घंटों में ही पूर्ण हो जाती है | कार,  बस, रेलगाड़ी, वायुयान सभी विज्ञान के देन है | वायुयान अथवा हवाई जहाज के द्वारा मनुष्य केवल कुछ घंटों में पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंच सकता हे |

आधुनिक उपकरणों की खोज से वे खेत जिनकी जुताई में महीनों लगते थे । उनकी जुताई केवल कुछ घंटों में ही पूर्ण कर ली जाती है ।

कृषि के क्षेत्र  में भी विज्ञान ने कम योगदान नहीं दिया है | ट्रेक्टर व अन्य आधुनिक उपकरणों की खोज से वे खेत जिनकी जुताई में महीनों लगते थे आज उनकी जुताई केवल कुछ घंटों में ही पूर्ण हो जाती है | कृषि के क्षेत्र में हो रहे निरंतर अनुसंधान ने उन्नत बीज प्रदान किए है तथा अनेक प्रकार के रासायनिक खाद का निर्माण हुआ है जिससे कृषि की उत्पादन क्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ा है |

औद्योगिक क्षेत्र में मशीनों के आविष्कार ने तो क्रांति ही ला दी है । आज इनके प्रयोग से औद्योगिक क्षेत्र की उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ गई है । वह कार्य जो कभी सैकड़ों लोगों द्वारा किया जाता था आज केवल एक मशीन द्वारा हो रहा है । मशीनों के प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता में भी निरंतर सुधार हो रहा है ।

विज्ञान के आविष्कारों ने मनोरंजन के अनेकों ऐसे साधन विकसित कर दिए हैं जिसने मनुष्य के जीवन को अत्यंत सुखदायी बना दिया है । चलचित्र, दूरदर्शन, रेडियो, वीडियो आदि आविष्कारों ने मानव के जीवन की कायापलट कर दी है जो सभी मूड के व्यक्तियों को हँसाने, गुदगुदाने व उनका मन बहलाने में सक्षम हैं ।

शिक्षात्मक गतिविधियों को तो आधुनिक आविष्कारों ने इसे इतना सहज और सरल बना दिया है कि एक सामान्य व्यक्ति भी श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कर सकता है । आज विद्यार्थी घर बैठे ही विज्ञान के आधुनिक साधनों का प्रयोग कर ज्ञान के अथाह सागर में गोते लगा सकते हैं और इसके बल पर अपने योग्य उचित स्थान की प्राप्ति कर सकते हैं । बहुत से विद्याथी सुदूर देशों की यात्रा केवल शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से करते हैं जो आधुनिक विज्ञान का ही प्रतिफल है ।

विज्ञान के आविष्कार अनगिनत हैं और आज भी प्रतिदिन नए आविष्कार हो रहे हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य अपनी हर कल्पना को साकार करने हेतु अग्रसर है । निस्संदेह मानव जीवन को विज्ञान की देन अतुलनीय है ।

 

निबंध नंबर : 05

विज्ञान : वरदान या अभिशाप

Vigyan : Vardan ya Abhishap

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आज का युग विज्ञान का युग है । हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । प्राचीन काल में असंभव समझे जाने वाले तथ्यों को विज्ञान ने संभव कर दिखाया है । छोटी-सी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापते हवाई जहाज तक सभी विज्ञान की देन हैं । विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को जहाँ अपार सुविधाएँ प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाभिकीय यंत्रों आदि के विध्वंशकारी आविष्कारों ने संपूर्ण मानवजाति को विनाश के कगार पर लाकर खडा कर दिया है । अत: एक ओर तो यह मनुष्य के लिए वरदान है वहीं दूसरी ओर यह समस्त मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी है ।

वास्तविक रूप में यदि हम विज्ञान से होने वाले लाभ और हानियों का अवलोकन करें तो हम देखते हैं कि विज्ञान का सदुपयोग व दुरुपयोग मनुष्य के हाथ में है । यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इसे किस रूप में लेता है । उदाहरण के तौर पर यदि नाभिकीय ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाए तो यह मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता है जिसे विद्युत उत्पादन जैसे उपभोगों में लिया जा सकता है । परंतु दूसरी ओर यदि इसका गलत उपयोग हो तो यह अत्यंत विनाशकारी हो सकता है । द्रवितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी शहरों में परमाणु बम द्वारा हुई विनाश-लीला इसका ज्वलत उदाहरण है ।

विज्ञान के वरदान असीमित हैं । विद्युत विज्ञान का ही अदभुत वरदान है जिससे मनुष्य ने अंधकार पर विजय प्राप्त की है । विद्युत का उपयोग प्रकाश के अतिरिक्त मशीनों, कल-कारखानों, सिनेमाघरों आदि को चलाने में भी होता है । इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अभूतपूर्व सफलताएँ अर्जित की हैं। इसने असाध्य समझे जाने वाले रोगों का निदान ढूँढ़कर उसे साध्य कर दिखाया है । यात्रा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन कम नहीं है। इसके द्वारा वर्षों में तय की जाने वाली यात्राओं को मनुष्य कुछ ही दिनों या घंटों में तय कर सकता है। हवाई जहाज के आविष्कार ने तो मनुष्य को पंख प्रदान कर दिए हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने चंद्रमा पर विजय प्राप्त कर ली है और अब वह मंगल ग्रह पर विजय प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है । विज्ञान की देन असीमित है ।

विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को आराम और सुविधाएँ दी हैं वहीं दूसरी ओर उसके लिए नई मुश्किलें भी खाड़ी कर दी है | विश्व आज अनेक खेमों में बाँट गया है | इसके अतिरिक्त स्वयं को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हथियारों की होड़-सी लग गई है | उसने सम्पूर्ण मानव सभ्यता को अपने परमाणु व हाईट्रोजन

बमों की खोज से विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है । बेरोजगारी व निधनता दिन-प्रतिदन बढ़ रही है । लोगों का गाँवों से शहरों की ओर पलायन जारी हैं जिससे महानगरों एवं शहरों की जनसंख्या अत्यधिक बढ़ गई है । इस प्रकार विज्ञान का दुरुपयोग संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए अभिशाप सिद्ध हो रही हैं ।

विज्ञान का समुचित उपयोग न करने का ही यह परिणाम है कि आज दुनिया की आबादी बेतहाशा बढ़ रही है । आबादी रोकने के जितने भी साधन विज्ञान ने उपलब्ध कराए हैं वे सभी निर्विवाद रूप से कारगर हैं पर अविकसित देशों द्वारा इन साधनों को न अपनाने के फलस्वरूप ऐसे देश कई प्रकार की समस्याओं से घिर गए हैं । विज्ञान की मदद से बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है लेकिन कई देशों में अपने संसाधनों का इस्तेमाल न कर पाने की समस्या है । विज्ञान ने बृहत् पैमाने पर शिक्षा देने के साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है फिर भी कई देशों में भारी तादाद में अनपढ़ लोग हैं । वैज्ञानिक कृषि अपनाए जाने पर दुनिया से भुखमरी और कुपोषण की समस्या समाप्त हो सकती है, बावजूद इसके लोग खाद्यान्नों के बिना संकटग्रस्त दशा में हैं । अत: कहा जा सकता है कि वे अभिशाप जो विज्ञान के कारण उत्पन्न समझे जाते हैं, वास्तव में मानव सृजित हैं ।

हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम विज्ञान की अद्भुत देन का रचनात्मक कायों में ही प्रयोग करें । विज्ञान के दुरुपयोग के विरुद्ध अभियान छेड़ा जाना चाहिए । विश्व के समस्त देशों को विश्व शांति का प्रयास करना चाहिए तथा हथियारों को जो होड़ बढती जा रही है उसका विरोध एवं उस पर अंकुश लगाना  चाहिए ।

 

निबंध नंबर : 06

विज्ञान – वरदान या अभिशाप

Vigyan : Vardan ya Abhishap

प्रस्तावना

आज के युग में विज्ञान के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व में क्रान्ति ला दी है। अब विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतन्त्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विज्ञान के माध्यम से मनुष्य प्रकृति पर निरन्तर विजय प्राप्त करता जा रहा है।

आज से पचास वर्ष पूर्व विज्ञान के आविष्कारों की चर्चा से ही लोग आश्चर्यचकित हो जाया करते थे, परन्तु आज वहीं आविष्कार मनुष्य के जीवन में पूर्णतः सम्मिलित हो चुके हैं। आज मगर इन्सान के कदम चन्द्रमा पर पड़ते हैं तो कुछ दिनों तक कोतूहल जनता है-फिर नये कदम के पथ की ओर निगाह दौड़ाने लगते है। मंगल ग्रह पर जीवन सम्बन्धित खोज में जुटना नये कदम का उदाहरण है।

विज्ञान क्या है?-

मानव जैसे-जैसे सभ्य होता गया उसने ज्ञान और विज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होना प्रारम्भ कर दिया। संसार क्या है? इसकी रचना कैसे और किन-किन तत्वों के द्वारा हुई? इन बातों को जानने का प्रयास विज्ञान का क्षेत्र माना जाता है। संक्षेप में कहे तो संसार के मूल तथा विकास का जानना ही क्रमशः ज्ञान और विज्ञान कहलाता है।

वर्तमान मंे जहां एक ओर विज्ञान के द्वारा हमें अनेक प्रकार के सुख एवं सुविधाएं उपलब्ध हुई हैं, वहीं दूसरी ओर इसके द्वारा विनाश के अनेक साधन भी सामने आये।

 

ऐसी दशा में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि विज्ञान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?

 

विज्ञानः वरदान के रूप में

आज विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेेक प्रकार के साधन उपनब्ध कराये हैं। रातों-रात महल खड़ा कर देना, आकाश मार्ग से उड़कर दूसरे देश में पहुंच जाना। घर बैठे हजारों-हजारों किलोमीटर दूर, किसी व्यक्ति से बात करना उसे अपने सामने बैठे देखना, शत्रुओं के नगरों को मिनटों मंे बरबाद करना आदि अनेकों कार्य विज्ञान द्वारा ही सम्भव हुए हैं। अतः विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान सिद्व हुआ है। विज्ञान द्वारा मानव ने जीवन के अनेक क्षेत्र मंे उन्नति की है जो इस प्रकार हैं-

 

 (1) परिवहन के क्षेत्र में

पुराने समय में व्यक्ति थोड़ी सी दूरी तय करने में बहुत अधिक समय लगाता था। लम्बी यात्राओं को वह एक दुरूह स्वप्न समझता था। आत विज्ञान के द्वारा रेल, मोटरकार, मोटरसाइकिल, स्कूटर मोटर वाहन, हेलीकाॅप्टर तथा वायुयानों का आविष्कार किया गया। जिनमंे बैठकर मानव दूर से दूर की यात्रा सरलता से कर सकता है। पृथ्वी ही नहीं, आज इन वैज्ञानिक साधनों के द्वारा मनुष्य ने चन्द्रमा पर भी अपने कदमों के निशान बना दिये हैं।

 

(2) संचार के क्षेत्र मंे

पुराने समय में सन्देशों के आदान-प्रदान मंे बहुत अधिक समय लगता था। परन्तु आज विज्ञान के द्वारा इन्टरनेट, टेलीफोन मोबाइल का आविष्कार हुआ जिनके माध्यम से सन्देश एवं विचारों का आदान प्रदान किया जाता है। रेडियो और टेलीविजन द्वारा भी संसार में घटित घटनाओं का, कुछ ही क्षण में विश्व भर को पता चल जाता है।

 

(3) चिकित्सा के क्षेत्र में

विज्ञान द्वारा अनेक असम्भव बीमारियों का इलाज सम्भव हुआ है। विज्ञान ने चिकित्सा की नवीन पद्धतियों के जैसे भयंकर प्राणघातक रोगों पर विजय पाना भी विज्ञान के माध्यम से ही सम्भव हुआ है। पशुओं की क्लेनिंग के बाद मानव क्लोन बनने का आविष्कार चल रहा है। जो अनके मामलों में मानव के लिए सबसे बड़ा वरदान साबित होगा।

 

(4) कृषि के क्षेत्र में

भारत कृषि प्रधान देश है। प्रचीन काल में अन्न का उत्पादन करना अत्यन्त जटिल कार्य था लेकिन आज हम अन्न के मामले में आत्मनिर्भर हैं। यह सब कुछ विज्ञान की ही देन है। अन्न को सुरक्षित रखने के लिए भी अनेक प्रकार के नवीन उपकरणों का आविष्कार किया गया है। अच्छे, बीज, उर्वरक भूमि तैयार करना, लहलहाती फसल पैदा करना, कृषि यंत्रों द्वारा खेती करना, विज्ञान के सहारे ही तो सम्भव हो सका।

 

(5) परमाणु शक्ति के क्षेत्र में

आधुनिक युग को परमाणु युग कहा जाता है। आज अनुशक्ति द्वारा कृत्रिम बादलों के माध्यम से वर्षा की जा सकती है। इसके द्वारा नव कल्याण सम्बन्धी अनेक कार्य किये गये हैं। शान्तिपूर्ण कार्यों के लिये अणुशक्ति का विकास किया जा रहा है।

 

(6) दैनिक जीवन में

हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर ही निर्भर है। विद्युत हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। पंखे, कूलर, फ्रिज, वांशिग मशीन, कुकिंग गैस, माइक्रोवेव, सिलाई मशीन आदि सब विज्ञान की उपलब्धियां है। इन आविष्कारों से समय, शक्ति व श्रम की पर्याप्त बचत हुई है। आधुनिक टेक्नालाॅजी ने प्रकाशन साम्रगी की छपाई व्यवस्था को बहुत सहज बना दिया है। कम्प्यूटर की मदद से आटोमेटिक मशीनों का घण्टों पर काम मिनटों में होने लगा है।

 

(7) उद्योग के क्षेत्र में

उद्योगों के क्षेत्र में विज्ञान ने क्रान्तिकारी परिवर्तन किये हैं। विभिन्न प्रकार के वस्त्र, खाद्य पदार्थ एवं दैनिक उपयोग की वस्तुओं के उत्पादन हेतु विज्ञान ने सरलतम साधनों का आवष्किार किया है। आज आधुनिक से आधुनिक परिधानों की डिजाइन कम्प्यूटर द्वारा मिनटों में तैयार कर ली जाती है। फैंशी ड्रेसें विदेशों मे निर्यात कर देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है। देश की आर्थिक स्थिति इससे मजबूत हुई है। यह विज्ञान की हो तो देन है।

 

विज्ञान एक अभिशाप के रूप में

जहां एक ओर विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान सिद्व हुआ है। वहीं दूसरी ओर विज्ञान अभिशाप भी बना हुआ है।

 

आज विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत शक्ति दे दी हैं, किन्तु उसके प्रयोग पर कोई बन्ध नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव द्वारा इस शक्ति का दुरूपयोग किया जा रहा है जो मानवता के लिए अत्यन्त विनाशकारी है।

 

यन्त्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान के द्वारा ही सम्भव हुआ है। हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराये गये बमों से कहीं अधिक विध्वंस और विनाशकारी परमाणु बम आज विश्व के विनाश के लिए खतरा बने हुए हैं।

 

इनके प्रयोग से किसी भी क्षण सम्पूर्ण विश्व तथा विश्व संस्कृति का विनाश पल भर मंे सम्भव है। यदि किसी तानाशाह द्वारा निरंकुश होकर तीसरा विश्वयुद्व छेड़ दिया गया तो संसार तबाह हो जाएगा। यह अत्यंत चिंताजनक विषय है।

 

उपसंहार

विज्ञान के सम्बन्ध मंे विचार करने के बाद यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि जहां एक ओर विज्ञान हमारे लिए कल्याणकारी है, वहीं दूसरी ओर अत्यन्त विनाशकारी भी। किन्तु विनाश के लिए विज्ञान को ही उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। विज्ञान तो एक शक्ति है जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों कार्यों के लिए किया जाता है।

इस प्रकार विनाश की कल्पना करना विज्ञान का दोष नहीं, अपितु स्वंय मनुष्य के अहंकारी होने का दोष है। भगवान शंकर ने भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे शत्रु को भस्म कर देने का वरदान दे दिया था। भगवान शिव द्वारा ऐसा वरदान देना किसी भी तरह त्रुटिपूर्ण न था, क्योंकि शत्रु से रक्षा करना हर किसी का अधिकार है। लेकिन, उसी शक्ति को अहंकार में भरकर जब भस्मासुर ने भोलेनाथ पर ही आजमानी चाही तो व दुर्बुद्वि कहलायी। अपने अहंकार का उसने खुद ही फल भोगा। खुद पर किये गये अपने ही वरदान द्वारा उसने अपनी मौत बुला ली, खुद ही भस्म हो गया।

विज्ञान का भी ठीक ऐसा ही मामला है। आणुविक हथिहार शत्रु देशों से रक्षा के लिए बनाये गये हैं- पर यदि उनके अंहकार में भरकर कोई दुर्बुद्वि वाला व्यक्ति विश्व विजयपताका फहराने की बात सोचने लगे तो वह खुद भी तो विश्व में फेलार्थ विनाश लीला से बन्धन पायेगा।

संयुक्त राष्ट्र संघ के चाहिये कि आणुविक, जैविक और रासायनिक बमों के प्रयोग पर ऐसी पाबन्दी लगाये जिससे विश्व में विनाश का खतरा न रहे। विज्ञान के अभिशाप होने से उसी युक्ति द्वारा बचा जा सकता है।

 

निबंध नंबर: 07

 

विज्ञान वरदान अथवा अभिशाप

Vigyan Vardan ya Abhishap 

 

अथवा

 

विज्ञान और मनुष्य

Vigyan Aur Manushya 

प्रस्तावना

परिवर्तनशील निबन्ध-रूपरेखा संसारे मृत: को वा न जायते।” संस्कृत की इस उक्ति के अनुसार सत्य है, इस संसार में प्रतिक्षण परिवर्तन  होते रहते हैं। वस्तुत: आज संसार  इतनी शीघ्रता से प्रगति कर रहा है कि कल की बातें आज बहुत पुरानी लगती हैं। प्राचीन काल में लोग चन्द्रमा को अर्घ्य चढ़ाते थे, चन्द्रग्रहण  के अवसर पर स्नान-दान आदि करते थे और अब चन्द्रलोक की यात्रा की  योजनाएँ बन रही हैं। दिन-प्रतिदिन नये-नये आविष्कार हो रहे हैं। मनुष्य अपने बुद्धिबल से प्रकृति पर विजय प्राप्त करता जा रहा है। आज के वैज्ञानिकों ने असम्भव को सम्भव और असाध्य को साध्य बना दिया। है।

 

विज्ञान की उत्पत्ति

सत्रहवीं शताब्दी में पश्चिम के देशों में एक क्रान्ति की लहर-सी दौड़ी। इस लहर में एक ऐसी ज्वाला थी। जिससे देश के देश और राष्ट्र के राष्ट्र चकाचौंध हो उठे तथा आध्यात्मिकता भस्मसात् हो गई। “भूखे भजन न होत कृपाला” के अनुसार सबको रोटी और कपड़े की पड़ी। नये-नये साधनों की खोज। होने लगी। यन्त्रों और कलों का जन्म हुआ। यूरोप की इस औद्योगिक क्रान्ति से सम्पूर्ण विश्व प्रभावित हुआ और विज्ञान की चकाचौंध चारों। ओर फैलने लगी। उन्नीसवीं शताब्दी पहुँचते-पहुँचते विज्ञान उन्नति के शिखर पर पहुँच गया और आज हम अपने चारों ओर विज्ञान के। चकाचौंध कर देने वाले चमत्कारों को देखकर चकित होते हैं। आज जीवन का प्रत्येक क्षेत्र विज्ञान द्वारा ही संचालित है।

 

काव्य, साहित्य एवं धर्म से विज्ञान की तुलना

मानव का आदिम इतिहास प्रकृति के रहस्यों को देखकर चकित होता रहा है। जब वह प्रकृति के रहस्यों को देखता था, तो उसके हृदय में आश्रम के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती थी और वह विभिन्न देवी-देवताओं की कल्पना करके उनकी अर्चना द्वारा सन्तुष्ट हो जाता था; परन्तु आज का मानव उनको प्राप्त करने का प्रयास विज्ञान के द्वारा करता हैं।

 

काव्य और विज्ञान

मानव की उन्नति के लिये हृदय-प्रधान काव्य और बुद्धि-प्रधान विज्ञान की समान रूप से आवश्यकता है। एकमात्र काव्य का विकास मनुष्य की भावनाओं को शुद्ध तथा संस्कृत करके उसके हृदय का तो परिष्कार कर सकता है; किन्तु उसकी भौतिक उन्नति में किसी भी प्रकार की सहायता नहीं कर सकता है। इस प्रकार एकमात्र विज्ञान मानव की भौतिक प्रगति तो कर सकता है, परन्तु उसके हृदय को पवित्र करके उसकी आध्यात्मिक उन्नति करने में सर्वथा असमर्थ है। अत: मानव की बहुमुखी प्रगति के लिए दोनों । का समन्वय आवश्यक है।

 

साहित्य और विज्ञान

साहित्य समाज-रूपी शरीर का हृदय है। और विज्ञान उसका मस्तिष्क है। केवल साहित्य के विकास से मानव की भावनाओं का परिष्कार होकर हदय का विस्तार तो हो सकता है। परन्तु उससे भौतिक सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती, जबकि केवल विज्ञान के विकास से मानव की भौतिक उन्नति तो हो सकती है, पर उसका आध्यात्मिक पक्ष उपेक्षित रह जायेगा। मानव समाज के पूर्ण तथा सर्वांगीण विकास के लिए आध्यात्मिक तथा भौतिक दोनों ही प्रकार की उन्नति आवश्यक है। अत: मानव को साहित्य तथा विज्ञान दोनों के ही समुचित विकास तथा स्वस्थ समन्वय का ध्यान रखना पड़ेगा।

 

धर्म और विज्ञान

धर्म तथा आध्यात्मिकता से रहित विज्ञान मनुष्य को हिंसक तथा स्वार्थी बना देगा और विज्ञान से रहित धर्म मनुष्य को अन्धविश्वासी, ढोंगी तथा पलायनवादी बना देगा। जिस प्रकार मनुष्य को भोजन, वस्त्र, गृह और औषधि आदि सुखकारी वस्तुओं की पूर्ति के लिए विज्ञान की आवश्यकता है, उसी प्रकार जीवन को शान्तिमय तथा सन्तोषपूर्ण बनाने के लिए दया, क्षमा, नम्रता आदि के प्रदायक धर्म की आवश्यकता है। आज दोनों के ही समुचित विकास पर मानव और मानवता का भविष्य निर्भर है।

 

विज्ञान की देन

विज्ञान ने हमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आश्चर्यकारक सुविधाएँ प्रदान की हैं, जिनके कारण स्वर्ग को धरा पर उतारने की कवि की कल्पना सत्य सिद्ध हो चुकी है। आज विज्ञान ने भगवान् का रूप ले लिया है।

विज्ञान द्वारा भी आज अन्धों को नेत्र, बधिकों को श्रवण और लंगडों को चरण प्राप्त हो रहे हैं। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा कुरूपों को रूप मिल जाता है। कुछ लोगों के, तो हृदय परिवर्तन भी हो चुके हैं, जिन क्षेत्रों में विज्ञान ने क्रान्ति उत्पन्न की है. वे निम्न हैं

  • खाद्य पदार्थों के क्षेत्र में: इसमें अत्यन्त नवीन आविष्कार हुए हैं। नये-नये विटामिनयुक्त भोज्य पदार्थों का आविष्कार हो रहा है। चैकोस्लोवाकिया के वैज्ञानिकों ने ब्लाटन की ‘बेहम-वनस्पति प्रयोगशाला में एक ऐसा आलू पैदा किया है जिसका स्वाद सेब के समान होता है; जिसे कच्चा भी खाया जा सकता है और उबाल कर भी।
  • चिकित्सा के क्षेत्र में: इसमें तो अद्भुत आविष्कार हो चुके हैं। पहले कुक्कुर खाँसी का रोग असाध्य था; किन्तु अब ‘एस्पिरन’ नामक पदार्थ उसके लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हुआ है। एक्स-रे मशीन एक दैवी वरदान है जिससे शरीरस्थ औषधि तैयार की जा चुकी है। ऐनसिलीन, क्लोरोमाइसिटिन, रेन्ज (पेट दर्द के लिये) स्प्रो, सारेडन व आवेदन (फ्ल्यू, सरदर्द के लिए) तथा स्ट्रेप्टोमाइसिन, सल्फा आदि औषधियाँ रामबाण के समान लाभदायक हैं।
  • शिक्षा के क्षेत्र में : इसमें प्रेस की सुविधा के कारण आज सभी विषयों की पुस्तकें सुगमता से उपलब्ध हैं। सिनेमा एवं टेलीविजन द्वारा भी शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। अभी हाल में हुई शिक्षक संघ की बैठक में यह विचार किया गया था कि अधिकाधिक मात्रा में चलचित्रों द्वारा ही सुगमता से विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाए; जिससे खेल-खेल में वे प्रत्येक विषय को हृदयंगम कर सकें। यदि यह संभव हो गया तो फिर शिक्षा का और प्रसार हो जायेगा।
  • आवास बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए एक बड़ी समस्या : इन समस्या के निदान हेतु भूमि के अभाव को कई मंजिले मकान बनाकर दूर किया जा रहा है लिफ्ट द्वारा मनुष्य ऊँची से ऊँची मंजिल पर बटन दबाते ही पहुँच जाता है।
  • उद्योगों के क्षेत्र में : विज्ञान द्वारा निर्मित विशालकाय मशीनों से मानवोपयोगी अनेकानेक अद्भुत वस्तुओं का निर्माण हो रहा है। लाखों श्रमिकों को उद्योगों में काम मिल रहा है।
  • मनोरंजन के क्षेत्र में : यह मानव की मानसिक एवं शारीरिक क्लान्ति को दूर करता है। सबसे महत्त्वपूर्ण मनोरंजन के साधन सिनेमा में ‘सिनेमा स्कोप’ एक नया आविष्कार है। वैज्ञानिक ऐसा प्रयत्न भी कर रहे हैं कि भविष्य में दृश्य पदार्थों की मोहक सुगन्ध भी प्राप्त हो जाया करेगी। रेडियो तथा टेलीविजन को भी मनोरंजन के हेतु विज्ञान ने दिया है।
  • यातायात के क्षेत्रों में : यातायात के साधनों ने विज्ञान द्वारा बड़ी उन्नति की है। फिटफिट, मोटर, रेल, वायुयान, राकेट तथा अपोलो जैसे यानों से थोड़े समय में अधिक यात्रा की जा रही है। जर्मनी में एक ऐसे वायुयान का निर्माण हुआ है जिसमें 400 व्यक्ति यात्रा कर सकते हैं। बर्लिन में एक पानी में चलने वाले अण्डाकार स्कूटर का निर्माण हुआ है जिसकी गति प्रति घण्टा 12 मील है। अमेरिका में हवाई साईकिल बन चुकी है जिसका वजन सौ पौण्ड है।
  • संवाद के क्षेत्र में : इसमें टेलीफोन, टेलीग्राम, टेलीप्रिन्टर, रेडियो, सामाचारपत्र आदि अनेक साधन विकसित हैं जिनके द्वारा हम सैकड़ों में विश्व के समाचारों से अवगत हो जाते हैं।
  • मुद्रण-कला के क्षेत्र में : मुद्रण यंत्रों के प्रसार से अनेक दुर्लभ पुस्तकें सस्ते मूल्य पर सुलभ हो रही हैं।
  • यंत्रों के क्षेत्र में : इस क्षेत्र में भी विज्ञान के आविष्कार अंनन्त हैं। अणु बम और हाइड्रोजन बम तथा प्रक्षेपास्त्रों द्वारा क्षण भर में सैकड़ों मील पर बैठे शत्रु का विनाश किया जा सकता है। नेपाम, अणु, उद्जन जैसे बम, विषैली गैसें, तोपें, बमबारी करने वाले विमान तथा टैंक आदि युद्ध के क्षेत्र में प्रलय, मचा देते हैं।
  • अन्य क्षेत्र : इसी प्रकार इन्जीनियरिंग, परिवार नियोजन आदि के क्षेत्रों में भी विज्ञान ने चमत्कारिक उन्नति की है। इस प्रकार वस्तुत: हम सिर से पैर तक विज्ञान के ऋण में डूबे हैं।

 

विज्ञान वरदान के रूप में

विज्ञान के रूप में मनुष्य को एक ‘अलाउद्दीन का चिराग’ मिल गया है जिसके द्वारा उनके भाप, विद्युत्, ईथर और अणु आदि पर अधिकार कर लिया है। आज का वैज्ञानिक पुरुष को स्त्री और स्त्री को पुरुष बनाने लगा है। यदि विज्ञान के द्वारा मृतक शरीर में जीवन का संचार सम्भव हो गया, तो मनुष्य स्वयं विधाता बन जायेगा।

 

रोग-नियन्त्रण

अब अनेक असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त कर लेने के कारण लोगों की जीवन-शक्ति बढ़ गई है। प्लेग, हैजा तथा यक्ष्मा जैसी महामारियाँ समाप्त कर दी गई हैं। मलेरिया भी निर्मुल हो गया है।

 

दुर्भिक्ष निवारण

प्राचीन काल में प्राय: अकालों के कारण लाखों व्यक्ति भूख से तड़प कर मर जाते थे ; किन्तु अब सिंचाई के साधनों से अकाल ही समाप्त प्राय: कर दिया गया है।

 

वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का उदय

“भय बिन होइन प्रीति’ के अनुसार बम आदि विध्वंसकारी साधनों के भय से एक देश दूसरे देश के साथ भ्रातृत्व की भावना रखता है। आज पृथ्वी सिकुड़ कर एक परिवार बन गई है।

 

विज्ञान अभिशाप के रूप में

विनाशक यन्त्रों का निर्माण प्रत्येक गुणयुक्त वस्तु दोषों से रहित नहीं होती है। चन्द्रमा में कलंक है और पुष्प काँटों में खिलते हैं। भस्मासुर महादेव से वरदान प्राप्त कर उन्हें ही भस्म करने चला है। इसी प्रकार आज विज्ञान भी मानवता का सर्वनाश करने को उद्यत है। ‘हीरोशिमा’ और ‘नागासाकी’ पर गिराये गये अणुबम इसके प्रमाण है।

 

यन्त्रों की दासता व बेरोज़गारी

विज्ञान ने मनुष्य को यन्त्रों का दास बना दिया है। एक यन्त्र एक हजार व्यक्ति का कार्य करता है। अत: 999 व्यक्ति एक यन्त्र के निर्माण पर बेरोजगार हो जाते हैं।

 

आन्तरिक अशान्ति

मनुष्य ब्रह्म रूप से सम्पन्न होने पर भी हृदय से अशान्त है। उसने श्रद्धा के स्थान पर तर्क और ईश्वर के स्थान पर विज्ञान को ही सर्वस्व माना है, जिसके कारण उसे पूर्ण शान्ति नहीं मिल पाती है ।

 

उपसंहार

विज्ञान एक शक्ति है, इसे हम अच्छा या बुरा कुछ भी नहीं कह सकते हैं। इसे हम जिस रूप में चाहें प्रयुक्त कर सकते हैं। जैसा कि शेक्सपियर के भावों द्वारा व्यक्त हुआ है कि संसार में। कोई भी वस्तु बुरी या अच्छी नहीं है, मनुष्य की बुद्धि उसे अपने लिए। हानिकारक या लाभदायक बना लेती है ।

 

निबंध नंबर : 08

विज्ञान वरदान या अभिशाप

Vigyan Vardan ya Abhishap

vigyan-vardan-ya-abhip-essay

धूप-छाँह, रात–दिन की तरह जीवन के हर कार्य के दो पहलू हैं। इसी प्रकार ज्ञान-विज्ञान के भी दो पहलू स्पष्ट देखे और माने जा सकते हैं। आज हम जिस प्रकार का जीवन जी रहे हैं, उसमें कदम-कदम पर विज्ञान के अच्छे-बुरे वरदान या अभिशाप वाले दोनों पहलुओं के दर्शन होते रहते हैं। हम जिस बस पर यात्रा करते हैं, वह ठीक ठाक समय पर हमें हमारे लक्ष्य तक पहँचा देती है, यह विज्ञान का वरदान नहीं तो और क्या है? लेकिन उसी बस से निकलने वाला धुआँ पर्यावरण को दूषित कर वायुमण्डल को दम घोट बना रहा है या वही बस अन्धा-धुंध चलाई जा कर किसी अनजान राही के प्राण ले लेती है उसे टक्कर मारकर। क्या कहेंगे इसे? विज्ञान का अभिशाप ही न।

वरदान के रूप में अन्धेरी रात को दिन के उजाले में बदल देने वाली बिजली जब अचानक किसी बेचारे को छू कर उस के तन का रक्त पानी चूस कर उसे निर्जीव कर देती है, तब वह डायन सरीखी एक भयानक अभिशाप ही तो लगने लगती है। स्पष्ट है कि अच्छाई के साथ लगे बुराई के पुछल्ले की तरह विज्ञान के वरदान के साथ अभिशाप का पुछल्ला भी अवश्य लगा हुआ है। सत्य तो यह है कि विज्ञान की खोजों और आविष्कारों की प्रक्रिया वास्तव में मानवता की भलाई के लिए ही आरम्भ हुई थी। आरम्भ से लेकर आज तक विज्ञान ने मानव-जाति को वह कुछ दिया है कि उसके जीवन क्रम में पूरी तरह बदलाव आ गया है। विज्ञान की सहायता से आज का मानव धरती तो क्या, जल, वायु मण्डल, अन्तरिक्ष और अन्य ग्रहों तक का स्वतंत्र विचरण कर रहा है। वह घर बैठ कर कहीं भी बात-चीत कर सकता है, कहीं के भी दर्शन कर सकता हैं यहाँ तक कि खान-पान, रहन-सहन, पहनना-ओढ़ना तक वैज्ञानिक हो गया है। विज्ञान की सहायता से वह तन का रक्त जमा देने वाली ठण्ड और झुलसा देने वाली गर्मी में रह सकता है। इस सब को वरदान ही तो कहा जाएगा आधुनिक विज्ञान का।

दूसरी तरफ उनकी बनाई सभी वरदानी वस्तुए क्षण भर में प्राण भी ले सकती हैं। उनके अतिरिक्त आज जो भयानकतम मारक शस्त्राशस्त्र बन गए हैं, जैविक और रासायनिक शस्त्रों का निर्माण किया जा रहा है, युद्ध की जो नई प्रणालियाँ विकसित की जा रही हैं, उनके द्वारा कुछ ही क्षणों में धरती पर से मनुष्यता क्या सारी वनस्पतियों, नदियों-पहाड़ों तक का नाम मिटाया जा सकता है। इस विवेचन से स्पष्ट है कि अपनी खोजों से वरदान रूप में मानव को विज्ञान जितना कुछ दे रहा है, उस से कहीं अधिक तेजी से अपना अभिशाप बरसा सर्वस्व ले भी सकता है। सो विज्ञान वरदान तो है, उससे कहीं बड़ा अभिशाप भी है, इसमें तनिक संदेह नहीं।

 

निबंध नंबर : 09

विज्ञान: वरदान या अभिशाप

Vigyan-Vardan ya Abhishap

विज्ञान

एक वरदान-आकेडियन फरार लिखते हैं- “विज्ञान ने अंधों को आँखें दी हैं और बहरों को सुनने की शक्ति। पने जीवन को दीर्घ बना दिया है, भय को कम कर दिया है। उसने पागलपन को वश में कर लिया है और रोग को रोद डाला के” यह उक्ति सत्य है। विज्ञान की सहायता से असाध्य रोगों के इलाज ढूँढ लिए गए हैं। कई बीमारियों को समूल नष्ट कर दिया गया है।

रसोई-घर से लेकर मुर्दाघर तक सब जगह विज्ञान ने वरदान ही वरदान बाँटे हैं। विज्ञान की सहायता से पूरी दुनिया एक परिवार बन गई है। जब चाहे, तब मनुष्य अपने प्रियजनों से बात कर सकता है। घंटे भर में दनिया का चक्कर लगा सकता है। सैकेंडों में दुनिया भर को कोई संदेश दिया जा सकता है।

विज्ञान ने दूरदर्शन, रेडियो, वीडियो, आडियो, चलचित्र आदि के द्वारा मनष्य के नीरस जीवन को सरस बना दिया है। जौबीसों घंटे चलने वाले कार्यक्रम, नए-नए सुंदर सुस्वादु व्यंजन, सुखदायक रंगीन वस्त्र, सौंदर्य-बर्द्धक साधन विज्ञान की ही देन है।

 

विज्ञान : एक अभिशाप

विज्ञान का सबसे बड़ा खतरा है-पर्यावरण-प्रदूषण। इसके कारण आज शहरों में साँस लेना दूभर हो गया है। हर जगह शोर, गंदगी और बीमारियों का साम्राज्य-सा फैल गया है। कृत्रिम खादों, दवाइयों के कारण भूमि से उत्पन्न अन्न-फल तक दूषित हो गए हैं।

विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने खतरनाक बम बना लिए हैं। इससे अनेक बार विषैली गैसें तथा रेडियोधर्मी किरणें विकीर्ण हो चुकी हैं। भोपाल गैस कांड और ओजोन गैस की परत का फटना इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। यातायात की तेज गति के कारण भी मौतें होने लगी हैं। लोगों के शरीर पंगु होने लगे हैं। ये सब जीवन पर अभिशाप हैं। विज्ञान ने मनुष्य को बेरोजगार बना दिया है। सैकड़ों आदमियों का काम करने वाली मशीनों ने कारीगरों के हाथ बेकार कर दिए हैं।

 

निष्कर्ष

सच बात यह है कि विज्ञान के सदुपयोग या दुरुपयोग को ही वरदान या अभिशाप कहते हैं। विज्ञान का संतुलित उपयोग जीवनदायी है। उसका अंधाधुंध दुरुपयोग विनाशकारी है।

 

निबंध नंबर : 10

विज्ञान: वरदान या अभिशाप

Vigyan Vardan ya Abhishap

 

  • दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्त्व
  • समय काल की दूरी को मिटाने वाला।
  • जीवन के हर क्षेत्र में पकड़।
  • विज्ञान का विनाशकारी रूप।

जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ विज्ञान ने अपने चरण न धरे हों। दैनिक जीवन को अत्यंत सरल व सखमय बनाने के साथ-साथ संचार, यातायात, चिकित्सा, मनोरंजन, जीविकोपार्जन आदि के जो साधन आज उपलब्ध हैं उनकी कभी हमारे पूर्वजों ने कल्पना तक न की होगी। मानव ने विज्ञान के माध्यम से जल-थल और आकाश की सभी शक्तियों पर नियंत्रण पाकर उन्हें अपने लिए उपयोगी बना लिया है। समय और काल की दूरी को मिटा दिया है। सारी दुनिया को एक परिवार के दायरे में समेट दिया है। संचार माध्यम इतने प्रभावी हो गए हैं कि हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति से, आप केवल बात ही नहीं कर सकते अपितु उसे बात करते सामने देख भी सकते हैं। यातायात इतना सुगम हो गया है कि मीलों की दूरी की बात तो दूर, एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक पहुँचने में भी समय नहीं लगता। चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने जहाँ मृत्युदर को कम किया है वहीं अनेक असाध्य रोगों पर विजय पाई है। मनोरंजन के लिए सिनेमा, वीडियो, रेडियो, टी वी केबल पर मनपसंद कार्यक्रम और न जाने क्या क्या! चौबीसों घंटे जब खाली हों तब अपनी थकान उतारें। यह है विज्ञान का कमाल।  सजने-सँवरने के लिए बढ़िया कपड़ा, शृंगार-सामग्री व सुंदर बनाने की तकनीक व प्रसाधन क्या यह सब वर्ग की साकार कल्पना से प्रतीत नहीं होते? रही-सही कसर पूरी कर रहा है कंप्यूटर। पलभर में जमा-घटा, जोड़-हिसाब, नई-नई जानकारी अपनी कल्पना के अनेक रूपाकार बिल्डिंगों की संरचना या आयुधों की संरचना की विशिष्ट जानकारी अर्थात मानव मेधा का सर्वोत्कृष्ट रूप है कंप्यूटर। आपको माथापच्ची करने की कोई आवश्यकता नहीं, अपने सभी दिमागी काम कंप्यूटर पर छोड़ निश्चिंत हो जाइए। निश्चय ही विज्ञान ने मानव के हाथों में अपरिमित शक्ति सौंप दी है। उसके जीवन यथा संपूर्ण धरा को स्वर्ग तुल्य बना दिया है। परंतु इस असीमित शक्ति ने आदमी का चैन छीन लिया है और वह दिन-रात न जाने कहाँ दौड़ता चला जा रहा है अपनों से दूर, इंसानियत से दर। अत्यंत स्वार्थी व निर्भय बना वह इंसान को इंसान भी नहीं समझता। शांति के नाम पर एकत्र किया गया गोला-बारूद न जाने कब फट पड़े। इसलिए हम आशा करते हैं कि आदमी के विवेक पर विज्ञान हावी न होने पाए। मनष्य विज्ञान का दास न बनकर उसका स्वामी ही बना रहे तभी यह वरदान है नहीं तो यह अभिशाप है।

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commentscomments

  1. Lavanya says:

    Please write essay for class 6 standard

  2. Swati ray says:

    Thanks for this eassy

  3. Leena santosh says:

    Please when you write essay in hindi next time please do note that 100 words essay are there not .please do for it the next time.and consider this as your feedback from my side.
    …..grace…

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