Hindi Essay on “Vigyan Vardan Nahi Abhishap Hai”, “विज्ञान वरदान नहीं अभिशाप है” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
विज्ञान वरदान नहीं अभिशाप है
Vigyan Vardan Nahi Abhishap Hai
संसार में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं जो जानबूझ कर आँखें मंदने का यत्न करते हैं। पक्षपात के कारण किसी वस्तु को अच्छा या बुरा कह देना ठीक नहीं है। सोच समझ से ही कोई निर्णय लेना चाहिए। विज्ञान की महिमा के गीत गाने वालों को इसके द्वारा प्रदान की गई बुराइयों और हानियों पर भी विचार करना चाहिए। वास्तविकता यह है कि वरदान प्रतीत होने वाला विज्ञान मनुष्य के जीवन के लिए अभिशाप ही सिद्ध हुआ है।
इसमें कोई सन्देह नहीं कि विज्ञान ने यात्रा को सुगम और तेज़ बना दिया है किन्तु इसके साथ ही अपराधियों की भी बहुत सहायता की है। एक व्यक्ति एक जगह डाका डाल कर, चोरी और हत्या करके कुछ ही घंटों में कहीं का कहीं पहुंच जाता है और कानून के पंजे में आने से बच जाता है। तस्करों के अन्तर्राष्ट्रीय गिरोह बन गए हैं। कोकीन, हशीश, अफीम और हीरों का तस्कर व्यापार वायुयानों की कृपा से धड़ल्ले से चल रहा है। यातायात के इन साधनों ने मनुष्य को बहुत नाजुक और आरामपरस्त बनाकर उसे शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्बल तथा असमर्थ बना दिया है। विज्ञान के आविष्कारों ने मनुष्य की परिश्रम करने की सामर्थ्य और दुःखों को सहन करने की शक्ति नष्ट कर दी है। थोड़ा सा पैदल चलने की जगह आधा घंटा बस की प्रतीक्षा में बिता दिया जाता है। गर्मियों के दिनों में थोडी सी देर के लिए बिजली बन्द हो तो हाहाकार मच जाती है।
विज्ञान ने पुराने अनेक रोगों पर विजय पा ली है किन्तु उनकी जगह नए और भयानक रोगों की वृद्धि कर दी है। यह नहीं भूलना चाहिए कि विज्ञान के वरदान से हमें जो कृत्रिम और कोलाहल-संघर्ष भरा जीवन मिला है। उसी के फलस्वरूप पेट की बीमारियां, सिर दर्द, मानसिक रोग, हृदय रोग और ब्लड प्रैशर आदि में वृद्धि हुई है। विदेशों में ऐसे बहुत से लोग हैं जो नींद की दवाई लिए बिना सो ही नहीं पाते। अमेरिका में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो जेब में सिर दर्द हटाने की दवाई न रखता हो।
मशीनों ने हाथ से काम करने वाले कारीगरों की रोटी छीन ली है। सभी वर्गों के लोग आज मज़दूर बन गए हैं। उनके काम और उनकी आज़ादी पर विज्ञान ने ही डाका डाला है। एक मिल मालिक मिल में काम करने वाले सैंकड़ों मजदूरों की मेहनत का एक बहुत बड़ा भाग स्वयं हड़प जाता है। इस तरह मानव द्वारा मानव के शोषण का अभिशाप विज्ञान द्वारा बढ़ा है।
युद्धों का कारण भी विज्ञान ही है। इसका यह अर्थ नहीं कि विज्ञान के बिना युद्ध नहीं होते थे, किन्तु वे युद्ध इतने भयानक नहीं होते थे। अर्थशास्त्र मानता है कि कच्चा माल हथियाने के लिए अथवा बने हुए माल को बेचने के लिए मंडियां पाने की खातिर ही युद्ध लड़े जाते हैं । यह दशा तभी आती है जब अपनी आवश्यकता से अधिक माल का उत्पादन होने लगता है और आवश्यकता से अधिक उत्पादन विज्ञान का ही वरदान है। इस तरह युद्धों का कारण भी विज्ञान ही है।
युद्धों में प्रयुक्त होने वाले भयानक अस्त्र-शस्त्र भी विज्ञान का ही प्रसाद हैं। शताब्दी में हुए दो विश्व युद्धों में लोगों को मारने के लिए असंख्य धन राशि नष्ट की गई। असंख्य बच्चे अनाथ हुए, अनगिनत नारियों का सुहाग लुटा। हिरोशीमा-नागासाकी पर गिराये गए परमाणु बम किस की देन थे? अब और भी मारक दादोजन बम और कोबाल्ट बम तैयार हो चुके हैं। दूरमार अस्त्र भी बनाए जा चुके हैं।
वातावरण विज्ञान के कारण दूषित हो रहा है, यह आज की सब से बड़ी समस्या है। कारखानों का धुआं और पैट्रोल का धुआं वायु मंडल को दूषित कर रहा है। बड़े-बड़े कारखाने प्रायः नदियों के तटों पर लगाये जाते हैं । रासायनिक अवशेष नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं, जिससे जल भी दूषित हो रहा है। जलीय वनस्पतियां नष्ट हो रही हैं, मछलियां आदि जलचर मर रहे हैं। समुद्रों का पानी भी समुद्री जहाजों के तेल से दूषित हो रहा है। कीटाणुनाशक औषधियां जो फसलों पर छिड़की जाती हैं, उनका कुछ अंश धीरे-धीरे मनुष्य के रक्त में जमा होता जा रहा है। अब वैज्ञानिक ही सोने पर विवश हो गए हैं कि यह सारा विदूषण कहीं समस्त जीवों के विनाश का कारण ही न बन जाए। ऐसी दशा में विज्ञान अभिशाप नहीं तो और क्या है?
विज्ञान इसलिए भी अभिशाप है कि इसके कारण आज का मनुष्य अधिक से अधिक व्यक्तिवादी होता चला जा रहा है। उसके लिए पड़ोसी का भी कोई अस्तित्व नहीं रहा। विज्ञान ने देश काल की दीवारें तो तोड़ डालीं परन्तु किन्तु साथ ही दिलों के दरवाज़े भी बन्द कर दिए हैं। आपस में कोई मेल मिलाप नहीं रहा। यही कारण है कि इस भरी हुई दुनिया में भी मनुष्य अपने आप को अकेला अनुभव करता है।
इस तरह विज्ञान ने मनुष्य की सुख-शान्ति और उसकी रातों की नींद चुरा ली है। विज्ञान ने संसार को यदि स्वर्ग बनाया है तो वह ऐसा स्वर्ग है जहां सब मृत हैं, जहां सब आलसी है, जहां युद्धों के खतरे हैं और जहां हर कोई अपने आप से भी डरता है।