Hindi Essay on “Vigyan Ke Chamatkar” , ” विज्ञान के चमत्कार ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
विज्ञान के चमत्कार
आज के युग में विज्ञान उन्नति कर ली है की उसने अन्वेषणों तथा आविष्कारों को देखकर मानव चमत्कार हुए बिना नही रह पाता | उन अनेक प्रकार के चमत्कारों तथा अन्य चमत्कारों के बढ़ते हुए नित्य कदमो के कारण ही इस युग को विज्ञान के चमत्कारों का युग कहा जाने लगा है | वस्तुत : मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान ने अपना आसन जमा लिया है | चिकित्सा, यातायात, व्यापार , मनोरंजन , शिक्षा आदि से लेकर नक्षत्र एव गृह विज्ञान तक इसका क्षेत्र फैल चुका है |
प्रात : उठने से लेकर रात को सोने तक आज का मनुष्य जिस तरह के भी उपकरणों व् साधनों का उपयोग करता है वे सभी आधुनिक विज्ञान एव तकनीक की ही देन है | आज बिजली, रेडियो, सिनेमा , टेलीविजन, टेलीफोन , जलयान, वायुयान , पंखे , बल्ब , रसोई तथा बैठक आदि के उपकरण , सभी कुछ आधुनिक विज्ञान की देन है | कल तक जिन रोगों के इलाज की हम कल्पना तक नही कर पाते थे , आज के विज्ञान ने उनका नाम तक मिटा दिया है | वैज्ञानिक उपकरणों है और चन्द्रलोक तक की ऊबड़-खाबड़ भूमि पर अपने चरण – चिन्ह अंकित कर आया है | विज्ञान की सहायता से आज का मानव सागर का अन्तराल चीर कर उसके अन्तरतल की खोज करने लगा है |
आधुनिक विज्ञान ने सोचने – विचारने , आंकड़े इकट्ठे करने , बड़े – से – बड़ा हिसाब – किताब रखने जैसे काम भी कम्यूटर की सहायता से सम्भाल रखे है | इनके अलावा इनसे इजीनियरिग और परिवार नियोजन आदि के क्षेत्रो में भी चमत्कारिक प्रगति कर ली है | आज का वैज्ञानिक पुरुष को स्त्री और स्त्री को पुरुष तक बनाने में सक्षम है | इस प्रकार विज्ञान के बढ़ते हुए कदमो और चमत्कारों के कारण आज निकट – दूर कुछ भी नही रह गया है |
आधुनिक विज्ञान ने युद्ध की तकनीक में विशेष चमत्कार कर दिखाया है | हाईड्रोजन बम , कोबाल्ट बम, जैविक या रासायनिक बमो एव शस्त्रास्त्रो के निर्माण की लोमहर्षक चर्चा सुनने के बाद परमाणु बम की कहानी तो पुरानी – सी लगने लगती है | यदि भविष्य में युद्ध होगे तो उनका संचालन कोई भूमिगत और चमत्कृत कर देने वाला वैज्ञानिक यंत्र ही कर रहा होगा | इस प्रकार विज्ञान ने युद्ध – कला को विनाश और सर्वनाश की कला बना दिया है |
वास्तव में विज्ञान एक शक्ति है जिसका प्रयोग हम अच्छे या बुरे रूप में कर सकते है | इसे जनहित में लगाकर विश्व को नन्दन वन बना सकते है अन्यथा थोड़ी सी विवेकहीनता ही विश्व को मरुस्थल में बदल सकती है इसका दायित्व हमारे राजनितिज्ञो पर निर्भर करता है |