Hindi Essay on “Vidyarathi aur Anusashan” , ”विद्दार्थी और अनुशासन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
विद्दार्थी और अनुशासन
नियमबद्ध होकर और नियन्त्रण में रहकर कार्य करना अनुशासन कहलाता है अनुशासन दो प्रकार से होता है – (1) आत्मिक , (2) बाह्म | आत्मिक अनुशासन में मनुष्य अपनी आत्मा की प्रेरणा से अनुशासनबद्ध होता है | जबकि बाह्म अनुशासन का कारण भय , दण्ड तथा बाहरी दबाव व आदर्श होता है | इनमे से आत्मिक अनुशासन ही सर्वोत्तम माना जाता है |
विद्दार्थी हो या कोई अन्य व्यक्ति , जीवन और समाज में ढंग से रहने सुव्यवस्थित ढंग से इसे चलाने के लिए उसे अनुशासित जीवन व्यतीत करना अत्यन्त आवश्यक होता है | अनुशासन के अभाव में किसी भी तरह की प्रगति एव विकास-कार्य सम्भव नही हुआ करता है | पुरातन शिक्षा पद्धति में अनुशासन का विशिष्ट स्थान था | आत्मसंयम, आत्मदमन और आज्ञापालन आदि उस समय शिक्षा पद्धति के आवश्यक अंग थे | मध्ययुग में आकर यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे कम – से- कम होती गई | आधुनिक युग में तो इस आत्मिक अनुशासन की प्रवृत्ति का अंत हो गया | परन्तु प्राय: ऐसा देखा जाता है कि बाह्म अनुशासन भी अनेक कारणों से ढीला पड़ता जा रहा है | आज का छात्र आन्दोलन , दंगा- फसाद, चाकूबाजी, हड़ताल , हत्या, बंद, आगजनी, डाका व लूटमार आदि जैसे अनुचित कार्यो से अपने को जोड़ता जा रहा है |
विद्दार्थी वर्ग में अनुशासनहीनता के लिए वर्तमान शिक्षा पद्धति विशेष रूप से उत्तरदायी है | इस शिक्षा पद्धति में चरित्र निर्माण व नैतिक शिक्षा का कोई स्थान नही है | बेरोजगारी , भविष्य की अनिशीचतता और भ्रष्टाचार भी छात्रो में अनुशासन हीनता के लिए उत्तरदायी है | इनके अतिरिक्त शिक्षको की गुटबाजी, राजनीतिज्ञों का अंधा स्वार्थ, घरेलू व सामाजिक वातावरण, सस्ती फिल्मे व सस्ते फिल्मे व सस्ते साहित्य आदि अनेक कारण अनुशासनहीनता को बढ़ा रहे है |
विद्दार्थियो में इस बढती हुई अनुशासनहीनता को रोकना होगा तथा ऐसे उपाय ढूढने होगे जो अनुशासनहीनता को अमाप्त करने में सहायक हो | सर्वप्रथम तो हमे उनमे उत्तरदायित्व की भावना , शारीरिक परिश्रम करने के प्रति प्रेरणा और शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता है | नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना होगा अनुशासन सम्बन्धी गोष्ठियो का प्रसार करना होगा | माता –पिता का चरित्र व ईमानदार राजनैतिक नेताओ का जीवन आदर्श होना चाहिए | विद्दार्थियो को दी जाने वाली शिक्षा को व्यावहारिक जीवन की आवश्यकताओ से जोड़ कर सरस एव उद्देश्य पूर्ण बनाना होगा | तभी छात्र वर्ग एव देश – जाति का भी हित संभव हो सकता है |