Hindi Essay on “Vegyanik Vikas” , ”वैज्ञानिक विकास” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
वैज्ञानिक विकास
Vegyanik Vikas
ईसा के 3000 वर्ष पूर्व से 1500 वर्श तक मनुष्य अंकों का जोड़, घटाना, गुणा, भाग सीख चुका था।
प्राचीन भारत में बोधायन, बाणभट्ट, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, कणद, नागार्जुन, चरक, कात्यान और गार्गी ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत योगदान किया। ऋगवेद-काल के आर्यों ने 10 को गणना का आधान माना। ईसा-पूर्व तीसरी और चौथी शताब्दियों के गणितज्ञों ने इसी आधार पर अपनी अंक लिपि तैयार की। इस श्रंखला में संख्याओं के स्थानीय मान की दशमलव पद्धति का अविष्कार हुआ। इस पद्धति को आज सारे विश्व ने अपनाया है।
भारत ने विश्व को शून्य का ज्ञान दिया, तब विश्व को गणना करने का संस्कार मिला। ग्रहकों के प्रभाव की जानकारी भी भारत ने ही पूरे विश्व को दी।
विश्व में पांच तत्वों की मौजूदगी की कल्पना भारतीय दार्शनिकों की ही देन है। इस ज्ञान का विस्तार बाद में मिस्र, अरब, चीन और यूरोप में हुआ।
भारतीयों को धातुकर्म, किण्वन तथा औषध के विषयों में पर्याप्त ज्ञान था। उन औषधियों में भस्म, अर्क, आसव आदि के विषय में अच्छा ज्ञान था। सोमरस, ताड़ी आदि का निर्माण तथा सेवन इसके प्रमाण हैं।
औषध के क्षेत्र में सुश्रुत, चरक, बाण, धंन्वंतरि, कैयदेव, भावमिश्र, पंतजलि के नाम प्रमुख हैं। तकनीक के क्षेत्र में भी प्राचीन भारत पिछड़ा नहीं था। धातु संबंधी ज्ञान भी अत्याधिक उन्नत था। दिल्ली में महरौली स्थित लौह स्तंभ पर आज तक जंग नहीं लगी है। यह आज भी शोध का विषय बना हुआ है। इस स्तंभ की चमक ज्यों की त्यों बनी हुई है।
पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय समाज में एक क्रांति हुई थी। उसे औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। यह विज्ञान की व्यापक उन्नति के कारण संभव हो पाई। इस युग को न्यूटन युग के नाम से पुकारा जाता है। ऐसा इसलिए कि सर आज इक न्यूटन उस समय के महान विज्ञानी थे। इस युग के प्रसिद्ध यूरोपीय विज्ञानी थे। लियोनार्ड, वैसेलियस, गैलीलियो, हार्वे तथा ब्यावल। उन्होंने भोतिकी, गणित, रसायन, जीव-विज्ञान तथा खगोल-विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
सन 1803 में डाल्टन ने विश्व को अपना परमाणविक सिद्धांत दिया। ऐवोगैड्रो ने सन 1811 में अणु की खोज की। सन 1900 के बाद परमाणु-संरचना, रेडियोधर्मिता तथा परमाणविक शक्ति की खोज हुई। उन्नीसवीं सदी के प्रमुख अविष्कार भाप, तेल तथा विद्युत थे। भाप की शक्ति से भाप इंजन और मशीन आदि चलाए गए। तेल की ऊर्जा से मोटर इंजन तथा हवाई जहाज ने गति पाई। विद्याुत ऊर्जा का उपयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है। टेलीविजन, टेलीग्राफ तथा अन्य मशीनों को चलाने में इसका उपयोग है। रेडियो, ग्रामोफोन व टेलीविजन जैसे मनोरंजन के साधनों का अविष्कार हुआ। चिकित्सा-विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अविष्कार किए गए। बीसवीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार परमाणु शक्ति है।
वर्तमान युग में हम विज्ञान के चमत्कारों में पूरी तरह से बंध गए हैं। विज्ञान से हमारे जीवन का हर पहलू प्रभावित है। यही कारण है कि आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहा जाता है।
किंतु हमने विज्ञान के बल पर एटम बम, न्यूट्रॉन बम आदि बनाकर अपने ही विनाश की तैयारी कर ली है। विज्ञान के कारण मानव अंतरिक्ष और चांद तक पहुंच पाया है। विज्ञान का विकास मानव को सुखी बनाने के लिए होना चाहिए। विनाश के लिए विज्ञान का उपयोग किसी भी रूप में नहीं होना चाहिए। आज का युग पूर्णत: विज्ञान पर आश्रित है।