Hindi Essay on “Vatavaran me Pradushan” , ”वातावरण प्रदूषण” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
वातावरण प्रदूषण
Vatavaran me Pradushan
वातावरण हमारा आस-पास का स्थान है जहां हम रहते हैं। इसमें हवा, पानी और आवाज तथा गंध शामिल है। वातावरण दूषित हो रहा है। जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह अब शुद्ध नहीं है। जो पानी हम पीते हैं वह कीटाणुओं से भरा हुआ है। आवाज़ तथा रोशनी भी प्रदूषण से भरी हुई है। हमें अपने आस पास गंदी गंध आती है।
हवा का प्रदुषण इसमें जहरीली गैसों के मिश्रण से होता है। फैक्टरियों से धुआं निकलता है। धुएं में कार्बन के कण शामिल होते हैं। ये कण हवा को प्रदूषित करते हैं। पेड़ हवा को साफ़ करते हैं, किन्तु बदकिस्मती से पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। फैक्टरियों द्वारा जल प्रदूषण भी फैल रहा है। फैक्टरी अलग प्रकार के रसायन प्रयोग करती है। इन रसायनों का व्यर्थ भाग पानी में बहा दिया जाता है। पानी पीने योग्य नहीं रहा। प्रदूषित हवा तथा पानी अनेक बीमारियों को जन्म देते हैं।
रेडियो तथा लाऊड स्पीकरों द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है। धार्मिक स्थलों पर लाऊड स्पीकरों का बहुत उपयोग होता है। पश्चिमी गीतों की कैसेटें बजाई जाती हैं। यह संगीत केवल शोर के अलावा और कुछ भी नहीं होता। यह हमारी तंत्र प्रणाली पर गहरा असर डालते हैं। यह व्यक्ति की सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँचाते हैं। कागज़ प्रदूषण भी एक समस्या है। समाचार पत्र कई प्रकार की खबरें छापते हैं। कई प्रकार की व्यर्थ मशहूरियां छापी जाती हैं। इससे लोगों के दिमाग खराब होते हैं। इस प्रकार के प्रदूषण को मनोदशा प्रदूषण कहा जाता है।
चाहे प्रदूषण की कोई भी प्रकार हो, यह व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है। इसलिए इसे रोकना चाहिए। औद्योगिकीकरण तथा शहरीकरण की योजना बनानी चाहिए। औद्योगिक क्षय को जमीन में दबा देना चाहिए। अधिक हानिकारक रसायन इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। हवा को शुद्ध करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। लाऊड-स्पीकरों के इस्तेमाल को रोकना चाहिए। अखबारों को भी गलत प्रकार की, लोगों को भड़काने वाली खबरें नहीं लगानी चाहिए।