Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay on “Swatantrata ke baad kya khoya kya paya” , ”स्वतंत्रता के बाद क्या खोया-क्या पाया” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Hindi Essay on “Swatantrata ke baad kya khoya kya paya” , ”स्वतंत्रता के बाद क्या खोया-क्या पाया” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

स्वतंत्रता के बाद क्या खोया-क्या पाया

Swatantrata ke baad kya khoya kya paya

                15 अगस्त 1947 को हमार देष भारत स्वतंत्र हुआ। इसने दासता के बंधन को छिन्न-भिन्न कर फेक दिया। ब्रिटिष साम्राज्य की सत्ता को हमने पैरों से कुचल दिया। अपने शहीदों, बलिदानियों, राष्ट्रभक्त नेताओं और महापुरूषों पर हमें गर्व है जिसके कारण हमें आजादी मिली। 1947 से आज तक इस महायात्रा के बीच हमें क्या मिला और हमने क्या खोया, यह हमारे लिए अवष्य ही विचारणी है। इन वर्षों में हमने बहुत कुछ पाया है। आजादी के बाद हमें एक उजड़ा हुआ और भूखा-नंगा देश मिला था। गरीबी और अभावों का विशाल भण्डार देश के सामने था। इस देश में पैदा होने वाला बच्चा विदेशी जहाजों की ओर देखता था जो विदेशों से अनाज लेकर आते थे। इतना ही नही, यह विशाल देश दुनिया के सम्पन्न देशों के समक्ष भिक्षा पात्र लिए याचक बना हुआ था। देश के विकास की कोई योजना न थी। सोने की चिड़िया पत्थर की गुड़िया बन चुकी थी। राष्ट्रनायकों के सामने अनेक कठिनाइयां थी।

                यह मान लेना कि आजादी के बाद देश को कुछ नहीं मिला, देश के कर्णधारों का निष्ठा और सेवा के प्रति अन्याय होगा। हम कृषि, व्यवसाय, शिक्षा, चिकित्सा और विज्ञान आदि क्षेत्रों में बहुत आगे बढ़े। कृषि के नए-नए साधनों से वैज्ञानिक तरीके से खेती होने लगी। सिंचाई के लिए बड़ी-बड़ी नहरों का निर्माण हुआ। कूपों और नलकूपों की व्यवस्था हुई सिंचाई, बीज और अन्य साधनों के लिए किसनों को ऋण की सुविधा प्रदान की गई। हरित क्रांती का नारा देकर किसानों का साहस बढ़ाया गया। किसानों और कृषि कार्य को जय जवान के साथ जय किसान का नार देकर प्रोत्साहित किया गया, साथ ही साथ सम्मानित भी किया गया। देश के उजडे़ व्यवसाय और कुटीर धन्धों के विकास का प्रयास किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए गांव-गांव के विद्यालय खोले गए। देश की जनता में नव जागरण लाने के लिए विकास खण्डों के रूप में पूरे देश को बांटा गया।

विज्ञान के क्षेत्र में भी देश ने कम प्रगति नहीं की। आर्यभट्ट, भास्कर, रोहिणी, अग्नि, त्रिशूल, पृथ्वी, नाग आदि का सफल प्रयोग हमारी वैज्ञानिक उन्नति को ही प्रमाणित करता है। 1984 ई. में राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की यात्रा की। यह सारा कार्य देश की प्रगति का प्रमाण है। परमाणु परीक्षण के द्वारा आज भारत विश्व के विकाशसील देशों में गिना जाता है आज हम जय जवान जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा बुलंद कर रहे हैं।

यह निश्चित है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। परंतु हमने जितना पाया है उससे अधिक खोया भी है। स्वतंत्रता पूर्व हमारे अन्दर स्वार्थ की भावना नही थी। नैतिकता और ईमानदारी की भावना हमारे अन्दर कूट-कूटकर भरी थी। आज हमारे सामने जो तथाकथित नेता हैं उन्हें नेता या राष्ट्रनायक कहते समय जुबान कांप जाती है। ये अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए देश की दुर्गति कर रहे है। नैतिकता और देश-प्रेम की भावना इनमें शेष मात्र भी नहीं रह गई है। देष में एक ओर पूंजीवाद बढ़ गया और दूसरी तरफ गरीबी चरम सीमा पर है एकतरफ ऊंचे-ऊचे भवन बनते जा रहे हैं और दूसरी तरफ फुटपाथों पर दम तोड़ने वालों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। आज अत्याचारी, लोभी, विलासी और अनैतिक कार्य में लिप्त रहने वाले वैभव-सम्पन्न और सुखी हैं। आजादी के बाद विदेशी कर्ज का भार कई गुना बढ़ गया है। जातिवाद, प्रान्तीयता और साम्प्रदायिकता की भावना पुरे देश में जंगल की आग की तरह बढ़ रही है। देष का विकास सरकारी फाइलों में सिमटकर बन्द है।

मानवीय मूल्य हमारी सबसे बड़ी पूंजी थी। यही हिन्दुस्तान की धरोहर थी। यही हमारी संस्कृति थी। आज वह लुप्त होती जा रही है। हम अलगाववाद और विघटन को आश्रय देने लगे हैं। भाशा, धर्म, जाति आदि की संकीर्ण भावनाओं से ग्रस्त हो राष्ट्रीयता को दरकिनार करने लगे हैं। हिन्दुस्तान जलने लगा है और हमारी नैतिकता भस्म हो रही है ंसंस्कृति स्वाहा होने लगी है। देश की प्रगति अगर नहीं हो सकी तो इसके लिए सरकार, नेता, पूंजीपति जिम्मेवार हैं ही, देश की जनता का उत्तरादायित्व भी कम नहीं है। इसके बावजूद, हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। देश के विकास की कहानी लिखने के लिए हमें त्याग करना होगा।    

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

commentscomments

  1. Vidhi says:

    You should give headings for each.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *