Hindi Essay on “Samachar Patra aur Unka Prabhav”, “समाचार पत्र और उनका प्रभाव” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
समाचार पत्र और उनका प्रभाव
Samachar Patra aur Unka Prabhav
विज्ञान ने आज मनुष्य के जीवन को बहुत बदल दिया है। छापे-खाने का आविष्कार होने पर समाचारपत्र आरम्भ हुए। सर्वप्रथम चीन में ‘पीकिंग गज़ट’ नामक पत्र छपना आरम्भ हुआ था। आज तो ‘पैस’ अर्थात् समाचारपत्र को अत्यन्त शक्तिशाली साधन माना जाता है। जिस दिल या विचारधारा वाले लोगों के हाथ में
चारपत्र होते हैं वे सारी जनता को अपना अनुयायी बना लेते हैं।
समाचारपत्र अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ दिन में एक बार और कुछ दो बार प्रकाशित होते हैं। इन्हें दैनिक कहा जाता है। प्रातः काल आने वाले को प्रातः संस्करण और सायंकाल को प्रकाशित होने वाले को उस समाचार पत्र का सांय संस्करण कह दिया जाता है। कुछ पत्र साप्ताहिक अथवा पाक्षिक होते हैं। मासिक और त्रैमासिक को समाचारपत्र न कह कर पत्रिका का नाम दिया जाता है।
समाचारपत्र आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चके हैं। प्रात: उठते ही लोग समाचारपत्र पढ़ते हैं। कई लोगों को तो इसके बिना चैन नहीं पड़ता। समाचारपत्र द्वारा थोड़े से पैसों में घर बैठे देश-विदेश के वृत्तान्तों का ज्ञान हो जाता है तथा जनता के सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है कि अमुक देश का शासक कौन है, अमुक स्थान पर कौन-सा सम्मेलन हो रहा है या अमुक दुर्घटना का वास्तविक कारण क्या था, आदि। समाचरपत्रों से यह भी पता चलता है कि सरकार कौन-कौन से नए कानून बना रही है और जनकल्याण के लिए कौन-कौन से पग उठा रही है।
समाचारपत्रों में सम्पादक की ओर से सम्पादकीय लेख भी लिखा जाता है। इसके द्वारा सरकार की नीति का समर्थन या विरोध किया जाता है। यदि सरकार कोई अनुचित पग उठा रही हो तो उसकी कडी आलोचना भी की जाती है।
राजनैतिक नेता तो अपने स्वार्थों के लिए मतभेद बढ़ाते हैं किन्तु समाचारपत्र एक देश की जनता को दूसरे देशों के वृत्तान्तों से परिचित करवा कर मतभेदों को मिटा कर सारे संसार को एकता के सूत्र में पिरोने का यत्न करते हैं।
समाचार-पत्र व्यापार को बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। कारखाने-दार अपने उत्पादनों की मांग और खपत बढ़ाने के लिए तथा व्यापारी अपनी दुकान की प्रसिद्धि के लिए समाचारपत्रों में इश्तहार छपवाते हैं। व्यापारियों को दूसरी मंडियों की स्थिति का तथा वहां के भावों का ज्ञान होने से व्यापार में सहायता मिलती है।
समाचारपत्र अवकाश प्राप्त बूढ़े व्यक्तियों के लिए समय बिताने का एक अच्छा साधन है। वे प्रायः आदि से अंत तक सारा समाचारपत्र पढ़ जाते हैं। बेकार व्यक्ति रिक्त स्थान’ या ‘आवश्यकता’ के कॉलम में अपने लिए उचित नौकरी या धंधा ढूंढ सकते हैं। समाचारपत्रों में विवाह सम्बन्धी विज्ञापन भी होते हैं जिन के द्वारा वर अथवा वधू का उचित चुनाव करने में सहायता मिलती है।
समाचारपत्र विविध पर्वो या उत्सवों पर और कभी-कभी विशेष विषयों से सम्बन्धित विशेषांक भी निकालते हैं। समाचारपत्रों में बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष स्तम्भ होते हैं। कहानी, कविता, चुटकुले आदि साहित्यिक और मनोरंजन प्रधान रचनाएँ भी पत्रों में प्रकाशित होती हैं। अब तो मंडियों के उतार-चढ़ाव और आर्थिक समाचारों के फ़िल्म-जगत के. टेलीविज़न के अपने-अपने अलग समाचारपत्र भी प्रकाशित होने लगे हैं। पृथक-पृथक् पत्रिकाएँ भी विशेष विषयों से सम्बन्ध रखती हैं : फिल्में, फैशन, स्वास्थ्य, बुनाई-कढ़ाई, पाक शास्त्र, मनोविज्ञान, अपराधविज्ञान आदि। कहने का अभिप्राय यह है कि कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जिस का समाचारपत्र से सम्बन्ध न हो।
समाचारपत्रों के जहां ऊपरलिखित लाभ हैं, वहां कुछ हानियां भी हैं। कई समाचारपत्र अविश्वस्त और झूठी खबरें प्रकाशित करके किसी की पगड़ी उछालते हैं या किसी से रुपया ऐंठते हैं। कई समाचारपत्र पक्षपात के कारण उचित को अनुचित और अनुचित को उचित बतलाते हैं और इस प्रकार जनता से विश्वासघात करते हैं। कई बार स्वार्थवश किसी महत्वपूर्ण समाचार को दबा दिया जाता है और किसी छोटी सी घटना को खूब बढ़ा-चढ़ा कर प्रकाशित किया जाता है। कुछ पत्र अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए नग्न और अर्धनग्न चित्र तथा अश्लील और उत्तेजक रचनाएँ भी छापते हैं। इससे जनता की रूचि बिगड़ती है।
ज्यों-ज्यों ज्ञान बढ़ता है त्यों-त्यों चिन्ता भी बढ़ती जाती है। संसार के किसी एक कोने में घटने वाली घटना दुनिया के अनेकों लोगों को सोचने और चिन्ता करने पर विवश कर देती है। यही कारण है कि मनोरोगों के डाक्टर आज के बढ़ते हुए मनोरोगों का एक कारण अखबार को भी मानते हैं।
यदि समाचारपत्रों के सम्पादक निष्पक्ष होकर ईमानदारी से अपने कर्तव्य निभाएँ तो समाचारपत्रों द्वारा देश की और मानवता की सेवा की जा सकती है, अन्यथा ये कागज़ के शैतानी पुर्जे लड़ाई-झगड़ों के कारण भी बन सकते हैं