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Hindi Essay on “Prodhshiksha” , ”प्रौढ़शिक्षा ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

प्रौढ़शिक्षा 

परिपक्व आयु वाले व्यक्ति को प्रौढ़ कहा जाता है | आजकल प्राय : चालीस वर्ष की आयु वाले व्यक्ति को प्रौढ़ मान लिया जाता है , यद्दपि प्राचीन काल में जब मनुष्य की औसत आयु प्राय : सौ वर्ष  होती थी तब प्रौढावस्था का कर्म पचास वर्ष  से अधिक माना जाता था | जहाँ तक आयु का प्रश्न है, शिक्षा ग्रहण करने के मार्ग में यह कदापि बाधक नही हुआ करती है | शिक्षा तो प्रत्येक आयु – वर्ग के व्यक्ति के लिए दीपक समान प्रकाश प्रदान करने वाली होती है |

भारत जसी पिछड़े देश में व्यक्ति कई कारणों से अशिक्षित – अनपढ़ रह जाया करते है | कई बार तो पढने- लिखने के प्रति संस्कार, जाति या अरुचि बाधक बन जाती है तो कई बार तो निर्धनता अथवा घर-परिवार की आवश्यकता बाधक बन जाती है | स्वतंत्रता से पूर्व देहातो में ऐसे कारण प्रमुख रूप से हुआ करते थे , परन्तु आज जबकि शिक्षा का अत्यधिक प्रचार हो गया है तब भी दूर देहातो से इस समस्या का ठीक प्रकार से समाधान संभव नही हो पाया है | प्राय : देखा गया है कि  देहातो व कस्बो में अधिसंख्य प्रौढ़ आयु के व्यक्तियों में शिक्षा का अभाव है | अभी कुछ समय से ऐसे प्रौढ़ लोगो को शिक्षित करने के लिए सरकारी और सांस्थानिक स्तरों पर प्रौढ़-शिक्षा की व्यवस्था की गई है |  वह भी एकदम नि:शुल्क और उनके घरो तथा संस्थानों के एकदम निकट |

अब प्रश्न यह है कि इन बूढ़े लोगो को पढाने की क्या आवश्यकता है ? सो इसके अनेक कारण हो सकते है | आज के ज्ञान – विज्ञान के युग में नित्य नई-नई खोजे होती रहती है | एक शिक्षित व्यक्ति ही उनकी सही जानकारी प्राप्त करके अपने क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार उनका प्रयोग कर सकता है | एक शिक्षित अभिभावक ही शिक्षा की व्यवस्था करने की और ध्यान दे सकता है | शिक्षा नारी अथवा पुरुष दोनों के लिए आवश्यक है | पढ़ी-लिखी नारियाँ ही घर – परिवार की व्यवस्था को समयानुरूप परिवर्तित कर सकती है तथा अपने बच्चो को उचित शिक्षा प्राप्त करा कर जीवन की इच्छित राह पर आगे बढने की प्रेरणा दे सकती है | इस दृष्टि से पुरुषो के समान ही प्रौढ़ावस्था- प्राप्त नारियो के लिए शिक्षा की उचित व्यवस्था की गई है |

पुरुष काम –काज के बाद रात्रिकालीन शालाओ में अपने घरो के आसपास ही शिक्षा प्राप्त कर सकते है जबकि स्त्रियाँ घर-गृहस्थी के कार्यो से छुटकारा पाने के बाद दोपहर के समय अपने आस-पडोस से शिक्षा ग्रहण कर सकती है | अब तो इन नारी- शिक्षा केन्द्रों में व्यावसायिक शिक्षा देने की भी व्यवस्था कर दी गई है जहाँ से नारियाँ सीखकर धनार्जन भी कर सकती है | यहाँ शिक्षा नि: शुल्क प्रदान की जाती है, यहाँ तक कि पढने की सामग्री जैसे पुस्तके , कापी – पेसिल आदि भी मुफ्त देने की व्यवस्था है |

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