Hindi Essay on “ Nostalgia” , ”नास्टैल्जिया” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
नास्टैल्जिया
Nostalgia
आजकल हर जगह नास्टैल्जिया का व्यापार किया जा रहा है। एक संगीत कम्पनी ने फ्लैशबैक नामक एक एलबम के लिए 21 हिट गानों का चयन किया। यह कम्पनी तीसरे-चैथे दशक से संगीत का व्यापार कर रही है। उसके संग्रह में ऐसी धुनें हैं जिनसे लगभग प्रत्येक पीढ़ी की भावनाएं गहराई से जुड़ी हुई हैं। वस्तुतः इस कंपनी ने युगों पहले नास्टैल्जिया को कमाऊ जरिया बना लिया था। हम सब जानते हैं कि खुशबू के बाद संगीत ही आपको तत्काल अतीत में ले जा सकता है। प्रत्येक पीढ़ी के लोगों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ अपनी घड़ी को पीछे ले जाने और अतीत के सुखद समय में लौट जाने की चाह बढ़ती जाती है। व्यापारियों ने इसे समझ लिया है और इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। हाल के समय में बाॅलीवुड में रीमेक और रीमिक्सेज की बहार आ गई है। दुनिया भर में ’मुगले आजम’ की सफलता से यह साफ है कि जितनी तेजी से हम सहस्त्राब्दी में आगे बढ़ रहे हैं उतनी ही तीव्र एक पीढी़ को वापस पीछे देखने की इच्छा है।
नास्टैल्जिया तनाव से मुक्ति देता है। यह अनेकानेक लोगों को बढ़ती उम्र मृत्यु और सतत परिवर्तन की चिंता से लड़ने की शक्ति देता है। उच्च गति वाले माॅडेम तथा 200 के करीब चैबीसों घंटे चलने वाले चैनलों के प्रहार से भारतवासी घिर गए हैं। भारत की लगभग आधी आबादी जो अभी युवा है, इस नई सुबह का स्वागत कर रही है और डिजिटल युग से लाभ उठा रही है। जबकी अनेक ऐसे लोग हैं जो इस संस्कृति के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे हैं क्योंकि यह उनकी अपनी जमीन से उदित नहीं हुई है। इन पुराने लोगों को अपने अतीत से कुछ ऐसी कोमल चीजें चाहिए जो उन्हें सुकून दे सकें।
विश्व की सबसे बड़ी मार्केटिंग कम्पनियों के लिए काम करने वाले एक विशेषज्ञ ने पिछले दिनों कहा,’’इन दिनों हम अपनी अधुनिक सुविधाओं की पैकेजिंग पुरानी शैली में कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इससे उम्रदराज लोगों की अतीत की स्मृतियां जागेंगी, उनकी जेब में पैसे है, वे हमारे उत्पाद खरीदेंगे।‘‘ इससे मैकडोनाल्ड के उस विज्ञापन का निहितार्थ समझने में आसानी होगी जिसमें बर्गर के विज्ञापन के लिए वह राजकुमार, संजीव कुमार और राजेश खन्ना के हमशक्लों का इस्तेमाल करता है। ऐसा करके वह उम्रदराज लोगों को अपने फास्ट-फूड की ओर आकर्षित करता है।
आजकल एफ. एम. रेडियों पुराने हिट गानों का कार्यक्रम प्रसारित करता है जबकि ऐसे टीवी चैनल भी हैं जो केवल पुरानी फिल्में ही दिखाते हैं। मुगले आजम का नया संस्करण न केवल भारत बल्कि पाकिस्तान मे भी हाथों-हाथ बिका है और फिल्म निर्माताओं की नई पीढ़ी अपने अगले विषय के लिए बाॅलीवुड का पुराना कचरा खंगाल रही है। आधुनिक अभिनेताओं को पुराने विषयों में प्रस्तुत कर वे अपना बाजार बढ़ा रहे है। पुरानी फिल्मों के री-मेक का दौर चल पड़ा है।
स्वर्णिम स्मृतियों का व्यपार दुनिया भर में फायदे का धंधा बन रहा है। अमेरिका में समय-समय पर एक के बाद एक पुराने गानों की सीडी, पुरानी तस्वीरों की पुस्तकें अथवा बचपन की याद दिलाने वाले लेखों की पुनः पैकेजिंग कर उन्हें जारी किया जा रहा है। जापान के लगभग तीन करोड़ लोग जो कुल आबादी का लगभग एक चैथाई है 38 से 56 वर्ष की आयु के हैं। दुनिया भर में इस आयु वर्ग के लोग केवल किशोरों पर केन्द्रित पाॅप संस्कृति को खारिज कर रहे है। इस प्रवृति के अनुकूल तथा उपभोक्ताओं की नास्टैल्जिया से भरी भावनाओं के अनुरूप व्यापारी एक के बाद एक ऐसे उत्पादों की लहर पैदा कर रहें है जो इस समूह की युवावस्था के दौरान लोकप्रिय थे।
भारत अब इस प्रवृति की तरफ आंखे खोल रहा है। मजबूत अर्थव्यवस्था तथा पिछले कुछ वर्षो में अचानक आई समृद्धि के बावजूद सच्चाई यह है कि भारतीय लोगों को इन्हें आत्मसात करने में अभी थोड़ा समय लगेगा। हमारे जीवन में आए नाटकीय परिवर्तनों के कारण हमारी इच्छा मित्रों और परिवार वालों के साथा सहज बातचीत की और हमारे जीवन पर छा गए ब्रांडों और गति से मुक्त ठेठ देहाती जीवन जीने की होती है। भारतीय लोग अपनी परम्परा के प्रति काफी संवेदनशील हैं और अतीत की स्मृमियां उन्हें धराशायी कर देती हैं। उदीयमान नास्टैल्जिया के व्यापार से उन्हें उपनी इस कमजोरी से मुक्ति मिलती है। युवा भारत आज जहां दीप्त भविष्य के सपने देख रहा है वहीं उम्रदराज लोग अपने धूमिल कल की स्मृतियों के सहारे जी रहे हैं।
यह नास्टैल्जिया कब तक बना रहेगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। लेकिन यह कहना उचित होगा कि युवा सपनों के आक्रमण से बढ़ती उम्र के अमीर भारतीय लोगों को अतीत से सम्बन्ध स्थापित कर अपने जीवन पर नियंत्रण बनाए रखने की इच्छा बलवती होती जा रही है।