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Hindi Essay on “Mere Shauk ” , ”मेरा शौक” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मेरा शौक

Mere Shauk 

शौक से तात्पर्य उस उपयोगी प्रक्रिया से है जो किसी स्त्री या पुरुष को अवकाश के क्षणों में आनन्द प्रदान करती है। शौक की ओर प्रायः तब हमारा ध्यान जाता है जब हम नियमित कार्यों से फुरसत पा लेते हैं।

शौक के रूप में भी लोग जिन कार्यों को अपनाते हैं वे किसी-न-किसी रूप में उपयोगी होते हैं। जैसे कुछ लोगों का झुकाव बागवानी की ओर होता है तो कुछ का फोटोग्राफी की ओर, और बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं, जो सिक्के संग्रह करने में आनन्द का अनुभव करते हैं; लेकिन जो भी शौक एक व्यक्ति चुनता है, वह उसकी निजी मानसिक रुचि का परिचायक होता है।

सभी व्यक्ति सिनेमा का टिकट खरीदकर सिनेमा देखने की क्षमता नहीं रखते, किन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं कि वे मनोरंजन से वंचित रह जाते हैं। वे अपनी रुचि के शौक से अपना मनोरंजन करते हैं। इस प्रकार शौक आदमी के मन बहलाव का सस्ता साधन बन जाता है।

मेरे अन्दर कई शौक समय-समय पर पनपते रहते हैं, जैसे किस्से-कहानी सुनने-सुनाने का शौक और बागवानी का शौक। मुझे परियों की अजीबो-गरीब कहानियां सुनने में भी मजा आता है और सुनाने में भी। जब भी कोई कहानी मेरी नजर के सामने पड़ती है, मैं बहुत सारे बच्चों को अपने आस-पास इकट्ठा कर लेता हूँ और सुनाने लगता हूँ। बच्चे कहानी सुनकर बेहद खुश नजर आते हैं। चूंकि मुझे बच्चों से बहुत ज्यादा लगाव है, इसलिये मैं नई-से-नई कहानी की खोज में रहता हूं। कहानियों को याद करना और उन्हें बच्चों को सुनाना मेरा शौक है। मेरे घर में तरह-तरह की कहानियों की सैकड़ों किताबें है। उनमें जितनी भी कहानियाँ हैं लगभग सभी मैं एक बार पढ़ चुका हूँ। मौका पड़ने पर अब मैं यूनानी, रोमन या मिश्र की कहानियां सुना सकता हूं| प्राचीन भारत की भी कहानिया मुझे याद हैं, जो कि वास्तव में बहुत मजेदार हैं।

मैं प्रायः एक बच्चे की तरह सोचता हूँ जिसे कहानियों से बेहद प्यार होता है। कहानियां सुनाने के अतिरिक्त मेरी रुचि बागवानी में भी बहुत अधिक है। यह मेरा एक ऐसा शौक है जिसे मैं अपने खाली समय में अपनाता हूँ। उस समय का उपयोग मैं बागवानी द्वारा करता हूँ। मेरे पास रहने के लिए अच्छा-सा बड़ा बंगला है जिसमें मैं अपने माता पिता के साथ रहता हूँ। बंगले के चारों ओर मैंने फूलों के पौधे और फलों के वृक्ष लगा रखे हैं। उनको पानी व खाद देने का काम तथा अन्य प्रकार की देखभाल भी मैं करता हूँ| चूंकि मैं कृषि विज्ञान का विद्यार्थी हूँ इसलिए बागवानी से सम्बन्धित प्रायः सभी आवश्यक बातों की जानकारी मुझे है। फूलों के पौधे लगाने में मुझे बड़ा सुख मिलता है और जब उन पर फूल खिलते हैं तो मेरा मन एक विचित्र प्रकार के आनन्द से भर उठता है।

बागवानी से मुझे प्रकृति-प्रेम की प्रेरणा मिलती है। प्रकृति ने आनन्द वृद्धि के अनेकानेक साधन हमें सुलभ कराए हैं। बागवानी भी उन्हीं में से एक है। यह विश्व, दुःखों और तकलीफों से भरपूर है। हर आदमी किसी-न-किसी परेशानी में फंसा रहता है। उससे निकलने के लिये वह तरह-तरह के शौक और शगल का सहारा लेता है। इस प्रकार शौक आदमी के आनन्द के स्रोत बन जाते हैं। उनसे हमारे अन्दर खोई हुई शक्ति का पुनः संचार होता है और मस्तिष्क में ताजगी आती है।

शौक से सभी तरह की थकान और उदासियां दूर हो जाती हैं। इस प्रकार शौक और शुगल आदमी के सबसे बड़े साथी सिद्ध होते हैं। वे हर व्यक्ति के लिए लाभप्रद हैं। मेरा एक ऐसा पड़ोसी है जो अपने खाली समय में नृत्य और गायन में बहुत रुचि लेता है। मैंने उसे ऐसे मौकों पर बेहद खुश पाया है। इससे मुझे पता चला है कि उसकी खुशी का रहस्य उनके नृत्य और गायन के शौक में निहित है।

मुझे भी नत्य और गायन में रुचि है, लेकिन उतनी नहीं। इसका स्पष्ट कारण यह है कि एक ही शौक में सभी की समान रुचि भी नहीं हो सकती। हो सकता है, किसी को नत्य और गायन विशेष पसन्द हो, किसी को फोटोग्राफी और किसी को बागवानी। सभी का आधार भिन्न-भिन्न रुचियां है। मेरा शौक मनोरंजक होने के साथ-साथ अत्यन्त उपयोगी भी है। उससे सिर्फ मुझे ही आनन्द नहीं प्राप्त होता, बल्कि अन्य व्यक्ति भी आनन्दित होते हैं।

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