Hindi Essay on “Media Ka Samajik Kayitva” , ”मीडिया का सामाजिक दायित्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मीडिया का सामाजिक दायित्व
Media Ka Samajik Kayitva
मीडिया के दो रूप हैं -प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॅनिक मीडिया।
प्रिंट यानी मुद्रित माध्यम आधुनिक जनसंख्या के माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है।
भारत में पहला छापाखाना 1556 ई. में गोवा में खुला। मुद्रित माध्यमों के अंतर्गत अखबार, पत्रिकाएँ तथा पुस्तकें आती हैं। इस माध्यम की सबसे बडी़ विशेषता यह है कि इसमें स्थायित्व होता है। इसे आप कभी भी पढ़ सकते हैं। इसकी कमजोरी यह है कि इसका लाभ केवल पढे़-लिखे लोग ही उठा सकते हैं।
इलेक्ट्रॅनिक मीडिया में रेडियों, टेलीविजन तथा इंटरनेट आते हैं। इनका लाभ सभी लोग उठा सकते हैं। यही कारण है कि मीडिया का यह रूप दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय होता चला जा रहा है। लोग दूरदर्शन की खबरें दिनभर देखते हैं। ये खबरें सचित्र होती हैं। अतः अधिक विश्वसनीय प्रतीत होती हैं।
मीडिया का सामाजिक दायित्व बहुत बडा़ है। मीडिया लोगों के मन की आवाज को उठाती है। इसकी पहुँच सामान्य लोगों तक होती है। समाज के प्रति मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। मीडिया समाज को दिशा देता है। यदि वह अपनी दिशा को गलत रूप दे दे तो भारी अनर्थ हो सकता है। मीडिया समाज को शिक्षित करता है तथा उसका मनोरंजन भी करता है। मीडिया ने लोगों को अधिकारों के प्रति सचेष्ट किया है। लोकतंत्र की सफलता में मीडिया की भूमिका बहुत अधिक है। अखबार भी जनमत का निर्माण करते हैं। हमें दोनों माध्यमों का ध्यान रखना होगा।
कई बार मीडिया अपने सामाजिक दायित्व के निर्वाह में पिछड़ जाता है। ऐसा तब होता है जब उसका कोई निहित स्वार्थ हो। आजकल मीडिया अपने सामाजिक दायित्व के निर्वाह में पिछड़ जाता है। ऐसा तब होता है। इनका उद्देश्य अच्छा है। पर कई बार ऐसा हुआ है जब मीडिया ने बिना सिर पैर की बातों को बहुत उछाल दिया और इससे किसी की इज्जत चली गई। बाद में वह स्टिंग आॅपरेशन फर्जी साबित होता है। इस प्रकार मीडिया समाज में विद्वेष फैलाने का काम भी करता है।
मीडिया को समाज के नव-निर्माण का काम पूरी निष्पक्षता एवं ईमानदारी के साथ करना चाहिए। सामाजिक अन्याय को मिटाना उसका दायित्व है, पर वह भी किसी के साथ अन्याय न कर दें, इसका भी ध्यान ऱत्र्खा जाना चाहिए। मिडिया की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्र नहीं लगना चाहिए। मीडिया को नेताओं की कलाई खोलने का पूरा अधिकार है, पर यह काम किसी दुराग्रहवश नहीं किया जाना चाहिए। मीडिया की विश्वसनीयता को बट्टा नहीं लगना चाहिए। यह तभी हो सकेगा जब मीडिया अपने सामाजिक दायित्व के निर्वाह के प्रति सजग रहेगा।