Hindi Essay on “Matsya Palan” , ”मत्स्य-पालन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मत्स्य-पालन
Matsya Palan
मत्स्य पालन अब एक बड़ा उद्योग बन चुका है। अन्य उद्योगों की तरह इसमें भी लाखों लोग लगे हुए हैं। तालाबों तथा अन्य जल क्षेत्रों में मछलियां पाली जाती हैं। पानी में छोटे-छोटे जंतु होते हैं, जो मछलियों के प्राकृतिक भोजन कहलाते हैं। मछलियां इन छोटे-छोटे जलीय जीवों को खाती हैं। इन जीवों को प्लवक कहते हैं। प्लवक जंतु के अंतर्गत आते हैं। प्लवक वानस्पतिक वर्ग में भी रखे जाते हैं। प्लवकों का आकार प्रकार बहुत छोटा होता है। जल में कुछ प्लवक आंखों से दिखाई देते हैं। बहुत से प्लवक तो आंखों से भी नहीं देखे जा सकते।
मछलियां प्लवकों को बहुत चाव से खाती है। प्लवकों के सामने वे अन्य कोई भोजन पसंद नहीं करती। जल-क्षेत्रों में प्लवकों का उत्पादन मौसम पर निर्भर करता है। गरमी में इनका उत्पादन अधिक होता है, जाड़े में कम हो जाता है।
मछली पालने वाले तालाबों में मुख्यत: दो प्रकार की खाद प्रयोग की जाती है। कार्बनिक खाद और अकार्बनिक खाद। तालाबों के लिए मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पौटेशियम और कैल्शियम तत्व आवश्यक हैं। इन तत्वों को प्राय: तालाबों में चूना, यूरिया और फॉस्फेट के साथ प्रयोग किया जाता है।
तालाबों में हमेशा तेजी से बढऩे वाली मछलियां ही पालनी चाहिए। वे मछलियां देशी-विदेशी दोनों हो सकती हैं।
देश में अभी तक जो अनुसंधान हुए हैं, उनके परिणाम के अनुसार तीन देशी और तीन विदेशी मछलियों को एक साथ पालने की सलाह दी गई है। देशी मछलियां हैं-सिल्वर कॉर्प, ग्रॉस कॉर्प और कॉमन कॉर्प। इन मछलियों को तालाबों में एक साथ पालकर इनकी अधिक पैदावार की जा सकती है। मछलियां तालाबों में अपनी-अपनी प्रजातियों को बढ़ाती रहती हैं और अपनी वंश-वृद्धि करती रहती हैं।
इन मछलियों का भोजन-ग्रहण का स्वभाव भी अलग-अलग होता है। इन मछलियों के मुंह की बनावट अलग-अलग होती है। ये इसी बनावट के आधार पर तलाब में अलग-अलग सतहों पर भोजन ग्रहण करती है।
भारत के तीन ओर समुद्री सीमा है और असीम समुद्र फैला हुआ। हमारे समुद्र तटों से भारी मात्रा में मछलियां पकड़ी जाती हैं। दक्षिण भारतीयों का मुख्य भोजन मछली ही है। इसके अलावा मछलियों को सुखाकर परिरक्षित करके रखा जाता है। मछलियों से निकाला गया तेल औषध-निर्माण में बड़े पैमान पर उपयोग में लाया जाता है। सरकार इस उद्योग को तरह-तरह की सुविधांए देकर प्रोत्साहित कर रही है। नित्य निरंतर बढ़ती आबाद की भोजन की मांग को पूरा करने के लिए सरोवरों, जोहड़ों, नदियों व तालाबों में मत्स्य उद्योग का विस्तार किया जाना चाहिए।