Hindi Essay on “If I Were The Principal of A School ” , ”यदि मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
यदि मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता
If I Were The Principal of A School
हर व्यक्ति के अपने भविष्य के लिए योजनाएँ होती हैं। वह कुछ महान् तथा यादगार करने की इच्छा रखता है। हम यह देख रहे हैं कि किस प्रकार विद्या का स्तर गिरता जा रहा है। विद्यार्थियों का पढ़ाई में ध्यान ही नहीं है। अनुशासनहीनता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। अध्यापक भी अपने कर्तव्यों को अच्छे से नहीं निभा रहे। यदि मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता तो मैं इस विषय को गंभीरता से लेता।
सब से पहले मैं विद्यार्थियों में बढ़ रही अनुशासनहीनता को देखता। अनियमित तथा समय की कद्र न करने वालों को नियमित तथा समनिष्ठ बनाया जाता। इसके लिए मैं उन पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डालता। प्रेम तथा नर्मी से भी इस चीज़ को लागू करवाया जा सकता है। मैं विद्यार्थियों के माता-पिता से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करता। माता-पिता की सहायता से बच्चों को सुधारना सरल हो जाता है।
अधिकतर बुराइयां धार्मिक जानकारी और धर्म की शिक्षा की कमी के कारण पैदा होती हैं। मैं स्कूल की शुरुआत ईश्वर की प्रार्थना से करता। मैं एक पीरियड नैतिक शिक्षा का लगवाता। मैं विद्यार्थियों में मानवता के सिद्धांतों का निर्माण करवाता। मैं चरित्र के निर्माण पर अधिक बल देता। ईमानदार, नियमित तथा आज्ञाकारी विद्यार्थियों को हर वर्ष ईनाम दिए जाते।
मैं विद्यार्थियों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता। खेलों की सहायता से व्यक्ति का अच्छा शारीरिक विकास होता है। मैं स्कूल में अधिक से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करवाता। विद्यार्थी इन कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर भाग लेते। मैं गरीब तथा जरूरतमंद बच्चों को वजीफे भी दिलवाता। मैं यह भी ध्यान रखता कि अध्यापक अपने कर्तव्यों से न भागें। दोषी अध्यापकों के विरुद्ध ठोस कदम भी उठाए जाते। इस प्रकार मैं अपने विद्यालय को बाकियों शेष के लिए एक मिसाल के रूप में पेश करता।