Hindi Essay on “Hum Khelo me Pichde kyo hein?” , ”हम खेलों में पिछडे़ क्यों हैं? ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
हम खेलों में पिछडे़ क्यों हैं?
Hum Khelo me Pichde kyo hein?
ओलंपिक खेलों की तालिका में भारत का पदक-तालिका में स्थान बहुत नीचे होता है। इस बार अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में एक स्वर्णपदक जीतकर भारत की लाज बचा ली। एक रजत और एक कांस्य पदक लेकर ही भारत को संतोष करना पडा़। भारत जैसे विशाल देश को इतने कम पदक? अनेक छोटे-छोटे देश कई पदक बटोरने में सफल हो जाते है। प्रश्न उठता है कि हम खेलों में इतने पिछडे़ क्यों है?
भारत पहले हाॅकी में अनेक वर्षो तक सिरमौर बना रहा, पर अब यह निरंतर गिरता जा रहा है। भारत कुश्ती का जन्मदाता रहा है, पर आज उसकी दशा से कौन अपरिचित है? हाँ, पिछले कुछ वर्षो में क्रिकेट में भारत ने कुछ नाम अवश्य कमाया है, पर अन्य सभी खेलों में भारत निरंतर पिछड़ता जा रहा है। हमें इसके कारणों पर विचार करना होगा।
भारत में खेल राजनीति के शिकार हैं। खेलों पर राजनीति हावी है। अच्छे खिलाड़ियों को अवसर नहीं दिया जाता। मंत्री का रिश्तेदार, बेटा टीम में स्थान पा जाता है, योग्य खिलाडी़ में निराशा की भावना समा जाती है। खेलों को राजनीति से मुक्त करना होगा।
भारत में खेलों का प्रशिक्षण वैज्ञानिक ढंग से नही दिया जाता। वही पुराना ढर्रा चल रहा है। खेल -सामग्री का भी भारी आभाव रहता है। कुश्ती लड़ने के गद्दे तक उपलब्ध नही हो पाते। खेल बजट का अधिकांश हिस्सा कोच और मैनेजर खा जाते है। खिलाडियों को अभ्यास की पूरी सुविधाएँ नहीं मिल पातीं। हमारे कोच भी उतने अच्छे नहीं है जितने अन्य देशों के। हमारे देश में खेलों को कभी गंभीरता से नहीं लिया जाता। जीत गए तो स्वागत कर दिया, हार गए तो चुप होकर बैठ गए।
भारत में खिलाड़ियों को स्कूल स्तर से तैयार करना होगा। उन्हें कुछ दिनों का प्रशिक्षण काफी नहीं है। उनके लिए गहन प्रशिक्षण की आवश्यकता है। छोटी आयु में खिलाड़ियों का चुनाव करके उन्हें कडा़ अभ्यास कराया जाना आवश्यक है। खेल मंत्राललय अपने दायित्व का निर्वाह भली प्रकार नहीं करता। वह एक दिखवटी मंत्रालय बनकर रह गया है। इस स्थिति को बदलना होगा। खिलाड़ियों को उचित पारिश्रमिक भी मिलना चाहिए। उनकी वृद्धावस्था पेंशन की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। तभी लोग खेलों के प्रति आकर्षित होंगे।