Hindi Essay on “Harit Kranti” , ”हरित क्रान्ति” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
हरित क्रान्ति
Harit Kranti
प्रस्तावना- हरित क्रान्ति से तात्पर्य एक ऐसी क्रान्ति से है, जो देश को खाद्य पदार्थों की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाती है। इस धरती पर अकेला भारत ही एक ऐसा देश है, जो कृषि-प्रधान देश के नाम से विख्यात है।
लेकिन जब यही देश विदेशी आक्र्रमणों, जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के नवीनतम उपयोगी औजारों व अन्य साधनों के प्रयोग न होने तथा विदेशी शासकों की सोची-समझी राजनीति व कुचालोें के कारण अकाल का शिकार हुआ, तब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए युग का विकास हुआ जिसे ‘हरित क्रान्ति लाने का युग‘ नाम दिया गया। तभी हरित क्रान्ति ने त्रीव से गति खाद्य-अनाजों के बारे में देश को आत्मनिर्भर बनाया।
हरित क्रान्ति का महत्व- हरित क्रान्ति ने जहां एक ओर भारत की सबसे बड़ी खाद्य समस्या का समाधान किया वहीं दूसरी ओर इतने किसानों की निर्धनता को भी काफी कम किया। छोटे-बड़े सभी खेतिहार किसानों की समृद्वि एंव सुख को द्वार दिखायी दिया।
इन सभी सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के बाद किसानों का उत्साह बढ़ गया, और उन्होने दालें, तिलहन, ईख तथा हरे चारे को उगाना प्रारम्भ किया।
हरित क्रान्ति से लाभ- हरित क्रान्ति लाने मे जहंा एक ओर खेतिहार किसानों का हाथ है, वहीं दूसरी ओर नए-नए अनुसंधान और प्रयोग में लगी, सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थानों का भी सहयोग कर रहा है।
उन्होने अच्छे एंव उन्नत किस्म के बीजों के विकास के साथ खेतों का निरीक्षण तथा परीक्षण किया और यह भी बताया कि किस मिट्टी में कौन-सा बीज बोने से अधिक पैदावार होगी? साथ ही उन्होने नए-नए कीटनाशकों व खादों का उचित प्रयोग करना बताया।
उपाय प्रगति पर- हरित क्रान्ति को बनाये रखने के लिए आज भी अनेक प्रकार के अनुसंधान व प्रयोग किये जा रहे हैं। इन अनुसंधानों एवं प्रयोगों के कार्य निरन्तर होते रहने से ही क्रान्ति का भविष्य उज्जवल है।
यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमें पुनः खाद्यान्न व खाद्य पदार्थों के लिए विदेशियों पर निर्भर रहना होगा। जिसका दुष्परिणाम भूखे मरने की नौबत या विदेशियों की हुकुमत करना होगा।
उपसंहार- अतः इस प्रकार के दुष्परिणामों से बचने के लिए हमें हरित क्रान्ति को निरन्तर बनाये रखना होगा।