Hindi Essay on “G8 Shikhar Sammelan” , ”G8 शिखर सम्मेलन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
G8 शिखर सम्मेलन
G8 Shikhar Sammelan
विश्व के 8 प्रमुख औद्योगिक लोकतंात्रिक देशों का समूह G 8 के नाम से जाना जाता है। इसके सदस्य देश हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, व रूस। इसके गठन की शुरूआत 1975 में संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी व फ्रांस ने न्यूयाॅर्क में G5 से की। कुछ दिनों बाद इटली के शामिल होने से यह G6 हो गया। 1976 में कनाडा और रूस (जो पहले सिर्फ डायलाॅग पार्टनर थे) इसमें शामिल नहीं थे, 1998 में इसमें शामिल हो गये और G6 पुनः G 8 हो गया। इस समूह की वार्षिक बैठक होती है, जिसमें सदस्य देश पारस्परिक हितों, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति व अर्थव्यवस्था, तृतीय विश्व के देशों की समस्याएं, विश्व शांति एवं सुरक्षा तथा विज्ञान और तकनीकी प्रसार जैसे विषयों पर विचार विमर्श करते हैं तथा इनसे संबंधित कार्यक्रमों को लागू करने की योजना बनाते हैं। 2000 में जापान में नागो-ओकीनावा में सम्पन्न इस समूह की बैठक में गरीब देशों के ऋण को माफ करने का निर्णय किया गया। 2005 में स्काॅटलैंड के ग्लेनिंगलन में आयोजित शिखर सम्मेलन में पांच प्रमुख विकासशाील देशों को बैठक में भाग लेने क लिए आमंत्रित किया गया। ये देश थे- भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको।
8-10 जुलाई 2005 को विश्व के आठ सर्वाधिक औद्योगीकृत एवं समृद्ध देशों का शिखर सम्मलेन स्काॅटलैंड के ग्लेनिंगलन में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में 5 आमंत्रित देशों के सदस्यों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त राष्ट्रसंघ, विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन के प्रमुखों ने भी हिस्सा लिया।
इस शिखर बैठक में वैसे तो बातचीत के मुख्य मुद्दे अफ्रीकी देशों में छाई व्यापक गरीबी, स्वच्छ ऊर्जा का विकास, सतत विकास और ग्लोबल वाॅर्मिंग का मुद्दा प्रमुख था, लेकिन लंदन में हुए आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद का मुद्दा इस सूची में सबसे ऊपर आ गया। इस विशेष परिस्थिति में सबसे अधिक फायदा अमेरिका के राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश को हुआ जिनकी इच्छा के मुताबिक ग्लोबल वाॅर्मिंग का मुद्दा दब गया। आतंकवादी हमले की ओट में उन्होंने ग्लोबल वाॅर्मिंग को सामान्य मुद्दा बना दिया।
पारम्परिक तौर पर G 8 का मेजबान देश समझौते के लिए एजेंडा तय करता है, जिस पर सम्मेलन के अंत में सहमति के आधार पर संयुक्त बयान जारी किया जाता है। लेकन 2005 के शिखर सम्मेलन के लिए ब्रिटिश सरकार ने प्राथमिकताओं को तय किया, जिसमें अफ्रीका के आर्थिक विकास को (गरीब देशांे का ऋण माफ करने तथा सहायता राशि बढ़ाकर) तथा ग्लोबल वाॅर्मिंग को उच्च प्राथमिकता दी गई। ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने क्योटो प्रोटोकाॅल से भी आगे बढ़कर एक योजना तैयार की थी, जिसके अन्तर्गत कुछ चुने हुए विकासशील देशों को शामिल न करके उनको ग्रीन आउस गैसों को कम करने के बदले में स्वच्छ ऊर्जा टेक्नोलाॅजी स्थानांतरित करने के बात थी। लेकिन 7 जुलाई को लंदन में हुए बम धमाकों से प्राथमिकता पर आतंकवाद आ गया।
इस शिखर सम्मेलन में समझौते के मुख्य बिन्दु इस प्रकार थे-
2010 तक विकासशील देशों के लिए 50 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की सहायता जिसमंे 25 बिलियन अमेरिकी डाॅलर अफ्रीका को दिए जाएंगे।
2010 तक अफ्रीका में एंटी-एचआईवी दवाओं तक सामान्य लोगों की पहुंच कायम करना।
अफ्रीका के लिए 20,000 शांति सैनिकांे को प्रशिक्षण देना। बदले में अफ्रीका अच्छे शासन तथा प्रजातंत्र के लिए वचनबद्धता दिखाएगा।
G 8 के सदस्य देश 2010 तक जीडीपी का 0.56 प्रतिशत तथा 2010 तक जीडीपी का 0.7 प्रतिशत विदेशी सहायता के रूप में देंगे।
व्यापार में बाधा पहंुचाने वाले टैरिफ तथा सब्सिडी को कम किया जाएगा।
फिलिस्तीन को आधारभूत ढांचा खड़ा करने के लिए 3 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की सहायता।
ब्रिटेन की पहल पर G 8 देशों ने वर्षों से गरीबी झेल रहे अफ्रीकी देशों के लिए 40 बिलियन डाॅलर के कर्ज माफ कर देने की बात पर सहमति व्यक्त की गई यह भी तय किया गया कि अफ्रीका को दी जाने वाली सहायता को 2010 तक दुगुना कर दिया जाए। यह भी तय हुआ कि सहायता में की जाने वाली वृद्धि 2004 के स्तर के आधार पर मापी जाएगी। साथ ही अफ्रीकी शांति सैनिकों को संघर्ष रोकने के अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन से जुडे़ ग्लोबल वाॅर्मिंग के मुद्दे पर अमेरिका के अन्य देशों के साथ मतभेद खुलकर सामने आ गए। सम्मेलन के अंत मंे कोई ठोस प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका।
विश्व में भारत को अब आर्थिक शक्ति के रूप में पहचन मिलने लगी है तथा इसी वजह से आज भारत के साथ आर्थिक संबंधांे को प्रगाढ़ करने का प्रयास लगभग सभी आर्थिक शक्तियों, देशों तथा क्षेत्रीय-संगठनों द्वारा किया जा रहा है। G 8 भी भारतीय बाजार तक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है। G 8 देशों के साथ भारत के व्यापार की स्थिति इस प्रकार है-
भारत और G 8 देशों के बीच व्यापार में वर्ष 2004-05 के दौरान 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत और G 8 देशों के बीच 2004-05 के दौरान 48 बिलियन डाॅलर का व्यपार किया गया।
विश्व के साथ किए जाने वाले कुल व्यापार का 25 प्रतिशत व्यापार भारत G 8 देशों के साथ करता है।
G 8 के देशों को वर्ष 2004-05 में भारत द्वारा अपने कुल निर्यात का 33.6 प्रतिशत निर्यात किया गया।
लेकिन इन देशों में किए जाने वाले आयात की मात्रा वर्ष 2003-04 के 22.5 प्रतिशत से घटकर 2004-05 में 20 प्रतिशत रह गई।
इसी तरह अगर देखा जाए तो भारत तथा G 8 देशों के बीच आपसी व्यापार तथा सहयोग की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं, जिन्हें तलाशने और भुनाने की जरूरत है।