Hindi Essay on “E-mail ke Labh” , ”ई-मेल के लाभ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
ई-मेल के लाभ
E-mail ke Labh
’ई-मेल’, इलेक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्तिकरण है। इलेक्ट्रॉनिक संचार साधनों के द्वारा पत्र-व्यवहार को इलेक्ट्राॅनिक मेल कहते हैं। इन्टरनेट के चलन से आजकल अपने संदेशों के आदान-प्रदान के लिए ई-मेल का व्यवहार व्यापक स्तर पर हो रहा है। इस प्रकार के इलेक्ट्राॅनिक पत्र-व्यवहार से समय एवं धन दोनों की बचत होती है। ई-मेल द्रुतगति का पत्र-व्यवहार है। इसमें सेकण्ड के कुछ हिस्से में ही संदेश दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने मे पलक झपकते ही पहंुच जाता है। वस्तुतः ई-मेल कम्प्यूटर नेटवर्क पर उपलब्ध डाक सुविधा का एक विस्तृत रूप है। जब कई स्थानों पर उपलब्ध कम्प्यूटर एक-दूसरे से जुड़ते हैं तो उनमें सन्देशों का आदान-प्रदान बड़ा ही सहज हो जाता है। इन्टरनेट नेटवर्कांे का नेटवर्क है अर्थात उसमें छोटे-छोटे नेटवर्कों का परस्पर संबंधित बड़ा नेटवर्क है, इसलिए इसमें भी प्रयोगकर्ता एक-दूसरे से बहुत ही सुविधाजनक तरीके से पत्र-व्यवहार कर सकते हैं। सामान्य पत्र व्यवहार की तरह इलैक्ट्राॅनिक मेल में भी सन्देशों के परस्पर आदान-प्रदान के लिए पते-ठिकाने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए यदि कही ई-मेल के द्वारा कोई सन्देश भेजना होता है तो सर्वप्रथम उस पते की आवश्यकता होती है जहां पर सन्देश भेजना है। इन्टरनेट से ई-मेल के आदान-प्रदान की एक बड़ी विशेषता यह है कि इसमें अपने संदेश को इन्टरनेट से जुड़े किसी भी कम्प्यूटर से प्राप्त किया जा सकता है और भेजा जा सकता है, वह विश्व में कही पर भी स्थित हो। आज ई-मेल का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
पहले ई-मेल का प्रयोग छोटे-छोटे संदेशों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता था किन्तु आजकल दस्तावेजों के आदान-प्रदान और ग्राफिक्स या दृश्य सामग्री के आदान-प्रदान के लिए ई-मेल का बहुतायत से प्रयोग हो रहा है। इतना ही नहीं, आज ई-मेल के द्वारा अपनी आवाज को भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा रहा है। यह सब डप्डम् ;डनसजपचनतचवेम प्दजमतदमज डंपस म्गजमदेपवदद्ध जैसे साॅफ्टवेयर और न्दपबवकम जैसी इनकोडिंग योजनाओं की खोज से संभव हो सका है। आज अपने कामकाज के लिए ई-मेल के प्रयोग को ही सबसे भरोसेमंद माना जाता है। इसलिए आजकल डाक के पते और फोन नम्बर पूछने के साथ-साथ ई-मेल पता पूछना भी लोेग नहीं भूलते हैं।
टेलीफोन के व्यापक प्रचलन से समाज में पत्र-लेखन की परम्परा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही थी। ई-मेल ने इस परम्परा को पुनर्जीवित कर दिया। आज अपने औपचारिक एवं अनौपचारिक संवाद के लिए ई-मेल का बखूबी प्रयोग हो रहा है। इन्टरनेट पर ऐसी कई कम्पनियां हैं जो संदेश के आदान-प्रदान की सुविधा उपलब्ध कराती हैं तो कुछ ऐसी भी है जो इसके साथ-साथ पोस्टबाॅक्स की तरह ई-मेल का पता भी देती हैं। ऐसी संस्थाओं पर अपना स्थायी ई-मेल पता रखा जा सकता है जो इनके सर्वर पर सुरक्षित रहता है। ये सुविधाएं कुछ कम्पनियों द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाती हैं तो कुछ के द्वारा यह सुविधा प्राप्त करने के शुल्क भी अदा करना होता है। ई-मेल के व्यापक प्रयोग के कारण ही कम्पनियां ई-मेल भेजने के लिए शुल्क लेने लगी हैं। निःशुल्क सुविधा प्रदान करने वाली कम्पनियां इसमें कुछ सुविधाओं में कटौती कर देती हैं। जैसे संदेश भण्डारण केे लिए स्मृति कोष में कम स्थान प्रदान करती हैं और मेल एकत्रीकरण की सुविधा नहीं देती हैं। भ्वजउंपसण्बवउए ल्ंीववण्बवउए त्मकपिि उंपसण्बवउए ळउंपसण्बवउ ऐसी साइट हैं जो निःशुल्क ई-मेल सम्प्रेक्षण की सुविधाएं प्रदान करती हैं। जो किन्हीं कारणों से अपने म्.उंपस पते निरंतर बदलते रहते हैं उनके लिए डाक-विभाग की तरह से ई-मेल में भी सुविधाएं हैं कि जिसमें पुराने पते पर आई हुई डाक नए पते पर भेज दी जाए। यह सुविधा प्राप्त करने के लिए इन्टरनेट पर एक मेल सेवा के वेब ठिकाने पर जाकर अपना विवरण देते हुए पुराना पता और नया पता भर देने से यह सुविधा प्राप्त हो जाती है। जिन व्यक्तियों के पास अपना कोई ई-मेल पता नहीं है और इन्टरनेट पर कभी-कभार ही जाते हैं, ऐसे व्यक्तियों को नेट पर उपलब्ध मेल सर्वर पर जाकर वांछित ई-मेल पता ले लेना चाहिए। साइट पर पता लेने को खाता खोलना भी कहते हैं।
अपना ई-मेल खाता खोलने के लिए अपने व्यक्तिगत कम्प्यूटर को इन्टरनेट से जोड़ लें अथवा किसी इन्टरनेट कैफे में जाकर वहां के नेट से जुड़े कम्प्यूटर पर ब्राउजर में उस वेब ठिकाने को अंकित करें जिसकी ई-मेल सुविधा प्राप्त करना चाहते हैं। उदाहरण स्वरूप विभिन्न वेब ठिकानों को प्रयोगकर्ता के समक्ष उपस्थित कर देता है। उसमें ष्छमू न्ेमतष् के विकल्प पर कर्सर ले जाकर माउस क्लिप करने से ई-मेल खाता खोलने का आवेदन पत्र आ जाता है। इस आवेदन पत्र में पूछ गई कई ऐच्छिक एवं आवश्यक सूचनाओं को अंकित कर देने के बाद अपना दर्ज करने का नाम और पासवर्ड भरना होता है। यदि वह पता पहले से ही किसी उपयोगकर्ता द्वारा पंजीकृत है तो नया खाता नहीं खुलता और वह साइट कुछ वैकल्पिक नामों की सूची दे देता है। आप चाहें तो इसमें से कोई एक चयनित कर लें अथवा पुनः दूसरा दर्ज करने का नाम भरें। यदि इस नाम का खाता पहले से मौजूद नहीं है तो नया ई-मेल खाता खुल जाता है। इस खाते का प्रयोग दुनिया के किसी इन्टरनेट कैफे या कम्प्यूटर से कर सकते हैं।